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अपने अनोखे अंदाज से ”काका” ने डेढ़ दशक तक दिलों पर राज किया

नयी दिल्ली:अपने अनोखे अंदाज से अपने चाहनेवालों का मनोरंजन करने वाले अभिनेता राजेश खन्ना ने करीब डेढ़ दशक तक दिलों पर राज किया. बॉलीवुड में उन्हें काका ने नाम से जाना जाता रहा. उनका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था. राजेश खन्ना फिल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी रहे. राजेश खन्ना ने लगभग 163 […]

नयी दिल्ली:अपने अनोखे अंदाज से अपने चाहनेवालों का मनोरंजन करने वाले अभिनेता राजेश खन्ना ने करीब डेढ़ दशक तक दिलों पर राज किया. बॉलीवुड में उन्हें काका ने नाम से जाना जाता रहा. उनका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था. राजेश खन्ना फिल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी रहे. राजेश खन्ना ने लगभग 163 फिल्मों में अभिनय किया, जिसमें 106 फिल्मों वे मुख्य नायक रहे. उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला और 14 बार नामांकित हुए. आज काका का जन्म दिन है.

29 दिसंबर, 1942 को अमृतसर (पंजाब) में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए. राजेश खन्ना ने अपने अभिनय करियर की शुरूआत 1966 में फिल्म आखिरी खत से की. वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने उनके करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए. इस फिल्म ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए. इसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 सफल फिल्में देकर समकालीन और अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया.वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड मिला. सबसे अधिक चार बार अवार्डस फॉर बेस्ट एक्टर पाने का सौभाग्य भी सिर्फ उन्हीं को मिला है. वह इसके लिए 25 बार नामित भी हुए.

वर्ष 1971 खन्ना के करियर का सबसे यादगार साल रहा. इस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनंद, आन मिलो सजना, महबूब की मेहंदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी अति सफल फिल्में दीं. उन्होंने दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल जैसी सरीखी हिट फिल्मों के जरिए बॉक्स ऑफिस को कई वर्षो तक गुलजार रखा.भावपूर्ण दृश्यों में उनके सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है. फिल्म आनंद में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण माना जाता है. काका को 2005 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया.

राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडिया से विवाह किया. वे दो बेटियों टि्वंकल और रिंकी के माता-पिता बने. हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए. बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे. वर्ष 1994 में उन्होंने अभिनय की नई पारी शुरू की. उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें-1999, क्या दिल ने कहा-2002, जाना-2006 और वफा-2008 में उन्होंने अभिनय किया. आखिरी बार उन्हें टीवी पर हावेल्स फैन के विज्ञापन में गया. इस विज्ञापन का निर्देशन आरण्बल्की ने किया है.

पति पत्नी में तलाक व दोनों बेटियों के विवाह हो जाने के बाद राजेश खन्ना अपने आलीशान बंगले में बिल्कुल अकेले रह गये. उनके इस अकेलेपन ने उन्हें शराब और सिगरेट पीने के लिये मजबूर कर दिया. धीरे धीरे जब उम्र उन पर हावी होने लगी तो शरीर को भी बीमारियों ने घेरना शुरू कर दिया. परिणाम यह हुआ कि उनकी काया जर्जर होती चली गयी.

जून 2012 में यह सूचना आयी कि राजेश खन्ना पिछले कुछ दिनों से काफी अस्वस्थ चल रहे हैं. 23 जून 2012 को उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी जटिल रोगों के उपचार हेतु लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां सघन चिकित्सा कक्ष में उनका उपचार चला और वे वहां से 8 जुलाई 2012 को डिस्चार्ज हो गये. उस समय "वे पूर्ण स्वस्थ हैं" ऎसी रिपोर्ट दी गयी थी. 14 जुलाई 2012 को उन्हें मुम्बई के लीलावती अस्पताल में फिर से भर्ती कराया गया. उनकी पत्नी डिम्पल ने मीडिया को बतलाया कि उन्हें निम्न रक्तचाप है और वे अत्यधिक कमजोरी महसूस कर रहे हैं. आखिरकार 18 जुलाई 2012 को यह खबर प्रसारित हुई कि सुपरस्टार राजेश खन्ना नहीं रहे.

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