नयीदिल्ली : हिंदी फिल्मों के लिहाज से यह साल खासतौर पर सीक्वल फिल्मों और सौ करोड़ी सिनेमा के नाम रहा जहां करीब एक दर्जन फिल्में सीक्वल के तौर पर आईं और आधा दर्जन से अधिक फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़रुपये से अधिक की कमाई की.जाते हुए साल के आखिरी महीने में आई यशराज बैनर की ‘धूम 3’ ने पहले ही दिन भारतीय बाजार में 36 करोड़ की कमाई कर ली. पिछले सप्ताह प्रदर्शित हुई आमिर खान अभिनीत इस फिल्म ने सोमवार तक 10करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया.
साल 2013 में 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली फिल्मों में ‘ये जवानी है दीवानी’, ‘कृष-3’, ‘गोलियों की रास लीला, राम-लीला’, ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘ग्रांड मस्ती’ को गिना जा सकता है. रितिक रोशन की कृष-3 उनकी पहले आ चुकी सफल फिल्मों ‘कोई मिल गया’ और ‘कृष-2’ का सीक्वल रही और सिनेमाघरों में सफलता के झंडे गाड़ चुकी है.
सीक्वल फिल्मों की बात करें तो ‘धूम-3’, ‘मर्डर-3’, ‘रेस-2’, ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा’, ‘आशिकी-2’, ‘शूट आउट एड वडाला’, ‘साहब, बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स’, ‘ग्रांड मस्ती’, ‘सत्या-2’ और ‘यमला पगला दीवाना-2’ पिछले सालों में आईं फिल्मों के अगले भाग के तौर पर पेश की गयीं.
इसी तरह अजय देवगन अभिनीत ‘हिम्मतवाला’ के अलावा ‘जंजीर’ व ‘चश्मे बद्दूर’ रीमेक के तौर पर प्रदर्शित की गयीं. हालांकि ये तीनों ही फिल्में अभिनेता जितेंद्र अभिनीत ‘हिम्मतवाला’, अमिताभ बच्चन अभिनीत सुपरहिट फिल्म ‘जंजीर’ और फारख शेख तथा दीप्ति नवल के अभिनय वाली गुदगुदाती ‘चश्मे बद्दूर’ की लोकप्रियता के आसपास भी नहीं फटक सकीं.
चेतन भगत के उपन्यास ‘द 3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ’ पर आधारित अभिषेक कपूर की ‘काई पो चे’ ने भी दर्शकों और समीक्षकों की वाहवाही लूटी जिसमें तीन युवाओं की कहानी को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया. इसी के साथ आनंद एल राय निर्देशित और सोनम कपूर, अभय देओल तथा धनुष अभिनीत ‘रांझणा’, रणबीर सिंह और सोनाक्षी सिन्हा के किरदारों वाली ‘लुटेरा’, जॉन अब्राहम अभिनीत ‘मद्रास कैफे’ और इरफान खान के संजीदगी भरे अभिनय वाली ‘लंचबॉक्स’ ने भी अच्छी फिल्मों की फेहरिस्त में जगह बनाई.
बहरहाल इस साल कुछ बड़े अदाकारों की फिल्में अपेक्षा के अनुरुप प्रदर्शन नहीं कर सकीं. इनमें अक्षय कुमार की ‘बॉस’ और ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा’, रणवीर कपूर की ‘बेशरम’, सैफ अली खान, सोनाक्षी सिन्हा की ‘बुलेट राजा’, इमरान खान और करीना कपूर की ‘गोरी तेरे प्यार में’ जैसी फिल्में हैं जो बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज्यादा कमाल नहीं दिखा सकीं.
शक्ति कपूर के बेटे सिद्धांत कपूर ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए ‘शूट आउट एड वडाला’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो नये नये बयानों से विवादों में रहने वाली पूनम पांडेय ने ‘नशा’ फिल्म से शुरुआत की. फिल्म निर्माता कुमार तौरानी के बेटे गिरीश कुमार को प्रभु देवा ने ‘रमैया वस्तावैया’ से अभिनय का मौका दिया. नई अभिनेत्रियों में ‘शुद्ध देसी रोमांस’ से ही कदम रखने वाली वाणी कपूर का भी नाम लिया जा सकता है.
इन सबके अतिरिक्त हर साल की तरह दक्षिण भारतीय सिनेमा के कुछ सितारे भी हिंदी सिनेमा का हिस्सा बन गये. इनमें मशहूर अभिनेता रजनीकांत के दामाद धनुष का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है जो ‘रांझणा’ में अपने अभिनय से तारीफ बटोरने में सफल रहे. अभिनेत्री तमन्ना ने ‘हिम्मतवाला’ से, ताप्सी पन्नू ने ‘चश्मे बद्दूर’ से, अभिनेता से नेता बने चिरंजीवी के बेटे राम चरण तेजा ने ‘जंजीर’ से बॉलीवुड में कदम रखा है. फिल्म ‘निकाह’ फेम पाकिस्तानी गायिका और अभिनेत्री सलमा आगा की बेटी साशा ने ‘औरंगजेब’ में पहली बार काम किया.