करीना और दीपिका में सैफ अली खान को लेकर कई सालों से मतभेद है.
अनुप्रिया अनंत
किसी महिला प्रधान फिल्म में किसी अभिनेत्री के लिए खुद को साबित करना ज्यादा आसान होता है. बजाय किसी ऐसी फिल्म में, जिसमें स्टार अभिनेता हों. इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि कैटरीना कैफ को आमिर खान की वजह से एक साल गंवाने पड़े हैं और उस वजह से दीपिका पादुकोण ने बाजी मार ली है, लेकिन यहां बात सिर्फ फिल्मों के चयन की नहीं है. दीपिका पादुकोण ने उन फिल्मों में भी अपनी खास पहचान बना ली है, जिनमें उनकी अपेक्षा पुरुष किरदार को अधिक महत्ता दी गयी थी.
फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्रियों की यह विडंबना रही है कि वे मानती हैं कि अगर वह खान के साथ काम कर रही हैं तो वह शीर्ष पर हैं, जबकि इन सबसे इतर दीपिका व विद्या बालन ने साबित कर दिया है कि वे अपने दम पर भी फिल्मों में पहचान स्थापित कर सकती हैं. जिसकी शुरुआत विद्या बालन ने की थी, उसे दीपिका एक श्रेणी और आगे ले जा रही हैं. दीपिका उन फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ देने में कामयाब हुई हैं, जिनमें अभिनेता ज्यादा प्रभावशाली हैं. फिर चाहे वह फिल्म रामलीला हो, कॉकटेल हो या फिर ये जवानी है दीवानी.
फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में भी सबसे ज्यादा तारीफ दीपिका की हुई. इससे साबित होता है कि दीपिका सोनाक्षी व कैटरीना की तरह सिर्फ नाच-गाने वाली फिल्मों तक खुद को सीमित नहीं रख रहीं. हालांकि करीना दीपिका को टक्कर देने में कामयाब हो सकती थीं, लेकिन करीना की फिल्मों के गलत चयन व अभिनय में दिखावटीपन अब उन्हें उबाऊ बना रहा है. फिलहाल दीपिका व विद्या बालन हिंदी सिनेमा की दो सशक्त अभिनेत्रियों के तौर पर स्थापित हो चुकी हैं.