27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

“सचिन तेंडुलकर जैसा कोई नहीं”:अमिताभ

सचिन तेंडुलकर आखिरी टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं. इस मौके को यादगार बनाने के लिए प्रप्रभात खबर देश के सेलेब्रिटी की सचिन के बारे में राय से आपको अवगत करवा रहा है. इसी क्रम में आज पढ़िए सदी के महानायक अमिताभ बान से सचिन पर आइबीएन18 नेटवर्क के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई से विशेष […]

सचिन तेंडुलकर आखिरी टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं. इस मौके को यादगार बनाने के लिए प्रप्रभात खबर देश के सेलेब्रिटी की सचिन के बारे में राय से आपको अवगत करवा रहा है. इसी क्रम में आज पढ़िए सदी के महानायक अमिताभ बान से सचिन पर आइबीएन18 नेटवर्क के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई से विशेष बातचीत.सचिन तेंडुलकर आखिरी टेस्ट सीरीज खेल रहे हैं.

इस मौके को यादगार बनाने के लिए प्रप्रभात खबर देश के सेलेब्रिटी की सचिन के बारे में राय से आपको अवगत करवा रहा है. इसी क्रम में आज पढ़िए सदी के महानायक अमिताभ बान से सचिन पर आइबीएन18 नेटवर्क के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई से विशेष बातचीत.

राजदीप: अगर आप किसी भी भारतीय से पूछें कि 1947 के बाद वो कौन से बडे. सितारे हैं, जो उनको सबसे अ च्छे लगते हैं तो दो नाम आयेंगे शायद, सिनेमा में अमिताभ बच्चन और क्रि केट जगत में सचिन तेंडुलकर. और अब जब सचिन क्रि केट को अलविदा कह रहे हैं, तो खुद अमिताभ बच्चन ने सचिन पर बात की.

अमिताभ: सबसे पहले राजदीप मैं आपको टोकना चाहूंगा कि आप खामखाह मेरा नाम इतने बडे. और इतने प्रसिद्ध इंसान के साथ जोड. रहे हैं.

राजदीप: क्या सचिन की उपलब्धियां आपसे कहीं ज्यादा हैं?

अमिताभ: बहुत ज्यादा, और मेरा नाम तो कहीं आता ही नहीं दूर-दराज तक नहीं आता.

राजदीप: अगर आप दुनिया में किसी से भी पूछें तो वो अमिताभ को भी जानता है और सचिन को भी?

अमिताभ: ये बहुत बड़ीगलतफहमी है आपको.

राजदीप: क्रि केट खेला जाता है कॉमनवेल्थ देशों में, सिनेमा हर देश में देखा जाता है, मिस्र में मैं था तो एक टैक्सी ड्राइवर मुझसे कहता है कि आप इंडिया से हैं- अमिताभ बच्चन के देश से, एक तरह से आप दोनों ग्लोबल ब्रांड बन गये हैं. अमिताभ और सचिन.

अमिताभ: वो कहीं ना कहीं एक नासमझी हो गयी होगी. क्रि केट अब सिर्फ कॉमनवेल्थ देशों तक ही सीमित नहीं. अब तो इंटरनेट के द्वारा दुनिया भर में लोग देखते हैं.

राजदीप: लेकिन अगर आप सचिन के कॉन्ट्रीब्यूशन को देखें, तो ऐसा क्या है सचिन में जिसकी वजह से आपको लगता है कि वो लोग उन्हें इतने महान खिलाड.ी के तौर पर देखते हैं. एक महान भारतीय की नजर से देखते हैं?

अमिताभ: भारतीय तो वो हैं ही. भारत का नाम उन्होंने उज्ज्वल किया है. और जिस तरह से उज्ज्वल किया है वो अपने खेल के द्वारा, तो ये दोनों का एक बहुत बड.ा मिर्शण है. मैं ऐसा मानता हूं कि भारतीय होने के नाते जब वो बाहर जाते हैं, भारत का तिरंगा लहराता है तो हमारे अंदर एक जागरूकता होती है, देश के प्रति. अपने आप को मनाते हैं कि हम एक महान देश के वासी हैं जिस देश में सचिन तेंडुलकर निवास करते हैं, वो तो अच्छा लगता है.

राजदीप: तो क्या ये सबसे बड़ा फर्कहै क्रि केट और सिनेमा के बीच. क्योंकि जब भी कोई अमिताभ की फिल्म देखता है तो वो भी बहुत उत्साहित हो जाता है. लेकिन ये जो देश भक्ति की भावना जो आप कह रहे हैं वो आपको लगता है कि क्रि केट में ज्यादा है.

क्योंकि क्रि केट भारत को रिप्रजेंट करता है.

अमिताभ: जी हां, बिल्कुल सही कहा आपने, भारत के रंगों को पहनना, भारत को रिप्रजेंट करना वो कहीं बड़ीबात है. हां कभी-कभी फिल्में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाती हैं, पुरस्कार मिलता है, बहुत सारे कलाकारों को पुरस्कार मिलता है, उस समय दिल दिमाग भी गर्वित होता है, हर्षित होता है, गर्व होता है हमें. पर वो यदा-कदा होता है, पर यहां तो हर दिन वो भारत का तिरंगा पहन कर बाहर निकलते हैं. वो भारत देश का प्रप्रतिनिधित्व करते हैं. इससे ज्यादा गर्व होता है हमें.

राजदीप: लेकिन ये बताइए कि सचिन से पहले भी कई क्रि केटर्स हुए हैं. सचिन में क्या है? कई स्पोर्ट्समैन हुए हैं ध्यानचंद से लेकर कई और खिलाड़ी..सचिन में क्या खूबी है कि खुद अमिताभ को भी लगता है कि कि जब मैं सचिन को देखता हूं तो मुझे एक खास प्रेरणा मिलती है. क्योंकि आपने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि जिस दिन सचिन ने अलविदा कहा उस दिन आपके दिल की धड.कन एक सेकेंड के लिए रु क गयी थी.

अमिताभ : एक चीज जो हमारे जीवन में निश्‍चित है, वो अचानक हट जाये, तो आपको भी ऐसा अहसास होगा. सचिन प्रत्येक भारतीय के जीवन का अंश हैं. वो अचानक कहे, कहे कि वो आपके जीवन से निकल जायेगा, तो आपको तो ऐसा ही लगेगा कि आपका हृदय कुछ क्षणों के लिए शांत हो गया है. और जब कभी भी जैसा कि आपने कहा कि क्या लगता है आपको, मुझे तो लगता है कि सबसे पहले हमें जान लेना चाहिए कि सचिन टीम में खेल रहे हैं या नहीं, और उनका जो परफारमेंस है वो अच्छा खेंले या बुरा, लेकिन कहीं ना कहीं एक सांत्वना मिलती है हमें कि सचिन है तो सब ठीक रहेगा. ये एक अद्भुत बात है जिसकी हम व्याख्या नहीं कर सकते. या उसको हम बता नहीं सकते इसका वर्णन कैसे किया जाये कि किस तरह की भावनाएं हमारे अंदर आती हैं. ना जाने क्यों. और 24 साल से ये भावनाएं हमारे अंदर हैं. तो ये एक महारथी, महानुभवी हो सकता है जो इस तरह की प्रेरणा, और भावना किसी भी भारतीय के अंदर डाल दे.

राजदीप: एक बार आपने ब्लॉग में लिखा था कि जब सचिन ने 100 टेस्ट कंपलीट किये थे तो लोग उन्हें ब्रैडमैन से क्यों कंपेयर कर रहे हैं वो ब्रैडमैन से भी आगे निकल चुके हैं. क्या आपको लगता है कि उसमें कहीं ना कहीं आपको पैट्रियाटिजम नजर आती है?

अमिताभ: बिल्कुल सही कहा आपने.

राजदीप: भारतीय क्रि केटर ऑस्ट्रेलियन क्रि केटर से भी ज्यादा महान हो सकता है?

अमिताभ: जी बिलकुल, निश्‍चित रूप से क्योंकि वो हमारे देश का है और हमें इस बात का गर्व है कि वो भारतीय है. इसलिए हम तो उनकी प्रशंसा करेंगे. और हम मानेंगे कि विश्‍व भर में वो सबसे उत्तम दर्जे पर होना चाहिए हम ये नहीं कहते कि ब्रैडमैन का जो भी योदगान रहा है वो कम है, या उसके साथ तुलना नहीं करनी चाहिए लेकिन क्योंकि वो सचिन हैं और भारतीय हैं तो हमें ज्यादा गर्व होता है.

राजदीप: कहीं ना कहीं ऐसा लगता है कि 1947 के बाद जो पहले 30-40 साल हुए. भारतीय अगर अच्छा करते क्रि केट में या सिनेमा में या किसी भी फील्ड में तो लोगों को लगता था कि उनमें इनफिनियारिटी कांप्लेक्स है. वो भी तब तक तैयार नहीं थे पूरे कांफिडेंस से ग्लोबल स्टेज पर आने के लिए, क्या आपको लगता है कि वो एक फर्कपड.ा है. कि सचिन में वो एक विनर्स की क्वालिटी थी कि अब मैं दुनिया जीत सकता हूं.?

अमिताभ: जी बिलकुल.इतनी कम उम्र में इतने बडे. दिग्गजों का सामना करना और उनके सामने निडर हो कर खेलना, कोई ऐसा तरीका निकालना, जिससे आप किसी को तहस-नहस कर सकें, तो अपने आप में बहुत बड़ीउपलब्धि है. और जब आप देखते हैं कि अपने ही देश के लोग या अपने टीम के लोग देखते हैं कि ये एक बालक की तरह एक छोटा-सा बच्चा हमको सबक सिखा रहा है तो कहीं ना कहीं आपको भी गर्व होता है.और आपके अंदर कॉन्फिडेंस आता है कि आप भी ऐसा कर सकें.

राजदीप: कभी-कभी लगता है कि हम उनको अब भी एक 16 साल के बालक की तरह ही देखते हैं.जो एक छोटा-सा लड.का है जो अब भी खेल रहा है.?

अमिताभ: बिलकुल सही कहा आपने .मैं तो हमेशा उनको ऐसा मानता हूं कि जब भी वो जाते हैं तो लगता है कि नौसिखिया जा रहा है खेलने. क्योंकि सीखने की जो उनके अंदर अभिलाषा होती है एक प्रण रहता है कि मुझे कुछ ना कुछ नया सीखना है. वो आप उनके चहरे पर हमेशा देखेंगे. जब वो क्र ीज पर पहुंचते हैं तो लगता है कि एक छोटा-सा बालक पहुंच गया है.पता नहीं है उसको कि वो कहां आ गया है.और गुमराह हो गया है.या क्या हो गया है. लेकिन जब वो अपना कोई अच्छा शॉट खेलता है तब आपको पता चलता है उसकी योग्यता के बारे में. या जितने भी गुण हैं उसके बारे में.और उसकी तारीफ जो और भी बडे.- बडे. क्रिकेटर्स हों. या संसार के कितने भी बडे. क्रि केटर्स हों. उन सबने सचिन की तारीफ की है. कभी-कभी उनके पास शब्द नहीं होते कि वो कैसे बतायें कि. या उन्होंने जो शॉट खेला है उसका वर्णन कैसे करें.. वो वर्णन से परे है. तो जब जो आपके दिग्गज हैं ये आपसे बडे. हैं वो आपकी प्रशंशा करें तो आपको मानना पडे.गा कि ये जो व्यक्ति है ये कुछ खास है.

राजदीप: ये इसलिए मैं पूछ रहा हूं कि.1970 में जब हम स्कूल या कॉलेज में गये थे तब हम दो चीजें देखते थे. या तो अमिताभ की फिल्में जंजीर या दीवार आ गयी और सुनील गावस्कर. गावस्कर वेस्टइंडीज के फास्ट बॉलर्स के सामने खेल रहे थे. तब लगा गावस्कर को देख कर कर हम वेस्टइंडीज को भी टक्कर दे सकते हैं. तो कहीं ना कहीं आपको लगता है कि सचिन ने एक तरह से सुनील गावस्कर की जो विरासत उन्होंने उनके लिये छोड़ी के रखी थी.वो उसको कहीं आगे ले कर गये हैं..?

अमिताभ: जी बिलकुल. और गावस्कर की भी हम कम प्रशंसा नहीं कर सकते .. क्योंकि उन्होंने भी एक उदाहरण रखा हमारे सामने. कि भले ही कितने फास्ट बॉलर हों, और वेस्टइंडीज के बॉलर की तो जानी-मानी बात थी. बहुत से किस्से सुने होंगे कि बैट्समैन आ रहे हैं पवेलियन से. रास्ते में उनका बॉलर मिल गया कि यहां क्या कर रहे हो. वो बिल्कुल बाउंडरी के पास अपने रन अप ले रहा था . तो उसने कहा कि अभी तुम वहां पहुंचोगे तो पता चलेगा कि मैं यहां क्यों खड़ा हूं. तो इस तरह की बॉलिंग को फेस करना और उसके बाद. सेंचुरी पर सेंचुरी बनाते जाना. बड़ी बात है. ऐसा कोई वेस्टइंडीज का कोई दौरा ही नहीं जहां वो सस्ते में आउट हुए हों. वेस्टइंडीज अगर आप जायें तो गाने बने हुए हैं सुनील गावस्कर के ऊपर. तो वो जब सचिन की तारीफ करें और ऐसे शब्दों में करें तो कहीं न कहीं आपको मानना पडे.गा कि सचिन की खूबियां क्या हैं.

राजदीप: 2011 के वर्ल्ड कप के बाद एक तसवीर आयी थी अमिताभ गाड.ी चला रहे हैं. अभिषेक झंडा फहरा रहे हैं लोगों के साथ मिल रहे हैं.वहां भी वो देश भक्ति की भावना आती है. पिक्चर देखोगे अमिताभ की भी पिक्चर देख लिया तो खुश होते हैं. मुस्कान आती है चेहरे पर. लेकिन इस तरह से गाड़ी में बैठ कर बच्चे की तरह तिरंगा लहराना ये सिर्फसचिन करवा सकते हैं.या धौनी करवा सकते हैं..?

अमिताभ: बिलकुल सही.क्योंकि हमारा देश विजयी हुआ. देश के प्रति इस तरह की भावनाएं उठती हैं. मुझे तो दुख इस बात का है कि मुझे गाड़ीचलानी पड़ी. मैं चाहता था कि मैं छत पर बैठूं. लेकिन उस समय ड्राइवर नहीं था कोई रात को, खुद चलानी पड़ीगाड़ी. हां, जब भी देश कोई अच्छा काम करेगा, उज्ज्वल काम करेगा तो हम सब सड.क पर उतरते हैं. प्रशंसा करते हैं.

राजदीप: सचिन का कोई स्पेशल मोमेंट आपके लिए. कोई ऐसा मोमेंट जब आपने सचिन को देखा हो कहा हो कि सचिन इज दि गेट्रेस्ट कोई एक मोमेंट है.?

अमिताभ: हजारों लाखों ऐसे क्षण हैं जहां आप उनके खेल की प्रशंसा कर सकते हैं. मैं तो ज्यादा क्रि केट की टेक्नॉलोजी को पहचानता नहीं हूं. इसलिए मैं उस क्षण के बारे में बात नहीं कर सकता. लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि वो एक नेक इंसान हैं.उनकी इंसानियत जो है वो मुझे लगता है कि खेल से भी बढ. कर है.जिस तरह की ख्याति और प्रशंसा उन्हें प्रतिदिन मिलती है.उसके बावजूद एक बहुत संभले हुए और जमीन पर पांव रखे हुए अपनी भूमिका निभाना ये बड.ा कठिन काम होता है.और वो इतना आसानी से करते हैं कि . इसलिए नहीं लगता कि वो जान-बूझ कर रहे हैं.. ये उनकी खूबी है.और कहते हैं कि ये मेरा स्वभाव ही ऐसा है.पर ऐसा स्वभाव पाना बड.ा मुश्किल काम है..

राजदीप: एक समानता है आपके और सचिन के बीच में. आप दोनों के पिता जी कवि थे.हरिवंश राय बच्चन और रमेश तेंडुलकर. वो मराठी के कवि थे और आपके पिता हिंदी के.मैं सोच रहा हूं कि क्या शायद आपके पिता कवि बनते हैं तो फिर आप महान बनने के लिए तैयार हो जाते हैं.आप दोनों में कुछ ना कुछ तो है. मैंने कभी भी नहीं देखा कि आपने इतने प्रेशर के बावाजूद अपना टेंपर लूज किया हो.आप गुस्सा नहीं होते कुछ तो खूबी होगी आपके और सचिन के बीच में . क्योंकि आप दोनों के पिता कवि थे..?

अमिताभ: सबसे पहले तो इस बात की बड.ी खुशी है कि ये समानता है मुझमें और सचिन में. हांलाकि मैं उनके समान खुद को कभी मान ही नहीं सकता. वो बहुत बडे. हैं. लेकिन मेरा मानना है कि कवि की दृष्टि अपने स्वभाव से अपने लेखन में एक तरह का प्रभाव अवश्य डालती होगी अपनी संतान के ऊपर या जिस वातावरण में सचिन रहे होंगे. कहीं ना कहीं उनके बाबूजी ने खाने के बाद बैठ कर कुछ कविताएं पढ.ीं होगीं. जीवन के बारे में बताया होगा. संसार के बारे में बताया होगा.कहीं ना कहीं वो बातें घर कर ही जाती हैं.

राजदीप: ये शांत स्वभाव आपको लगता है कि ये मिडिल क्लास वैल्यूज हैं. जितने भी आप मशहूर बन जाओ सिलेब्रिटी बन जाओ आप हमेशा शांत रहते हो.आप रहते हैं, सचिन रहते हैं.?

अमिताभ: क्या करेंगे नाराज हो कर. और किस पर नाराज होंगे. मेरा ऐसा मानना है कि अगर आप नाराज होंगे तो आप अपने शरीर को ही नष्ट करेंगे.

राजदीप: आपने सचिन को देखा होगा.?

अमिताभ: हमने कभी सचिन को नाराज या गुस्सा नहीं देखा.

राजदीप: जिस तरह से आज के प्लेयर्स होते हैं थोडे. एग्रेसिव होते हैं, सचिन अपनी बल्लेबाजी से एग्रेसिव होते हैं.?

अमिताभ: ये एक बहुत बड़ी खूबी है. मैं उदाहरण के तौर पर कह रहा हूं कि जैसा कि वेस्टइंडीज के एक फेमस प्लेयर हैं विवियन रिचर्डस. वो जिस तरह से चलते थे. उनका जिस तरह का स्वभाव था. वो जिस तरह से बैट पकड.ते थे आपको लगता था कि कोई धुरंधर कलाकार है.और इसमें इतना ज्यादा आत्मविश्‍वास है और एक ऐरोगेंस है उसके अंदर. और वो जिस तरह से खेलते थे वो ऐसे समझते थे कि खेल एक नाचीज-सी चीज है पता नहीं कहां बॉल फेंकूगा. इसे बाउंड्री के बाहर मार दूंगा. सचिन में आप ये देखेंगे नहीं. लेकिन जब तक बैट बॉल पर नहीं लगती.तब तक आप ये ही सोचेंगे कि ये वो ही छोटा-सा बच्चा है जो समझ रहा है कि क्या खेल होना चाहिए. लेकिन कितना वो अदभुत है.

राजदीप: लेकिन सीक्र ेट क्या है आप फिल्मों में 45 साल से हैं और सचिन 25 साल से. जो कि एक बड़ा ही लंबा समय माना जाता है स्पोर्ट्स के लिए. क्या खूबी होनी चाहिए कि इतने लंबे समय तक आप टॉपर रह सकें.उसके लिए कुछ ना क्वालिटी या पैशन तो होना ही चाहिए. क्योंकि सचिन को जब मैं देखता हूं तो बडे. ही पैशिनेट होते हैं वो. पूरे उत्साह से खेलते हैं वो.

अमिताभ: जी बिलकुल और होना भी चाहिए.

राजदीप: आप भी केबीसी उतने ही उत्साह से खेलते हैं.

अमिताभ: आप बार-बार मेरी तुलना करते हैं तो मेरे लिए थोड़ा-सा.

राजदीप: नहीं-नहीं ऐसा है. एक तरह से आप लोग ऑइकॉन हैं और इतने लंबे समय तक रहे हैं.तो कोई तो सीक्रेट होगी.?

अमिताभ: मैं अपने लिये कह सकता हूं कि मैं स्टूडियो में जाता हूं. नयी कहानी सुनना नया किरदार करना.वो मुझे अच्छा लगता है. और मैं बहुत उत्सुक रहता हूं कि मैं कब जाऊंगा.

राजदीप: उसी तरह से सचिन के ऊपर ऐसा होना कि कोई नया बॉलर आये और..?

अमिताभ: जी बिलकुल, मुझे लगता है कि उनके मन के अंदर ऐसी भावनाएं आती होंगी. कि आज पिच कैसी है. आज खिलाड़ी कौन से होंगे. आज बॉलिंग कौन करेगा. फील्ड प्लेसमेंट कहां है. आज कैसे बॉल को मारूं. आज भी आप देखिए. आज के जमाने में नये स्ट्रोक्स निकल आये हैं. सबसे पहले आप देखेंगे कि सचिन ने ही उनका उपयोग किया है. या अगर किसी और ने उपयोग किया तो उसको वो अपनी नजर में रखते हैं. और कई बार मैंन उनको सुना है देखा है पत्रकारों के माध्याम से कि ये जो स्ट्रोक है उसे प्रैक्टिस करना चाहिए क्योंकि उसका उपयोग हो सकता है.

राजदीप: एक बात तो है कि एक फिल्म स्टार आखिरी वक्त तक फिल्म स्टार रह सकता है. लेकिन क्रि केटर को अलविदा कहना पड. सकता है. तो क्या लगता है कि स्पोर्ट्समैन को मुश्किल होती है. क्रि केट के बाद क्या. अब सचिन के सामने ये सवाल है. किस भूमिका में अब आप सचिन को देखना चाहेंगे.?

अमिताभ: ये कठिन प्रश्न है. जितने भी स्पोर्ट्स से जुडे. लोग होते हैं उनके सामने ये प्रश्न आ ही जाता है कि अब मुझे अपने कार्य को छोड.ना है. क्योंकि आपने बचपन से केवल वो ही किया है और अचानक भाग्य की वजह से या सृष्टि की वजह से आपका शरीर उस तरह से नहीं खेल सकता जिस तरह से आप खेलते आये हैं. तो आपको उसे छोड.ना पडे.गा. उसी तरह से जो फिल्म कलाकार होता है उसका अपनी उम्र के साथ चेहरा बदलता जायेगा. चेहरा पसंद नहीं आयेगा.लोग किसी और को पसंद करेंगे.भीड. आपके लिए जमा नहीं होगी. किसी और नौजवान फिल्म कलाकार के लिए होगी. इस सबका सामना आपको करना पडे.गा. और ये सब मान के चलना चाहिए कि एक दिन सबके जीवन में ये पल आनेवाला है. सचिन मैं चाहूंगा कि क्योंकि स्पोर्टमैन का जीवन बड.ा सीमित होता है. कि मैं चाहूंगा कि वो आराम करें. उन्होने देश के लिए बहुत काम किया है. खेल के लिए काम किया है.उनका नाम विश्‍व भर में लिखा जायेगा. या तो निश्‍चित रूप से कायम होगा लेकिन अब मैं चाहूंगा कि वो अपने दिमाग का थोड.ा-सा इस्तेमाल करें. और हमारी आनेवाली जो पीढ़ी है खेल में उनको उनकी भूमिका बतायें. खेल के बारे में सूचना दें. कुछ समय बितायें उनके साथ.कि किस तरह से खेल में इम्प्रूवमेंट लाया जा सकता है.

राजदीप: इतिहास किस तरह से देखेगा सचिन को.50 साल बाद या आप समझते हैं कि जिस तरह से डॉन ब्राडमैन का नाम है या पेले का नाम है ब्राजील में.. आपको लगता है उसी तरह से सचिन का नाम होगा?

अमिताभ: मैं समझता हूं कि कहीं ज्यादा. आप इसे कुछ भी समझ लीजिए. भारतीयता कह लीजिए ये कुछ भी . लेकिन मैं ऐसा मानता हूं कि इससे ज्यादा होगा क्योंकि जिन परिस्थितियों में वो खेलते हैं और जिस उम्र में उन्होंने शुरु आत की है इस ऐसे खेल में जहां बड़ा कठिन काम होता है. और अपने आप को जीवित रखना और मान आदर के साथ जीवित रखना. और खेल में उनके अंदर अभी भी इतनी क्षमता है ये बड.ा कठिन काम है. इसलिए मैं ऐसा मानता हूं कि ताउम्र या जब तक जीवन रहेगा या संसार रहेगा इनका नाम क्रि केट से संबंधित रहेगा. और भारत देश के साथ संबंधित रहेगा.

राजदीप: अमिताभ ने अपने कई भारतीयों के दिल जीते हैं. सचिन भी भारतीयों के लिए कई खुशियां लाया. आपने हमसे बात की. बहुत बहुत शुक्रिया..

सौजन्य: आइबीएन7

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें