मुंबई :‘चितचोर’, ‘अंखियों के झरोखे से’ समेत कई फिल्मों में मधुर और भावपूर्ण संगीत देकर अंधता को पराजित करने वाले मशहूर संगीत निर्देशक, गायक और गीतकार रवींद्र जैन का निधन हो गया.वह 71 साल के थे.उनके पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि लीलावती अस्पताल में जैन के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया जिसके कारण सुबह चार बजकर 10 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी दिव्या और पुत्र आयुष हैं.
जैन को कुछ दिन पहले इलाज के लिए नागपुर के वोकहार्ड अस्पताल से बांद्रा के लीलावती अस्पताल लाया गया था.सूत्रों के मुताबिक संगीतकार मूत्र संक्रमण से पीडित थे जिससे उनके वृक्क में दिक्कत पैदा हो गयी थी.रविवार को वह किसी कार्यक्रम के लिए नागपुर में थे लेकिन अपने खराब स्वास्थ्य के चलते कार्यक्रम पेश नहीं कर पाए. उन्हें एयर एम्बुलेंस से मुम्बई लाया गया। वह लीलावती अस्पताल में आईसीयू में जीवन रक्षक प्रणाली पर थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन के निधन पर यह कहते हुए शोक प्रकट किया कि उन्हें उनके बहुमुखी संगीत एवं हिम्मत नहीं हारने के जज्बे के लिए स्मरण किया जाएगा.जैन को मशहूर दक्षिण भारतीय गायक के जे यशुदास को हिंदी फिल्मों में लाने का भी श्रेय जाता है. दोनों ने मिलकर ‘ओ गोरिया रे’, ‘बेटी तेरी रात की’, ‘गोरी तेरा गांव’ और ‘जब दीप जले आना’ जैसे मधुर गीत दिए.
सबसे अधिक सफल संगीतकारों में से एक बनने की राह में अपनी नेत्रहीनता से अविचलित रहे जैन ने ‘चोर मचाये शोर’, ‘गीत गाता चल’, ‘चितचोर’ और ‘अंखियों के झरोखे से’ जैसी 70 के दशक की हिट फिल्मों के लिए संगीत दिया. उन्हें राजकपूर ने बडा ब्रेक दिया जिनके लिए उन्होंने ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘दो जासूस’ और ‘हिना’ जैसी फिल्मों में सुपरहिट गाने दिए. ‘हिना’ फिल्म का निर्देशन रणधीर कपूर ने किया था.
1980 और 1990 के दशकों में जैन ने पौराणिक फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों के लिए संगीत दिया. बॉलीवुड बिरादरी ने अपने शोक संदेश में जैन को ‘मेधावी संगीतकार’ बताया.
ऋषि कपूर ने कहा, ‘‘रवींद्र जैन, ‘दद्दू’. प्यारे संगीत के लिए आपको धन्यवाद. आपने मेरे लिए हिना की।’ संगीतकार सलीम मर्चेंट ने ट्वीट कर जैन को ‘मेधावी संगीतकार’ बताया.प्रख्यात संस्कृत विद्वान पंडित इंद्रमणि और उनकी पत्नी किरण जैन के परिवार में जन्मे जैन अपने सात भाइयों एवं एक बहन में तीसरी संतान थे. उन्होंने बहुत कम उम्र में ही समीप के मंदिरों में भजन और काव्य गायन शुरु किया था.
नेत्रहीन गायक ने मोहम्मद रफी के साथ बतौर संगीतकार अपना फिल्म करियर शुरु किया लेकिन वह गाना कभी रिलीज नहीं हुआ.बाद में उन्होंने ‘चोर मचाये शोर (1974)’, ‘गीत गाता चल (1975)’, ‘चितचोर (1976)’ और ‘अंखियो के झरोखे से (1978)’, ‘नदिया के पार (1982)’ और ‘विवाह (2006)’ जैसी हिट फिल्मों के गीत दिया.
जैन ने सागर फिल्म्स के कई टीवी धारावाहिकों के लिए भी संगीत दिया। जिन लोकप्रिय धारावाहिकों के लिए उन्होंने संगीत दिया ,उनमें रामानंद सागर की ‘रामायण’, ‘श्रीकृष्णा’, ‘अलिफ लैला’, ‘जयगंगा मैया’, ‘जय महालक्ष्मी’, ‘जय हनुमान’ और ‘धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चव्हाण’ हैं.
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