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Film Review : खाप के खौफ को दर्शाती ”गुड्डू रंगीला”

II अनुप्रिया अनंत II फिल्म : गुड्डू रंगीला कलाकार : अदिति राव हैदरी, अरशद वारसी, अमित साध, रॉनित रॉय निर्देशक : सुभाष कपूर रेटिंग : 3 स्टार सुभाष कपूर की पिछली फिल्में ‘फंस गये रहे ओबामा’ और ‘जॉली एल एल बी’ देखने वाले दर्शक इस बात से वाकिफ होंगे कि सुभाष किस अंदाज के फिल्ममेकर […]

II अनुप्रिया अनंत II

फिल्म : गुड्डू रंगीला

कलाकार : अदिति राव हैदरी, अरशद वारसी, अमित साध, रॉनित रॉय

निर्देशक : सुभाष कपूर

रेटिंग : 3 स्टार

सुभाष कपूर की पिछली फिल्में ‘फंस गये रहे ओबामा’ और ‘जॉली एल एल बी’ देखने वाले दर्शक इस बात से वाकिफ होंगे कि सुभाष किस अंदाज के फिल्ममेकर हैं. फिल्‍म ‘गुड्डू रंगीला’ के रूप में वे हास्य माध्यम के जरिये एक बेहद संजीदा मुद्दा खाप की कहानी बयां करते हैं कि खाप पंचायत किस तरह आज भी जुर्म बरपा रहा है.

लेकिन किस तरह प्रशासन, सरकार सब अपने माथे टेकते हैं. ‘गुड्डू रंगीला’ उसी की दास्तां हैं. गुड्डू और रंगीला चचेरे भाई हैं और दोनों ऑकेस्ट्रा चलाते हैं. गुड्डू को पैसे की जरूरत है. चूंकि उसे वकील को पैसे देने हैं. जो उसकी पत्नी की खाप पंचायत में हुई हत्या का केस लड़ रहा है. गुड्डू के पिता को भी बिल्लू नामक पहलवान ने भरे बाजार में जला डाला था.

रंगीला चाहता है कि वह दोनों मौतों का बदला ले. लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं. चूंकि वह मामूली ऑकेस्ट्रा वाला है. सो, वह एक बंगाली की बातों में आकर एक लड़की की किडनैपिंग की योजना बनाते हैं. लेकिन अपहरण के बाद उनके सामने नयी कहानी आती है. बेबी के अपहरण के बाद बिल्लू पहलवान की एक और करतूत सामने आती है. फिल्म का एक संवाद है…जब बदला पर्सनल हो जाये तो वह पैशिनेट हो जाती है…मसलन रंगीला तय करता है कि उसे हर हाल में बिल्लू से बदला लेना ही है. और वह उसके लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार है.

सुभाष ने हास्य अंदाज में अपनी बात रखने की कोशिश की है. लेकिन कई जगह कहानी खींची सी नजर आती है. लेकिन नये किरदार जुड़ते जाते हैं और उन्हें रोचक तरीके से प्रस्तुत करने की वजह से कहानी बांधे रख पाती है. इस फिल्म की सबसे खास बात फिल्म के कलाकार हैं, अरशद वारसी, अमित साध, अदिति राय, बंगाली का किरदार निभा रहे कलाकार लगभग सभी कलाकारों ने उम्दा अभिनय किया है. लेकिन सबसे अधिक आकर्षित करते हैं रोनित रॉय.

उन्होंने बिल्लू पहलवान का जो किरदार निभाया है. उनकी नकारात्मक छवि देख कर आपको इस किरदार से घिन आने लगेगी और एक कलाकार की इससे बड़ी सफलता क्या होगी. रोनित लगातार अपनी फिल्मों से चौंका रहे हैं. बॉलीवुड के निर्देशकों को उनकी तरफ इस लिहाज से ध्यान दिया जाना चाहिए कि नेगेटिव किरदार निभाने में वे कांचा चिन्हा और गब्बर की श्रेणी में आ सकते हैं. बशर्ते उन्हें अच्छे निर्देशक मिलें.

सुभाष ने रोनित को बखूबी तराशा है और यही वजह है कि वे सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं. फिल्ममें पुलिस प्रशासन की कमजोरियों व उनकी लापरवाही को भी बखूबी दर्शाया गया है. व्यंगात्मक तरीके से निर्देशक ने पुलिस प्रशासन का माखौल उड़ाया है. फिल्म के कुछ संवाद अवश्य याद रखे जायेंगे.खाप पंचायत पर बनी रोचक फिल्मों में से एक फिल्म है .फिल्म के कुछ दृश्यों से ही खाप द्वारा ढाये जाये जुर्म की कहानी लोगों के सामने आती है और आप उस दर्द को महसूस कर सकते कि जहां आज भी खाप है, वहां किस खौफ से जिंदगी जीते होंगे लोग.

हां, लेकिन ‘जॉली एलएलबी’ और ‘फंस गये रे ओबामा’ की तरह फिल्म में गहराई नहीं. ‘गुड्डू रंगीला’ की जोड़ी जय वीरू की जोड़ी सी नजर आती है. खासतौर से सारे एक्शन दृश्य 70 की याद दिलाते हैं. ‘गुड्डू रंगीला’ अगर थोड़े और मजेदार तरीके से चकमा देते नजर आते और अपना जलवा दिखाते तो कहानी में और मजा आ सकता है. गीत संगीत सामान्य है. माता का ईमेल पहले ही लोकप्रिय हो चुका है.

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