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हर सीमा से परे होती हैं अच्छी फिल्में : इरफान

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म अभिनेता इरफान खान ने कहा कि एक अच्छी फिल्म देश दुनिया, भाषा, रंग और मजहब की सीमाओं को लांघ जाती है. दिल्ली आये इरफान ने बताया, भारतीय सिनेमा जोश-खरोश के साथ एक मजेदार दौर में चल रहा है, जहां एक शुद्ध देसी कहानी को भी आज अंतरराष्ट्रीय दर्शक वर्ग हाथों-हाथ […]

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म अभिनेता इरफान खान ने कहा कि एक अच्छी फिल्म देश दुनिया, भाषा, रंग और मजहब की सीमाओं को लांघ जाती है. दिल्ली आये इरफान ने बताया, भारतीय सिनेमा जोश-खरोश के साथ एक मजेदार दौर में चल रहा है, जहां एक शुद्ध देसी कहानी को भी आज अंतरराष्ट्रीय दर्शक वर्ग हाथों-हाथ लेने से कोई गुरेज नहीं कर रहा.

वैश्विकता का पुट

इरफान ने कहा कि कान फेस्टिवल में जब रवि बत्रा द्वारा निर्देशित उनकी फिल्म "लंच बाक्स" दिखायी गयी तो फिल्म की समाप्ति के बाद दर्शकों ने काफी देर तक खड़े होकर तालियां बजायीं. उस दिन मैंने महसूस किया कि अब भारतीय सिनेमा की भाषा में भी वैश्विकता का पुट आ रहा है जहां विशुद्ध देसी कहानी पर बनी फिल्म को देश की सीमाओं के बाहर भी लोग पसंद कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि फिल्म "लंच बाक्स" के सारे "ओवरसीज राइट" बिक चुके हैं और अभी हाल में प्रसिद्ध फिल्म समारोह "टेल्युराइड फिल्म फेस्टिवल" में दर्शकों की विशेष मांग पर इस फिल्म के प्रदर्शन को बढ़ाया गया है.

सच से रुबरु कराने की जद्दोजहद

इरफान ने कहा, एक अच्छी फिल्म मैं उसी को मानता हूं, जो देश दुनिया, रंग-भाषा की सीमाओं को लांघकर आपके दिल को छू जाती हो और आपको कुछ ऐसा सोचने को विवश कर दे जिस ओर आपका पहले ध्यान भी न गया हो. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व स्नातक इरफान ने कहा, हिंदी सिनेमा काफी हद तक फंतासी और कल्पनालोक से सच्चाई के धरातल पर आकर दर्शकों को सच से रुबरु कराने की जद्दोजहद कर रहा है. निर्देशकों, अभिनेताओं की नयी कतार के साथ साथ दर्शक वर्ग भी नया है. दर्शकों की रुचि नयी है. पसंद नयी है. सोचने का अंदाज अलग है. यह हम जैसे कलाकार के लिए कुछ नया सोचने और करने को प्रेरित करता है. इरफान खान ने कहा कि फिल्म "जाने भी दो यारो" के सीक्वल में नसीरुद्दीन शाह के साथ काम करना एक अच्छा अनुभव साबित होगा क्योंकि न सिर्फ एक अच्छी स्क्रप्टि मेरे सामने होगी बल्कि नसीरभाई जैसे एक मझे हुए कलाकार के साथ काम करना अपने आप में एक जोरदार आनंद होगा.

जाने भी दो यारो का सीक्वल

इरफान ने कहा, फिल्म "जाने भी दो यारो" के इस सीक्वल में मैं दिवंगत अभिनेता रवि वासवानी वाली भूमिका में हूं जो वर्ष 1983 में निर्देशक कुन्दन शाह की काफी सफल फिल्म थी. नसीर भाई मेरे अभिनय स्कूल के सीनियर रहे हैं और एक मंझे हुए अभिनेता के साथ काम करने का अपना अलग ही आनंद होता है. उल्लेखनीय है कि पहले इस नाम से बनी फिल्म के कलाकार रवि वासवानी का वर्ष 2010 में निधन हो गया था इसलिए इस सीक्वल में रवि वासवानी की जगह इरफान खान को रखा गया है.

फिल्म पान सिंह तोमर के लिए बेहतरीन अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले इरफान ने कहा कि इस फिल्म की सफलता ने अन्य खिलाड़ियों की जिंदगी पर फिल्म बनाने के लिए कई लोगों को प्रेरित किया है. उन्होंने कहा, मेरी जानकारी में मिल्खा सिंह के बाद अब महिला बाक्सर मेरी कॉम, हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद आदि पर भी फिल्म बनाने की तैयारी चल रही है.नयी दिल्ली. राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म अभिनेता इरफान खान ने कहा कि एक अच्छी फिल्म देश दुनिया, भाषा, रंग और मजहब की सीमाओं को लांघ जाती है. दिल्ली आये इरफान ने बताया, भारतीय सिनेमा जोश-खरोश के साथ एक मजेदार दौर में चल रहा है, जहां एक शुद्ध देसी कहानी को भी आज अंतरराष्ट्रीय दर्शक वर्ग हाथों-हाथ लेने से कोई गुरेज नहीं कर रहा.

वैश्विकता का पुट

इरफान ने कहा कि कान फेस्टिवल में जब रवि बत्रा द्वारा निर्देशित उनकी फिल्म "लंच बाक्स" दिखायी गयी तो फिल्म की समाप्ति के बाद दर्शकों ने काफी देर तक खड़े होकर तालियां बजायीं. उस दिन मैंने महसूस किया कि अब भारतीय सिनेमा की भाषा में भी वैश्विकता का पुट आ रहा है जहां विशुद्ध देसी कहानी पर बनी फिल्म को देश की सीमाओं के बाहर भी लोग पसंद कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि फिल्म "लंच बाक्स" के सारे "ओवरसीज राइट" बिक चुके हैं और अभी हाल में प्रसिद्ध फिल्म समारोह "टेल्युराइड फिल्म फेस्टिवल" में दर्शकों की विशेष मांग पर इस फिल्म के प्रदर्शन को बढ़ाया गया है.

सच से रुबरु कराने की जद्दोजहद

इरफान ने कहा, एक अच्छी फिल्म मैं उसी को मानता हूं, जो देश दुनिया, रंग-भाषा की सीमाओं को लांघकर आपके दिल को छू जाती हो और आपको कुछ ऐसा सोचने को विवश कर दे जिस ओर आपका पहले ध्यान भी न गया हो. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व स्नातक इरफान ने कहा, हिंदी सिनेमा काफी हद तक फंतासी और कल्पनालोक से सच्चाई के धरातल पर आकर दर्शकों को सच से रुबरु कराने की जद्दोजहद कर रहा है. निर्देशकों, अभिनेताओं की नयी कतार के साथ साथ दर्शक वर्ग भी नया है. दर्शकों की रुचि नयी है.

पसंद नयी है. सोचने का अंदाज अलग है. यह हम जैसे कलाकार के लिए कुछ नया सोचने और करने को प्रेरित करता है. इरफान खान ने कहा कि फिल्म "जाने भी दो यारो" के सीक्वल में नसीरुद्दीन शाह के साथ काम करना एक अच्छा अनुभव साबित होगा क्योंकि न सिर्फ एक अच्छी स्क्रप्टि मेरे सामने होगी बल्कि नसीरभाई जैसे एक मझे हुए कलाकार के साथ काम करना अपने आप में एक जोरदार आनंद होगा.

जाने भी दो यारो का सीक्वल

इरफान ने कहा, फिल्म "जाने भी दो यारो" के इस सीक्वल में मैं दिवंगत अभिनेता रवि वासवानी वाली भूमिका में हूं जो वर्ष 1983 में निर्देशक कुन्दन शाह की काफी सफल फिल्म थी. नसीर भाई मेरे अभिनय स्कूल के सीनियर रहे हैं और एक मंझे हुए अभिनेता के साथ काम करने का अपना अलग ही आनंद होता है. उल्लेखनीय है कि पहले इस नाम से बनी फिल्म के कलाकार रवि वासवानी का वर्ष 2010 में निधन हो गया था इसलिए इस सीक्वल में रवि वासवानी की जगह इरफान खान को रखा गया है.

फिल्म पान सिंह तोमर के लिए बेहतरीन अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले इरफान ने कहा कि इस फिल्म की सफलता ने अन्य खिलाड़ियों की जिंदगी पर फिल्म बनाने के लिए कई लोगों को प्रेरित किया है. उन्होंने कहा, मेरी जानकारी में मिल्खा सिंह के बाद अब महिला बाक्सर मेरी कॉम, हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद आदि पर भी फिल्म बनाने की तैयारी चल रही है.

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