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मद्रास कैफे के तमिल संस्करण को सेंसर बोर्ड की मंजूरी नहीं

मदुरै: बॉलीवुड फिल्म ‘मद्रास कैफे’ को तमिल में रिलीज करने में विलंब हो सकता है क्योंकि इसके निर्माताओं ने मद्रास उच्च न्यायालय को आज सूचित किया कि सेंसर बोर्ड से इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्माता के वकील ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने हिंदी में फिल्म […]

मदुरै: बॉलीवुड फिल्म ‘मद्रास कैफे’ को तमिल में रिलीज करने में विलंब हो सकता है क्योंकि इसके निर्माताओं ने मद्रास उच्च न्यायालय को आज सूचित किया कि सेंसर बोर्ड से इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्माता के वकील ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने हिंदी में फिल्म को मंजूरी दे दी है लेकिन इसके तमिल संस्करण को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. याचिका में तमिलनाडु में फिल्म को रिलीज करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.

तमिल संस्करण 23 अगस्त को पूरे राज्य में रिलीज किया जाना है.न्यायमूर्ति एस. राजेश्वरन और टी. मुथिवनन ने कहा कि इस वक्त कोई अंतरिम निर्देश देने की जरुरत नहीं है.राज्य सरकार के वकील ने याचिकाकर्ता के आरोपों से इंकार किया.न्यायाधीशों ने पुलिस महानिदेशक और निर्माता को याचिकाकर्ता के आरोपों का विस्तृत जवाब देने को कहा और मामले की सुनवाई की तारीख तीन सितम्बर तय की.

वकील स्टालिन ने अपनी याचिका में कहा कि फिल्म का बैकग्राउंड श्रीलंका के जातीय तनाव, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या और श्रीलंका में भारतीय शांतिरक्षक सैनिकों के अभियान पर है.उन्होंने आरोप लगाए कि फिल्म तमिलों को राष्ट्रविरोधी और आतंकवादियों के रुप में दर्शाता है और इसलिए इसे तमिलनाडु में प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि ‘मद्रास कैफे’ का वित्तपोषण श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे कर रहे हैं ताकि युद्ध के समय मानवाधिकार उल्लंघनों को सही ठहराया जा सके. पूरी फिल्म में तमिलों को आतंकवादी एवं किराए का टट्टू दिखाया जाना तमिलनाडु में ठीक नहीं होगा.

स्टालिन ने कहा कि लिट्टे और भारतीय शांति रक्षक बल (आईपीकेएफ)के बीच संघर्ष तमिलों को आईपीकेएफ के खिलाफ दर्शाता है जो तमिलों का अनादर है.उन्होंन आश्चर्य जताया कि किसी फिल्म को ‘इतनी जघन्यता, बेहिसाब हिंसा और अश्लीलता’ के साथ सेंसर बोर्ड कैसे मंजूरी दे सकता है.याचिकाकर्ता ने अंतरिम निर्देश देने की मांग की कि फिल्म, निर्माता, निर्देशक, तमिलनाडु के डीजीपी और सेंसर बोर्ड को फिल्म रिलीज करने से रोका जाए और फिल्म के लिए सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने को भी खारिज किया जाए.

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