चेन्नई: अपनी फिल्म ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ को मिली मंजूरी पर उत्पन्न विवाद के बीच डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने आज इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्होंने फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफएसीटी) से हरी झंडी पाने के लिए राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल किया.
उन्होंने यहां संवाददताओं से कहा, ‘‘मैंने कोई दबाव नहीं डाला. मैं बस यह प्रार्थना करता हूं कि मैंने लोगों के फायदे के लिए जो फिल्म बनायी है उसे रिलीज किया किया जाना चाहिए.’’ न्यायाधिकरण ने मंजूरी रोक लेने के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के फैसले को पलट दिया था और उसके जारी होने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. फिल्म के 28-30 जनवरी के बीच रिलीज होने की संभावना है. न्यायाधिकरण से मंजूरी मिलने के बाद बोर्ड की प्रमुख लीला सैमसन और सात अन्य सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया.
जब डेरा सच्चा सौदा प्रमुख से पूछा गया कि क्या उन्हें लीला सैमसन के बारे में कुछ कहना है, जिन्होंने सरकारी हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया, सिंह ने कहा, ‘‘ (किसी विसंगति की स्थिति में) जिला अदालत के आदेश के खिलाफ हम उच्च न्यायालय में जाते हैं और उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध हम उच्चतम न्यायालय जाते हैं तथा शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं. इसी तरह न्यायाधिकरण ने सेंसर बोर्ड के फैसले को बदल दिया. उसका स्वागत किया जाना चाहिए और किसी को उसके खिलाफ अंगुली नहीं उठाना चाहिए. ’’
अपनी फिल्म के प्रचार के लिए यहां आए सिंह ने कहा, ‘‘यह इस बारे में है कि मादक पदार्थ और इस बुरी लत से युवकों को कैसे बचाया जा सकता है. यह यह मादक द्रब्य माफिया नेटवर्क की भी चर्चा करता है. यह युवाओं और उन्हें सशक्त करने के बारे में है. ’’ जब उनसे पूछा गया कि उन जैसे बाबा ने युवाओं तक पहुंचने के लिए सिनेमा को क्यों माध्यम बनाया, उन्होंने कहा, ‘‘यह युवाओं तक पहुंचने का सबसे अच्छा रास्ता है. ’’ उन्होंने बताया कि इस फिल्म का सीक्वेल राजस्थान एवं गुजरात के आदिवासियों के बारे में होगा.
जब उनसे पूछा गय कि क्या उन्हें विश्वास है कि उनके सीक्वेल को मंजूरी मिल जाएगी ऐसे में जब सेंसर बोर्ड में नये सदस्य आ गए हैं, उन्होंने कहा, ‘‘पहली फिल्म के लिए मैंने सारा कुछ ईश्वर पर छोड दिया था. सीक्वेल के लिए भी मैं इसे उनपर ही निर्भर रहूंगा.’’