वर्ष 2014 में कई फिल्मी हस्तियों ने अपने जिदंगी के सफर को अलविदा कह दिया. फिल्म जगत के पास रिचर्ड एटेनबरा, जोहरा सहगल, सुचित्रा सेन, सदाशिव अमरापुरकर जैसी हस्तियों की सिर्फ यादें ही रह गईं.महात्मा गांधी के जीवन को परदे पर उतारने के लिए 20 साल तक मेहनत कर ‘गांधी’ फिल्म का निर्देशन करने वाले ऑस्कर से सम्मानित ब्रिटिश फिल्मकार रिचर्ड एटेनबरा का इस साल 25 अगस्त 2014 को निधन हो गया. वह 90 वर्ष के थे.
उनकी फिल्म ‘गांधी’ 1982 में प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अकादमी पुरस्कार मिला था. उस साल आस्कर पुरस्कारों में ‘गांधी’ फिल्म की धूम रही और उसे आठ श्रेणियों में पुरस्कृत किया गया था. इनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार शामिल हैं.
जानी मानी अभिनेत्री और नृत्य निर्देशक जोहरा सहगल का 10 जुलाई को 102 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने सात दशकों तक थिएटर और सिनेमा में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं.जोहरा ने 1935 में उदय कुमार के साथ बतौर नृत्यांगना करियर की शुरुआत की थी. वह चरित्र कलाकार के तौर पर कई हिंदी फिल्मों में नजर आईं. उन्होंने अंग्रेजी भाषा की फिल्मों, टेलीविजन और रंगमंच के जरिए भी अपने अभिनय की अमिट छाप छोडी.
बंगाली सिनेप्रेमियों के ‘दिलों की रानी’ कहलाने वाली सुचित्रा सेन भी 17 जनवरी 2014 को अलविदा कहकर चली गई.अपनी अलौकिक सुंदरता और बेहतरीन अभिनय के दम पर लगभग तीन दशक तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली सुचित्रा ने ‘अग्निपरीक्षा’, ‘देवदास’ तथा ‘सात पाके बंधा’ जैसी यादगार फिल्में कीं.
वहीं ‘अर्धसत्य’ तथा ‘सडक’ जैसी फिल्मों में दमदार प्रदर्शन करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर का तीन नवंबर 2014 को निधन हो गया.खलनायक और हास्य कलाकार के रुप में दर्शकों के दिलों पर अपनी छाप छोड गए अमरापुरकर ने मुख्य धारा और कला फिल्मों में अपनी सशक्त अभिनय क्षमता दिखाई.
‘नृत्य साम्राज्ञी’ के नाम से मशहूर कथक नृत्यांगना सितारा देवी का लंबी बीमारी के बाद 25 नवंबर को मुंबई में निधन हो गया.’ सितारा देवी ने शास्त्रीय नृत्य विधा को बॉलीवुड में लाने में अग्रणी भूमिका निभायी थी.वर्ष 1920 में तत्कालीन कलकत्ता में जन्मी सितारा ने अपने पिता के संग्रहित विषयों, कविताओं और नृत्यशैली को अपने नृत्य में उकेरा था. सितारा देवी के आसपास के चरित्र उनके नृत्य में जीवंत हो उठते थे.
हिंदी और मराठी फिल्मों में अपने अभिनय की अनूठी छाप छोडने वाली अभिनेत्री नंदा का इस साल 25 मार्च को निधन हो गया. बडी दीदी, परिवार, दिया और तूफान, गुमनाम, तीन देवियां और छलिया जैसी फिल्मों में नंदा का अभिनय आज भी लोगों को याद है.
‘महाभारत’ जैसे धारावाहिक और ‘बागबान’ फिल्म के निर्देशक रवि चोपड़ा का 12 नवंबर को फेफड़ों की बीमारी के चलते 68 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने ‘जमीर’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘मजदूर’, ‘दहलीज’और ‘बाबुल’ सरीखी फिल्मों का निर्देशन किया.वह ‘भूतनाथ’ और ‘भूतनाथ रिटर्न’जैसी फिल्मों के निर्माता भी थे.