आजादी के बाद पहली बार विभाजन के दुष्प्रभाव को प्रस्तुत करती फिल्म ‘गर्महवा’ शुक्रवार को दोबारा रिलीज की गई. ‘गर्म हवा’ वर्ष 1973 में बनी आगरा के मुस्लिम परिवार की दास्तान को बयान करती है. फिल्म में मशहूर अभिनेता बलराज साहनी ने सलीम मिर्जा की मुख्य भूमिका निभाई थी. वहीं ए.के. हंगल और फारुख ने भी फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आये थे. इस फिल्म ने बडी ही सादगी और सच्चाई से विभाजन के बाद देश में रह रहें मुसलमानों की आपबीती को पेश किया था.
फिल्म हलीम मिर्जा और सलीम मिर्जा दो भाइयों की कहानी है. दोनों भाई के परिवार पुश्तैनी हवेली में रहते है. वहीं हलीम मुस्लिम लीग के नेता और हवेली के मालिक भी है. दूसरे भाई सलीम मिर्जा की एक जूते की फैक्ट्री है. सलीम के दो बेटे बाकर और सिकंदर है और एक बेटी अमीना है. अमीना हलीम के बेटे यानि अपने चचेरे भाई कासिम से बेहद मोहब्बत करती है लेकिन दोनों की मोहब्बत कामयाब नहीं हो पाती.
हलीम बेटे को लेकर पाक्स्ितान चले जाते है. कासिम शादी की इच्छा लिये आगरा लौटते है लेकिन कागजात नहीं होने की वजह से पुलिस उन्हें पकडकर वापस पाक्स्ितान भेज देती है. अमीना इस दुख से उपर उठ नहीं पाती. उसकी शादी फुफेरे भाई शमशाद से हो जाती है. शादी हो जाती है लेकिन दोनों के बीच मोहब्बत की कोई जगह ही नहीं रहती.
सलीम आगरा छोडना नहीं चाहते. उनपर बेटी के आत्महत्या और पाक्स्ितानी जासूस होने का लांछन लगता है लेकिन वे इसें सहते है. उनके फैसले पर कोई बदलाव नहीं आता. वो बस यही सोचते है कि गांधी की शहादत बेकार नही जाएगी और एक दिन सब ठीकठाक हो जाएगा. 1973 में प्रदर्शित हुई अन्य हिंदी फिल्मों की तुलना में ‘गर्म हवा’ छोटी फिल्म कही जा सकती है, जिसमें न कोई पॉपुलर स्टार था और न हिंदी फिल्मों के प्रचलित मसाले.’ फिल्म में विभाजन से हुई तकलीफ को बेहद संवेदनशील तरीके से समझाने और दिखाने की कोशिश की गई है.