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जानें, बॉलीवुड की कुछ बोल्ड फिल्मों को

अंकिता पंवार दादा साहेब फाल्के की 1913 में आई राजा हरिशचंद्र से शुरू हुआ बॉलीवुड आज बिल्कुल बदल गया है. यह एक साइलेंट फिल्म थी. फिर पहली बोलती फिल्म आलमआरा आई.लेकिन पहली फिल्म और पहली बोलती फिल्म की चर्चा से आगे बढकर चर्चा अब फिल्मों के विषय को लेकर होती है. बॉलीवुड पर आरोप लगता […]

अंकिता पंवार

दादा साहेब फाल्के की 1913 में आई राजा हरिशचंद्र से शुरू हुआ बॉलीवुड आज बिल्कुल बदल गया है. यह एक साइलेंट फिल्म थी. फिर पहली बोलती फिल्म आलमआरा आई.लेकिन पहली फिल्म और पहली बोलती फिल्म की चर्चा से आगे बढकर चर्चा अब फिल्मों के विषय को लेकर होती है. बॉलीवुड पर आरोप लगता रहा है कि इसने हमेशा लोकप्रियता को भुनाया है और फिल्मों में रिस्क लेने की बजाय बिजनेस पर जोर दिया है.

कहीं न कहीं ये सच है लेकिन पूरी तरह नहीं. बॉलीवुड ने समय समय पर एक ऐसा सिनेमा भी दिया है जिसमें गंभीर विषयों को उठाया है और महिलाओं की सशक्त छवि को भी पेश किया है.

इस तरह की फिल्मों में गाइड, मदर इंडिया, बैंडिट क्वीन, जैसी कई फिल्मे हैं जिसमें नायिकाए सिर्फ हीरो से इश्क फरमाने और नाचने गाने के लिए नहीं है बल्कि फिल्म में उनकी खास जगह भी है.

* आइये हम ऐसी ही 7 फिल्मों पर चर्चा करें

1. फिल्म गाइड

विजय आनंद निर्देशित फिल्म गाइड में वहीदा रहमान और देव आनंद मुख्य भूमिकाओं में थे. यह फिल्म लेखक आर के नारायण के उपन्यास द गाइड पर आधारित है.

1965 में आई फिल्म गाइड अपने समय से आगे की फिल्म है. जिसमें एक शादीशुदा स्त्री को एक अन्य पुरुष से प्रेम करते हुए दिखाया गया. दरअसल असल मुद्दा ये है कि नायिका ये सब बिना किसी से छिपाए या बिना अपराध बोध के करती है. वो भी एक गाइड से.उसकी मंजिल सिर्फ प्यार नहीं है बल्कि वो अपने नृत्य को भी उतनी ही तरजीह देती है.

इस तरह के चरित्रों को फिल्म में नकारात्मक रूप में ही दिखाया जाता रहा है जो पति को छोड़ दे. गाइड ने एक स्त्री चरित्र को मजबूती से उभारा है.

यह तब की बात है जब फिल्म देखना तक बुरा माना जाना था. अगर अभिनय की बात करें तो वहीदा रहमान उस रोल में बिल्कुल परफेक्ट लगी हैं. फिल्म में कहीं भी देव आनंद भारी नहीं पड़े हैं.

2. मदर इंडिया

महबूब खान निर्देशित यह फिल्म आजादी के बाद के गांव के भारत की तस्वीर पेश करती है. जिसमें नायिका राधा (नर्गिस दत्त) जीवन भर संघर्ष करती है और साहूकार के जुल्मों का मुकाबला करते हुए खुद को बचाए रखती है और गांव भर के लोगों के लिए प्रेरणा भी है.

मदर इंडिया के उस सीन को कौन भूल सकता है जब राधा गांव साहूकार की लड़की को बचाने के लिए अपने ही बेटे को ही गोली मार देती है. बेटे को लगता है कि उसकी मां उसे नहीं मारेगी शायद दर्शकों को भी यही लगता है लेकिन अंजाम यह होता है कि राधा (नर्गिस दत्त) अपने ही बेटे बिरजू (सुनील दत्त) को अपने ही हाथों से खत्म कर देती है. नायिका के इस फैसले की वजह से यह फिल्म सिनेमा के इतिहास में अमर हो जाती है.

3. बैंडिट क्वीन

1994 में आई शेखर कपूर निर्देशित बैंडिट क्वीन मशहूर डकैत और बाद में सांसद रहीं फूलन देवी के जीवन पर आधारित है. फिल्म में फूलन देवी की भूमिका सीमा बिस्वास ने निभाई है. सीमा बिस्वास ने जिस आत्मविश्वास ने फूलन देवी की भूमिका निभाई है इसको देखते हुए कहीं भी ये नहीं लगता कि यह सिनेमा है.

लगता है कि घटना बस आंखों के सामने घट रही है. फिल्म ये जस्टिफाई करने में सफल रही है कि फूलन डकैत अपनी मर्जी से नहीं बनी बल्कि उसे पीछे के वो सामाजिक कारण हैं जिसमें एक दलित युवती को मजबूरन हथियार उठाना पड़ा.

अभिनेत्री का साहस वहां पर देखा जा सकता है जब गांव के सवर्ण फूलन को कुंए के पास निर्वस्त्र कर देते हैं. सीन को जिस एंगल से फिल्माया गया वह कहीं भी अश्लील नहीं लगता. फिल्म एक विद्रोही महिला की कहानी को दर्शकों को समझा पाने में सफल हो जाती है.

4. प्यार पेट और पाप

‘फिल्म प्यार पेट’ और पाप में अभिनेता राज बब्बर और स्मिता पाटिल ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. ‘फिल्म प्यार पेट’ एक एक गरीब घर की लड़की की कहानी है. नायिका (स्मिता पाटिल) अनजाने ही पहले से शादीशुदा आदमी (राज बब्बर) से प्रेम करती है. बाद में उसे सच मालूम होता है लेकिन तब तक वो प्रेग्नेंट हो जाती है.

ऐसी फिल्में बहुत कम हैं जिसमें लड़की बिना किसी अपराधबोध के शादी से पहले ही मां बनना स्वीकार करती हो. लड़की ना बड़े घर की है, ना ही लड़की पहले से शादीशुदा प्रेमी से शादी करना चाहती है. मां की मौत, गरीबी से लड़ना और अपने गर्भ को किसी से छिपाए बिना, तमाम जिल्लतों के बाद भी जीने की इच्छा रखती है. इस तरह के बोल्ड विषयों पर कितनी बात करता है सिनेमा.

5. फैशन

मधुर भंडारकर की 2008 में रिलीज फिल्म फैशन ने मजबूती के साथ ग्लैमर की दुनिया का कड़वा सच सबके सामने रखा है. इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा, कंगना राणावत के मुग्धा गोडसे और अरबाज खान ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

नायिका प्रधान इस फिल्म में ग्लैमर की दुनिया में तबाह हो चुकी सफल रही मॉडल (कंगना) की कहानी है. एक छोटे शहर से आई लड़की मेघना माथुर (प्रियंका चोपड़ा) की कहानी है जो खुद को सफल होते हुए देखती है फिर असफल भी

लेकिन उसका संघर्ष इतनी जल्दी खत्म नहीं होता है. वो संघर्ष करती है और और फिर से कामयाब होती है अपने दम पर. ना ही आत्महत्या करती है ना दूर भागती है.

6. हेट स्टोरी 2

इसी साल जुलाई में रिलीज फिल्म हेट स्टोरी 2 का निर्देश विशाल पांडेय ने किया है. पूरी फिल्म सोनिका ( सुरवीन चावला) की कहानी है जिसे दबंग नेता मंदार (सुशान्त सिंह) जबदस्ती अपने रखैल बनाए हुए है. वह शादीशुदा भी है.

मंदार लड़की के प्रेमी अक्षय (जय भंसाली) को मार देता है. लड़की पूरी फिल्म में किसी तरह से मंदार को मार देना चाहती है. लेकिन यह कहानी शायद उतनी महत्वपूर्ण नहीं हो पाती अगर आखिरी दृश्य में हमेशा चुप रहने वाली पत्नी ही बगावत ना करती और अपने पति को मरवाने में सोनिका का साथ ना देती.

7. क्वीन

इसी साल मार्च में रिलीज हुई फिल्म क्वीन भी बहुत महत्वपूर्ण है. फिल्म में कंगना राणावत और राजकुमार राव ने मुख्य भूमिका निभाई है. फिल्म बदलावों को को दिखाते हुए एक लड़की को जीवन जीने का सही मतलब सिखाती है.

कंगना जो कभी घर से बाहर भी अपने छोटे भाई के साथ निकलती है शादी टूट जाने पर रो-रो कर अपना बुरा हाल कर देती है. वही लड़की अकेले ही विदेशों में घूमती है लड़कों के साथ रहती है शराब पीती है और जिंदगी को अपने तरीके से जीने का गुर सीख लेती है. इस चीज को ऊपरी तह से देखने के बजाय इस तरसे से लेना चाहिए कि लड़की अपने फैसले खुद लेती है. यहां तक कि मंगेतर द्वारा दुबारा शादी करने के लिए कहने के बाद उसे मना तक कर देती है.

इस तरह देखा जाए तो बॉलीवुड ने समय समय पर बदलाव का सिनेमा दिया है एक ऐसा सिनेमा जो सिर्फ हंसाने या रुलाने पर यकीन नहीं करता बल्कि कुछ सिखाता भी है.

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