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कभी फिल्मों में गीत लिखने के खिलाफ थे मजरूह सुल्तानपुरी

हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध नगमानिगारों में से एक नाम मजरूह सुल्तानपुरी का बॉलीवुड सफर नौशाद-कारदार-सहगल के जमाने से शुरू हुआ. आगे उन्होंने अनु मलिक, जतिन-ललित से लेकर लीज्ले लुइस लेविस तक के लिए गाने लिखे. खान तिकड़ी पर भी उनके गाने फिल्माये गये हैं. हिंदी सिनेमा में उनका कैरियर पांच दशक लंबा है. हालांकि शुरुआत […]

हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध नगमानिगारों में से एक नाम मजरूह सुल्तानपुरी का बॉलीवुड सफर नौशाद-कारदार-सहगल के जमाने से शुरू हुआ. आगे उन्होंने अनु मलिक, जतिन-ललित से लेकर लीज्ले लुइस लेविस तक के लिए गाने लिखे. खान तिकड़ी पर भी उनके गाने फिल्माये गये हैं. हिंदी सिनेमा में उनका कैरियर पांच दशक लंबा है. हालांकि शुरुआत में मजरूह सुल्तानपुरी फिल्मों के लिए गीत लिखना अच्छा नहीं मानते थे.

जिगर मुरादाबादी ने उन्हें सलाह दी कि फिल्मों के लिए गीत लिखना कोई बुरी बात नहीं. इससे मिली धनराशि में से कुछ पैसे वह अपने परिवार के खर्च के लिए भेज सकते हैं. जिगर मुरादाबादी की सलाह पर मजरूह सुल्तानपुरी फिल्म में गीत लिखने के लिए राजी हो गये. इसके बाद संगीतकार नौशाद ने मजरूह सुल्तानपुरी को एक धुन सुनाई और उस धुन पर एक गीत लिखने कहा. मजरूह के गीत लिखने के अंदाज से नौशाद काफी प्रभावित हुए.

उन्होंने मजरूह से अपनी फिल्म ‘शाहजहां’ के लिए गीत लिखने की पेशकश की. इसके बाद मजरूह ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

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