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मदर्स डे पर विशेषः अभिनेत्रियां और उनकी ममता

नयी दिल्ली: भारतीय फिल्मों में मां की भूमिका की कितनी अहमियत है इसका अंदाजा ‘दीवार’ फिल्म के एक संवाद ‘मेरे पास मां है’ से ही लग जाता है. वर्षों पुराना यह संवाद आज भी हमारे जहन में ताजा है. पर्दे पर कई तरह के किरदार निभाने वाली ये अभिनेत्रियां असल जिंदगी में भी मां के […]

नयी दिल्ली: भारतीय फिल्मों में मां की भूमिका की कितनी अहमियत है इसका अंदाजा ‘दीवार’ फिल्म के एक संवाद ‘मेरे पास मां है’ से ही लग जाता है. वर्षों पुराना यह संवाद आज भी हमारे जहन में ताजा है. पर्दे पर कई तरह के किरदार निभाने वाली ये अभिनेत्रियां असल जिंदगी में भी मां के किरदार को बखूबी जीती हैं. आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ अभिनेत्रियों के बारे में जो सफल नायिकाएं रहीं और असल जिंदगी में बेहतर मां.

फिल्म जगत की मां की बात करें तो निरुपा रॉय का नाम सबसे पहले ध्यान में आता है. 70 के दशक में उनके द्वारा निभाए मां के किरदारों ने फिल्मों में मां के चरित्र को नई उंचाइयां दीं.पर बहुत कम लोगों को पता होगा कि फिल्मों में वे शादी के बाद आइ’ थीं.15 वर्ष की आयु में उनका विवाह कमल रॉय से हुआ था.उनके दो पुत्र योगेश और किरण हैं. फिल्मों के साथ-साथ उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारी भी उस दौर में बखूबी संभाली जिस समय में शादी के बाद फिल्मों में नायिकाओं का आना मुश्किल होता था.

इसी तरह 1957 में नरगिस का ‘मदर इंडिया’ में निभाया गया मां का किरदार भारतीय फिल्म इतिहास में अमर हो गया.1958 में उन्होंने इसी फिल्म में उनके पुत्र का किरदार निभाने वाले सुनील दत्त से शादी की और संजय, नम्रता और प्रिया की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला.हालांकि इस समय में वे फिल्मों से दूर रहीं लेकिन कुछ समय बाद 1967 में उन्होंने फिल्मों में वापसी की और ‘रात और दिन’ फिल्म के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता.

नरगिस के समय की नूतन ने भी अपने अभिनय से सबका दिल जीता.1963 में मां बनने के बाद भी वे लगातार फिल्मों में सक्रिय रहीं और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए अब तक सबसे ज्यादा पांच फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त करने वाली नूतन को इनमें से चार पुरस्कार शादी और परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने के दौरान मिले.

जया बच्चन ने भी फिल्मों में सक्रिय रहते हुए अपने बच्चों की जिम्मेदारी को संभाला.ऐतिहासिक फिल्म ‘शोले’ की शूटिंग के दौरान ही उन्होंने श्वेता को जन्म दिया और 1976 में अभिषेक को.उसके बाद भी वे 1981 तक फिल्मों में सक्रिय रहीं और 18 साल बाद पुन: फिल्मों और राजनीति में सक्रिय हुई और वर्तमान में राज्यसभा की सदस्य हैं.

जया की समकालीन हेमामालिनी ने 1980 में धमेर्ंद्र से विवाह किया और ईशा और आहना को जन्म दिया.1981 में उनकी फिल्म क्रांति रिलीज हुई और शादी के बाद उन्होंने पर्दे पर रजिया सुल्तान के चरित्र को साकार किया.आज भी वे अपनी बेटियों की मां की भूमिका पूरी जिम्मेदारी से निभाने के साथ ही फिल्म और राजनीति दोनों में सक्रिय हैं और मौजूदा समय में मथुरा से लोकसभा चुनाव भी लड रही हैं.

काजोल ने 2006 में शादी की और न्यासा की मां बनने के बाद ‘फना’ फिल्म से वापसी करके सबको अचंभित कर दिया.इस फिल्म के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अपना पांचवा पुरस्कार जीता और 30 साल पहले अपनी मौसी नूतन के द्वारा जीते गए फिल्मफेयर पुरस्कारों के रिकॉर्ड की बराबरी की.इसके बाद काजोल एक बेटे की मां बनीं.

अभिनेत्री रवीना टंडन और सुष्मिता सेन ने मातृत्व को एक नया आयाम प्रदान किया.1995 में रवीना ने अपने फिल्मी करियर के चरम पर होने के दौरान पूजा और छाया को गोद लिया और फिल्मों में भी बराबर सक्रिय रहीं.सुष्मिता सेन ने 2000 में रेनी को गोद लिया और 2010 में अलिशा को.2004 में रवीना ने बिजनेसमैन अनिल थडानी से ब्याह रचाया और अपनी बेटियों पूजा और छाया के साथ दो और बच्चों राशा (लडकी) और रणबीर की मां बनीं.

अपने दौर की सबसे चर्चित अभिनेत्रियों में से एक रहीं माधुरी दीक्षित ने भी 1999 में शादी की और अब वे फिल्मों में अपनी वापसी कर चुकी हैं. हाल ही में रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘गुलाबी गैंग’ और ‘डेढ इश्किया’ ने काफी चर्चा बटोरी.माधुरी के दो बेटे आरिन और रायान हैं. इस तरह हमारी फिल्मों की नायिकाएं जहां फिल्मी पर्दे पर मां के किरदार को जीवंत करती आइ’ हैं वहीं असल जिंदगी में भी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद अपने बच्चों को पूरी ममता से पाला है.

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