Chhath Film Actor Exclusive: बिहार की मिट्टी से IFFI तक पहुंची भोजपुरी फिल्म, Deepak Singh ने बतायी पर्दे के पीछे की अनकही कहानी
Chhath Film Actor Exclusive: नितिन चंद्रा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘छठ’ सिर्फ त्योहार नहीं, परिवार, रिश्तों और संघर्ष की कहानी है. यह बातें अभिनेता दीपक सिंह ने खास बातचीत में कही. उन्होंने बताया कि बिहार के गांव में कठिन शूटिंग और आइएफएफआइ (IFFI) में फिल्म के चयन ने इसे खास बनाया. भोजपुरी सिनेमा की छवि सुधारने, लोकपरंपरा के सम्मान और युवा कलाकारों के लिए उनकी सलाह पर आधारित यह खास इंटरव्यू पढ़ें.
Chhath Film Actor Exclusive: छठ पर्व पर आधारित फिल्म ‘छठ’ के जरिये अभिनेता दीपक सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं.वेव्सओटीटी पर रिलीज होते ही फिल्म ने दर्शकों से गहरा कनेक्ट बनाया. हाल ही में इस फिल्म को गोवा में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आइएफएफआइ) में दिखाया गया. नितिन चंद्रा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में वे मोहित श्रीवास्तव का किरदार निभा रहे हैं. एक पढ़ा-लिखा, भावुक, जिद्दी और परिस्थितियों से जूझता आम बिहारी युवक.
दीपक (Actor Deepak Singh) कहते हैं कि यह फिल्म सिर्फ छठ नहीं, परिवार, परंपरा और रिश्तों की कहानी है. सिवान से उठे इस कलाकार ने भोजपुरी से लेकर तमिल तक अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया है. उन्होंने देसवा, आयाम, द सुपर हसबैंड जैसी कई फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाईं. पेश है हिमांशु देव से बातचीत के प्रमुख अंश..
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Q. छठ में आपके किरदार मोहित की सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?
– मेरा किरदार मोहित श्रीवास्तव एक पढ़ा-लिखा इंजीनियर है, जो विदेश से लौटता है लेकिन अपने परिवारिक और भावनात्मक उलझनों में फंस जाता है. वह तेज दिमाग का है, पर गुस्सैल और जिद्दी भी. उसके इसी कॉन्फ्लिक्ट ने किरदार को चुनौतीपूर्ण बनाया, क्योंकि उसे एक साथ भावुक भी रहना था और आक्रोश भी दिखाना था. उसकी इमोशन जर्नी को समझना मेरे लिए सबसे कठिन हिस्सा था.
Q. फिल्म (Chhath Film) की शूटिंग बिहार के गांव में हुई, किस चुनौती ने सबसे ज्यादा परेशान किया?
– अभिनय तो पहले से तैयार था, पर सबसे बड़ी चुनौती भीषण गर्मी थी. फिल्म हमें छठ से पहले रिलीज करनी थी, इसलिए लगातार 14 दिनों तक सुबह से रात तक शूट करना पड़ा. समस्तीपुर के मिल्की गांव में जून-जुलाई की गर्मी ने शूट को टफ बना दिया, लेकिन टीमवर्क से सब पूरा हुआ.
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Q. छठ पूजा को फिल्माने के दौरान क्या आपने इस त्योहार के बारे में कुछ नया महसूस किया?
– छठ तो हम बचपन से देखते आए हैं. मां, चाची, भाभियां सभी करती रही हैं. नया यह महसूस हुआ कि छठ सिर्फ पूजा नहीं, परिवारों को जोड़ने वाला भाव है. फिल्म की कहानी में छठ एक बैकड्रॉप है, पर असल कहानी है उन रिश्तों की, उन दर्दों की, जो इस त्योहार के समय सामने आते हैं. यही वजह है कि दर्शक इतने जुड़ रहे हैं.
Q. ‘छठ’ का आइएफएफआइ (IFFI) में चयन आपकी नजर में कितना बड़ा मायने रखता है?
– बहुत बड़ा. मुझे लगा जैसे बिहार की मिट्टी की आवाज अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंच गई. यह फिल्म छठ की धार्मिक भावना से ज्यादा उसकी मानवीय संवेदना को दिखाती है. त्याग, परिवार, संघर्ष. शायद इस वजह से आइएफएफआइ में भोजपुरी को नहीं समझने वाले भी देखने पहुंचे.
Q. भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Film) को लेकर आपकी सोच क्या है? अगर बदलाव लाने का मौका मिले तो क्या करेंगे?
– भोजपुरी का गलत चित्रण लोगों के जेहन में बैठ गया है. हम लोग ‘देसवा’ से ही इस इमेज को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. अगर मौका मिले तो मैं चाहूंगा कि बिहार सरकार और बड़े डायरेक्टर्स मिलकर अच्छी भोजपुरी कहानियों को आगे लाएं. बिहार में सब्सिडी की शुरुआत अच्छी है, पर जरूरत है कि जो सिनेमा हमारी भाषा और पहचान को बचा सके उसे प्लैटफॉर्म मिले.
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Q. नीतू चंद्रा और नितिन चंद्रा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
– नीतू मैम (Neetu Chandra) बेहद सपोर्टिव हैं. वो मुझे छोटे भाई की तरह मानती हैं. वहीं, नितिन सर (Nitin Chandra) के साथ काम करना आसान होता है, क्योंकि उन्हें हर सीन का मूड, लाइटिंग, कैरेक्टर स्केच सब पहले से तैयार रहता है. यही प्रोफेशनलिज्म मुझे भोजपुरी करने को तैयार कर गया.
Q. युवा कलाकारों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे?
– सबसे बड़ी चीज, भाषा और उच्चारण पर मेहनत करें. बिहार के कई टैलेंटेड बच्चों की आवाज, डिक्शन या भाषा की कमजोरी उन्हें पीछे कर देती है. इसके अलावा इतिहास और अपने नायकों के बारे में पढ़ें, क्योंकि वही आपको एक मजबूत आंतरिक आधार देता है.
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