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सामाजिक बुराई के खिलाफ युद्ध छेड़ती है यह असमिया फिल्म, चौतरफा मिल रही प्रशंसा

गुवाहाटी : डायन या चुडैल बता कर महिलाओं के साथ मार-पीट करने जैसी सामाजिक बुराई पर बनी असमी फीचर फिल्म को सिनेमा प्रेमियों से चौतरफा प्रशंसा मिल रही है. इस बुराई ने ग्रामीण क्षेत्रों में सैंकड़ों महिलाओं की जानें ली हैं. प्रख्यात नाटककार सीतानाथ लहकर द्वारा निर्मित एई माटिते ने सिनेमा दर्शकों की अंतरात्मा को […]

गुवाहाटी : डायन या चुडैल बता कर महिलाओं के साथ मार-पीट करने जैसी सामाजिक बुराई पर बनी असमी फीचर फिल्म को सिनेमा प्रेमियों से चौतरफा प्रशंसा मिल रही है. इस बुराई ने ग्रामीण क्षेत्रों में सैंकड़ों महिलाओं की जानें ली हैं.
प्रख्यात नाटककार सीतानाथ लहकर द्वारा निर्मित एई माटिते ने सिनेमा दर्शकों की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है. प्रशंसकों को उम्मीद है कि इस मुद्दे को सुलझाने में यह फिल्म सकारात्मक भूमिका निभाएगी. लहकर ने बताया कि असम में डायन बता कर मार-पीट की जाने वाली घटनाओं में सैंकड़ों लोगों ने जानें गंवायी हैं और यही कारण है कि मैंने अपनी पहली फीचर फिल्म के लिए यह विषय इस उम्मीद में चुना कि लोग इस समस्या के प्रति जागरूक होंगे.
एई माटिते लहकर के प्रशंसित नाटक तमासा का रूपांतरण है. इस फिल्म की कहानी, पटकथा, संवाद और गीत के बोल उन्होंने खुद लिखे हैं. यह फिल्म छह अक्तूबर को रिलीज हुई थी

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