बुधवार को कैबिनेट द्वारा पारित नयी शिक्षा नीति में कई बड़े बदलाव किये गये हैं. नयी शिक्षा नीति के जरिये 34 साल से चल रही पुरानी शिक्षा नीति में व्याप्त खामियों को दूर करने का प्रयास किय गया है. बोर्ड परीक्षाओं में किये गये बदलावों को इसमें सबसे बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. इसके तहत वर्ष में दो बार छात्र बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. साथ ही छात्रों को अधिक सीखाने पर जोर दिया गया है. जबकि परीक्षा के मूल्यांकन को कम प्राथमिकता दी गयी है.
आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और शिक्षा मंत्री रमेश निशंक पोखरियाल ने कहा कि कक्षा 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षा आसान होगी और छात्रों को वर्ष में दो बार इन परीक्षाओं में उपस्थित होने की अनुमति होगी. पिछले वर्ष शिक्षा नीति को लेकर जौ मसौदा तैयार किया गया था उसमें भी इस बात का जिक्र था. कोचिंग सेंटर पर छात्रों की निर्भरता कम करने के लिए छात्रों समझने की क्षमता का विकास किया जायेगा ताकि वे विषयों को बेहतर समझ सके, ना कि रटा रटाया ज्ञान हासिल करें.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि फाइनल परीक्षा में फेल होने को खतरे को कम करते हुए छात्रों को किसी भी स्कूली सत्र के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जायेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अलग आवश्यकता हो तो एक मुख्य परीक्षा ली जायेगी और एक सुधार परीक्षा की अनुमति दी जायेगी. नई शिक्षा नीति के अनुसार भविष्य में मॉड्यूलर या सेमेस्टर- वाइज बोर्ड परीक्षा, ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रकार के प्रश्नों के लिए अलग-अलग परीक्षाओं के विभन्न स्तर पर बदलाव किये जाने की संभावना है.
नयी नीति में बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते कहा गया है कि स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 की नयी पाठयक्रम संरचना लागू की जाएगी, जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए होगी. इसमें 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है.
Posted By: Pawan Singh