नयी दिल्ली: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि रेस्तरां में आने वाले ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज नहीं वसूला जा सकता. नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया को इस संबंध में चर्चा के लिए मंत्रालय ने 2 जून को बुलाया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए रेस्तरां एसोसिएशन की बैठक बुलायी है. मंत्रालय ने कहा है कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (एनसीएच) पर उसे बहुत सी शिकायतें मिलीं हैं.
सचिव ने नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन को लिखी चिट्ठी
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इस संबंध में नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें कहा गया है कि रेस्तरां और होटल्स में उपभोक्ता से अनिवार्य रूप से सर्विस चार्ज वसूला जा रहा है. हालांकि, सर्विस चार्ज देना या न देना, पूरी तरह से ग्राहक की मर्जी पर है. कानूनन यह अनिवार्य नहीं है.
सर्विस चार्ज देने से मना करने ग्राहकों की बेइज्जती की जाती है
चिट्ठी में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को सर्विस चार्ज देने के लिए मजबूर किया जाता है. कई रेस्टोरेंट्स ने काफी ज्यादा सर्विस चार्ज लगा रखी है. अगर उपभोक्ता इसे देने से इंकार करता है या उसके कानूनी पहलू पर रेस्टोरेंट के मालिक या मैनेजर से चर्चा करता है, तो उनके साथ बदतमीजी की जाती है. चिट्ठी में कहा गया है कि चूंकि यह मुद्दा उपभोक्ताओं को दैनिक आधार पर प्रभावित करता है और उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए विभाग ने इसे बारीकी से जांच और विस्तार के साथ जांचना आवश्यक समझा.
रोहित कुमार ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि 2 जून को होने वाली बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की जायेगी-
रेस्टोरेंट्स की ओर से सर्विस चार्ज को अनिवार्य करना
किसी अन्य शुल्क या शुल्क की आड़ में बिल में सर्विस चार्ज जोड़ना
उपभोक्ताओं को यह नहीं बताना कि सर्विस चार्ज देना वैकल्पिक और स्वैच्छिक है
सेवा शुल्क का भुगतान करने से मना करने पर उपभोक्ताओं को बेइज्जत करना
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 21 अप्रैल 2017 को इस संबंध में एक गाइडलाइन जारी किया था, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि होटलों/रेस्तराओं में सर्विस चार्ज अनिवार्य नहीं है.