Real Estate: अपना घर हर किसी का सपना होता है. पिछले कुछ सालों में घरों की बिक्री में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है. पहले जहां लोग सस्ते और छोटे घर पसंद कर रहे थे. वहीं, अब लोगों की पसंद बड़ा और महंगा घर बनता जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के आठ प्रमुख शहरों में जनवरी-मार्च, 2024 तिमाही में कुल घरों की बिक्री में 45 लाख रुपये से कम कीमत वाले सस्ते आवास की हिस्सेदारी घटकर 22 प्रतिशत रह गई है. आवास ब्रोकरेज कंपनी प्रॉपटाइगर.कॉम के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में कुल घरों की बिक्री में सस्ते घरों का हिस्सा 48 प्रतिशत रहा था. आंकड़ों के अनुसार, शीर्ष आठ शहरों में जनवरी-मार्च 2024 के दौरान कुल आवास बिक्री 41 प्रतिशत बढ़कर 1,20,640 इकाई हो गई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 85,840 इकाई थी.
25 लाख से कम के घरों की बिक्री 10% घटी
जनवरी-मार्च में बिके कुल 1,20,640 घरों में 25 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों की संख्या पांच प्रतिशत रही. पिछले साल समान अवधि में कुल बिक्री में इस श्रेणी के घरों की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत रही थी. जनवरी-मार्च, 2024 तिमाही में 25-45 लाख रुपये वाले घरों का कुल बिक्री में हिस्सा 17 प्रतिशत रहा है, जो बीते साल समान अवधि में 23 प्रतिशत था.
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रियल एस्टेट नौ साल में 73 प्रतिशत बढ़ा
आवासीय एवं वाणिज्यिक संपत्तियों की बेहतर मांग और उच्च आर्थिक वृद्धि की वजह से भारतीय रियल एस्टेट बाजार का आकार वर्ष 2015 से 73 प्रतिशत उछलकर 482 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. संपत्ति के बारे में परामर्श देने वाली नाइट फ्रैंक और उद्योग मंडल सीआईआई की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का रियल एस्टेट बाजार वर्ष 2034 तक करीब तिगुना होकर 1,487 अरब डॉलर का हो जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रियल एस्टेट बाजार का आकार वर्ष 2015 में 279 अरब डॉलर था और वर्ष 2024 में बढ़कर 482 अरब डॉलर हो चुका है जो कुल आर्थिक उत्पादन का 7.3 प्रतिशत है. बढ़ती अर्थव्यवस्था के समर्थन से देश में रियल एस्टेट क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आया है. भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र का लगभग 250 सहायक उद्योगों से किसी-न-किसी तरह का संबंध है. सलाहकार फर्म ने कहा कि यह कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोजगार पैदा करने वालों में से एक है, जो कुल रोजगार का 18 प्रतिशत है. सीआईआई-नाइट फ्रैंक इंडिया रिपोर्ट का अनुमान है कि 2034 तक भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र का विस्तार 1.5 लाख करोड़ डॉलर तक होने की उम्मीद है, जो कुल आर्थिक उत्पादन में 10.5 प्रतिशत का योगदान देगा.
(भाषा इनपुट के साथ)