Nirmala Sitharaman|EPFO Interest Rate|वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को राज्यसभा में जोर दिया कि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर प्रस्तावित 8.1 प्रतिशत ब्याज दर अन्य छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों से बेहतर है. इसमें संशोधन मौजूदा समय की वास्तविकताओं पर आधारित है. वित्त मंत्री ने सदन में विनियोग विधेयकों पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि ईपीएफओ (EPFO) का केंद्रीय बोर्ड भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर का फैसला करता है. बोर्ड ने ही वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ दर को कम करके 8.1 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव दिया है.
उन्होंने कहा, ‘ईपीएफओ का एक केंद्रीय बोर्ड है, जो यह तय करता है कि किस दर पर ब्ब्याज दिया जाना है, और उन्होंने इसे काफी समय तक नहीं बदला. उन्होंने अब इसे बदल दिया है. 8.1 प्रतिशत.’ वित्त मंत्री ने कहा कि ईपीएफओ ने ब्याज दर को 8.1 प्रतिशत रखने का आह्वान किया है, जबकि सुकन्या समृद्धि योजना (7.6 प्रतिशत), वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (7.4 प्रतिशत) और पीपीएफ (7.1 प्रतिशत) सहित अन्य योजनाओं में मिलने वाली दरें बहुत कम हैं.
उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का मूल्यांकन वैज्ञानिक तरीके से किया गया है और इसका खुलासा सेबी के पास आईपीओ को लेकर जमा विवरण पुस्तिका में किया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 2022-23 में 8.17 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और चालू वित्त वर्ष के लिए 7.45 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है.
सार्वजनिक बीमा कंपनियों में 5000 करोड़ रुपये डालेगी सरकार
उन्होंने कहा कि अनुपूरक अनुदान मांग में सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में पूंजी डाले जाने को लेकर 5,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है. वित्त मंत्री ने 2021-22 के अनुदान की अनुपूरक मांगों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने उर्वरक सब्सिडी, नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (नाबार्ड) में पूंजी डालने के लिए अतिरिक्त कोष मांगा है.
कई काम उम्मीद से ज्यादा तेजी से हुए
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई कार्य उम्मीद से तेजी से हुए, जिनके लिए उस समय व्यय करना जरूरी हुआ. उन्होंने कहा कि राशि का एक बड़ा हिस्सा आम लोगों को योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा कि सरकार ने यूरिया की ऊंची लागत का बोझ खुद उठाया और इसका भार किसानों पर नहीं डाला. निर्मला सीतारमण ने इस बात से इंकार किया कि वित्त वर्ष 2018-19 में हुए अतिरिक्त व्यय के लिए संसदीय मंजूरी लेने में सरकार ने देरी की है.
उन्होंने वित्त वर्ष 2021-22 के अनुदान की अनुपूरक मांगों तथा वित्त वर्ष 2018-19 के अतिरिक्त अनुदान की मांगों पर सदन में हुई चर्चा के जवाब में यह टिप्पणी की. चर्चा के दौरान सदस्यों ने कहा था कि सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए अतिरिक्त अनुदान की मांगों को अब पेश किया है. वित्त मंत्री ने कहा कि यह विषय लोक लेखा समिति के पास था और उसने सरकार से कहा था कि वह इस अतिरिक्त व्यय को नियमित करने के लिए संसद से मंजूरी ले.
विनियोग विधेयकों को सदन ने लौटाया
उन्होंने कहा कि सरकार को समिति की रिपोर्ट फरवरी 2021 में मिली थी और जून 2022 तक सरकार को मंजूरी लेने के लिए समय दिया गया था. उनके जवाब के बाद सदन ने संबंधित विनियोग विधेयकों को लौटा दिया. लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है.
Posted By: Mithilesh Jha