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स्टेशनों के पुनर्विकास में कछुआ गति को देख संसदीय समिति ने रेलवे को लगायी फटकार, कहा – काम में लायी जाये तेजी

नयी दिल्ली : संसदीय समिति ने स्टेशनों के पुनर्विकास के मामले में चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत रेलवे स्टेशनों के आसपास किसी भी जमीन के टुकडे अथवा खुले स्थान को अब तक वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए विकसित नहीं किया गया है. रेलवे कन्वेंशन कमेटी (आरसीसी) ने अपनी ताजा […]

नयी दिल्ली : संसदीय समिति ने स्टेशनों के पुनर्विकास के मामले में चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत रेलवे स्टेशनों के आसपास किसी भी जमीन के टुकडे अथवा खुले स्थान को अब तक वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए विकसित नहीं किया गया है. रेलवे कन्वेंशन कमेटी (आरसीसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में रेलवे से कहा है कि वह इस मसले पर जल्द गौर करे, ताकि हर बार रेल बजट में इस संबंध में घोषित लक्ष्यों को हासिल किया जा सके.

रेलवे की पुनर्विकास योजना में इस बात पर जोर दिया गया है कि देश के स्टेशनों को नये सिरे से विकसित करने की पूरी लागत स्टेशनों के आसपास की जमीन और खुली जगह को वाणिज्यिक विकास के लिए उपलब्ध कराया जायेगा. बीजू जनता दल के सांसद भतृहरि माहताब की अध्यक्षता वाली रेलवे कन्वेंशन कमेटी के अनुसार, वर्ष 2015 से 2019 के बीच रेलवे को विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 8.56 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी. इसमें से करीब 1.20 लाख करोड़ रुपये की राशि सार्वजनिक निजी भागीदारी सहित बजट से बाहर अतिरिक्त स्रोतों से जुटायी जायेगी.

18 सदस्यीय समिति ने रेलवे से कहा है कि बंदरगाह संपर्क वाली तीन संयुक्त उद्यम परियोजनाओं को वह जल्द पूरा करे. समिति ने संसद को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे को ओबुलावरीपल्ले-वेंकटाचलम नयी लाइन, अंगुल- सुकिंडा नयी लाइन और हरिदासपुर-पाराद्वीप नयी लाइन के काम में तेजी लायी जानी चाहिए, ताकि रेलवे के क्षमता विस्तार में तय कार्यक्रम के मुताबिक तेजी लायी जा सके. समिति ने रेलवे से कंटेनर गाड़ी को चलाने के लिए और अधिक निजी परिचालकों को अपने साथ जोड़ने के लिए कहा है. ऐसा करने से रेलवे की माल ढुलाई क्षमता और बढ़ेगी और राजस्व में भी वृद्धि होगी.

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