नयी दिल्ली : 500 व 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर किये जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि कम से कम तीन लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकिंग सिस्टम में नहीं पहुंच पायेंगे. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. शनिवार को आरबीआइ की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 30 दिसंबर, 2016 तक 500 और 1000 के पुराने नोटों में से 97 फीसदी बैंकों में वापस आ चुके थे. नोटबंदी के बाद सिर्फ 54,000 करोड़ रुपये के पुराने नोट वापस नहीं आ पाये हैं. आरबीआइ की ओर से आखिरी बार 19 दिसंबर को यह जानकारी दी गयी कि नोटबंदी के बाद कितने पुराने नोट वापस लौटे हैं. हालांकि नये नोट जारी करने को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गयी है.
आरबीआइ की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, छह जनवरी तक कुल 8.98 लाख करोड़ रुपये की करेंसी चलन में थी, इसमें 500 और 2000 रुपये के नये नोटों के अलावा 100, 50, 20 और 10 रुपये की छोटी करंसी के नोट भी शामिल हैं. गौरतलब है कि पांच जनवरी को ब्लूमबर्ग की ओर से जारी रिपोर्ट में 97 फीसदी पुराने नोटों के बैंकिंग सिस्टम में लौटने की बात कही गयी. हालांकि आरबीआइ ने कहा था कि वापस आये नोटों की एक बार फिर से गिनती करनी होगी.
नोटबंदी : अपमानित महसूस कर रहे कर्मियों की गवर्नर से शिकायत
मुंबई. नोटबंदी के बाद के घटनाक्रमों से ‘अपमानित’ महसूस कर रहे रिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने गवर्नर उर्जित पटेल को चिट्ठी लिख कर अपना विरोध दर्ज कराया है. पत्र में नोटबंदी की प्रक्रिया के परिचालन में कुप्रबंधन व बैंक में वित्त मंत्रालय के अधिकारी की नियुक्ति पर सवाल उठाये गये हैं. इसे आरबीआइ की छवि और स्वायत्तता को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है. इसके अलावा मुद्रा प्रबंधन के आरबीआइ के विशेष कार्य के लिए वित्त मंत्रालय के एक अफसर की नियुक्ति को ‘जबरदस्त अतिक्रमण’ बताया. पत्र में यूनाइटेड फोरम ऑफ रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एंड इम्पलाइज ने कहा कि बैंक की दक्षता व स्वतंत्रता वाली छवि दशकों की मेहनत से बनी थी, लेकिन इसे एक झटके में ही खत्म कर दिया गया. यह फोरम बैंक के 18,000 कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.