।। विश्वत सेन ।।
देश में व्याप्त खाद्य महंगाई दर को कम करने की दिशा में सरकार की ओर से भले ही कथित तौर पर अनेक प्रयास किये जा रहे हों, फिर भी यह थमने का नाम नहीं ले रही है. स्थिति यह है कि यदि इस पर जल्द ही काबू नहीं पाया गया, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है.
महंगाई दर में लगातार वृद्धि का ही नतीजा है कि देश में अमीरी-गरीबी के बीच की खाई भी खतरनाक तरीके से बढ़ रही है. विश्व की अर्थव्यवस्था पर नजर रखनेवाली रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अभी हाल ही में जारी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है. एजेंसी ने कहा है कि भारत की उच्च महंगाई दर सरकार के वित्तीय और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकती है.
एजेंसी ने भारत की खाद्य महंगाई दर को बढ़ने के पीछे सरकार की अदूरदर्शिता से बढ़ी खाद्य सामग्रियों की कीमतों में बढ़ोतरी, बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों पर दी जानेवाली सब्सिडी और बजट घाटे को प्रमुख कारण बताया है. उसने कहा है कि सरकार की अदूरदर्शिता तुलनीय उभरते बाजारों में महंगाई दर के सापेक्ष रही है. रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा है कि खाद्य महंगाई बढ़ने से फरवरी महीने में अचानक खाद्य पदार्थों की मांग में गिरावट दर्ज की गयी है. इसके साथ ही मांग और आपूर्ति में भी अंतर आया है.
मूडीज की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि भारत का धीमा विकास, उच्च मुद्रास्फीति, बड़े पैमाने पर राजकोषीय व चालू खाता घाटा लगातार खाद्य महंगाई दर को बढ़ाने के अन्य अहम कारक साबित हुए हैं. मूडीज ने आगाह किया है कि खाद्य महंगाई दर बढ़ने से देश में अमीरी-गरीबी सूचकांक में भी गिरावट आयी है. बता दें कि चालू फरवरी महीने में खाद्य सामगियों की कीमतों में 11.4 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है, जबकि वर्ष 2013 के इसी महीने में खाद्य सामग्रियों की कीमतों में 6.8 फीसदी इजाफा हुआ था. यह स्थिति तब है, जब देश में महंगाई दर 3.8 प्रतिशत दर्ज की गयी है.
मूडीज ने दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में खाद्य महंगाई को सबसे अधिक बताया है. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हालांकि खाद्य महंगाई दर कहीं भी वांछित नहीं है, लेकिन यह विशेष रूप से भारत की आर्थिक और नीतिगत ढांचा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य महंगाई दर से खपत, सरकारी वित्त, भुगतान संतुलन और मौद्रिक नीति में लचीलापन आ सकता है. इससे पहले विश्व बैंक ने भी भारत को इस हानि के बारे में चेताया था.
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