नयी दिल्ली : रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने अपने टावर कारोबार को बेचने के लिए कनाडा की ब्रुकफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर और संस्थागत भागीदारों के साथ बाध्यकारी करार किया है. इसके लिए कंपनी को नकद में 11,000 करोड़ रुपये मिलेंगे. कंपनी ने बयान में कहा, ‘आरकॉम को कुछ शर्तों के साथ भविष्य में कारोबार में 49 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि होने की स्थिति में बी श्रेणी के गैर वोटिंग शेयर भी मिलेंगे.’ कंपनी इस बिक्री से प्राप्त राशि का इस्तेमाल सिर्फ अपने कर्ज के बोझ को कम करने के लिए करेगी. टावर कारोबार को एक अलग कंपनी के रूप में विभाजित किया जाएगा. इसका शतप्रतिशत स्वामित्व और प्रबंधन ब्रुकफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर के पास रहेगा.
यह सौदा किसी विदेशी वित्तीय निवेशक द्वारा देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में किया गया सबसे बड़ा निवेश है. अनिल अंबानी प्रवर्तित आरकॉम तथा उनके भाई मुकेश अंबानी की 4जी दूरसंचार उपक्रम रिलायंस जियो टावर कंपनी की दीर्घावधि ‘किरायेदार’ बनी रहेंगी. बयान में कहा गया है कि डाटा खपत बढ़ने से आरकॉम को किराये पर टावर लेने वालों की संख्या में बढोतरी के मद्देनजर भविष्य में उल्लेखनीय मूल्यवर्धन की उम्मीद है.
इसका ब्योरा देते हुए आरकॉम ने कहा कि एयरसेल के साथ उसके वायरलेस कारोबार तथा टावर परिचालन के मौद्रिकरण से कंपनी का कर्ज का बोझ करीब 31,000 करोड़ रुपये या 4.6 अरब डालर या करीब 70 प्रतिशत घट सकेगा. बयान में कहा गया है कि आरकॉम के पास एयरसेल संयुक्त उपक्रम में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी कायम रहेगी. जबकि उसके पास टावर कारोबार में बढ़ोतरी का 49 प्रतिशत रहेगा, जिसकी मौद्रिकरण उचित समय पर किया जाएगा जिससे ऋण के बोझ में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी.
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने आगे कहा कि टावर कारोबार का मौद्रिकरण एक उल्लेखनीय कदम है. उल्लेखनीय है कि अक्तूबर के मध्य में आरकॉम ने ब्रुकफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर समूह के साथ राष्ट्रीय स्तर पर टावर संपत्तियों और संबंधित ढांचे की बिक्री के लिए गैर बाध्यकारी ‘टर्म शीट’ पर दस्तखत की घोषणा की थी. इससे पहले फिच रेटिंग्स ने कल रिलायंस कम्युनिकेशंस की क्रेडिट रेटिंग को नीचे करते हुए कहा था कि उसका मानना है कि कंपनी की एयरसेल के साथ संयुक्त उद्यम की योजना तथा टावर इकाई की बिक्री का प्रस्ताव साख की दृष्टि से नकारात्मक है.
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