नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ने आज अपनी नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है साथ ही नकदी आपूर्ति बढ़ाने के भी कई उपाय किए हैं. आरबीआई के इस कदम से बैंकों को उत्पादक क्षेत्रों को ऋण सहायता देने के लिए सस्ता और अधिक धन उपलब्ध होने की संभावना है. आपको बता दें कि रेपो वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को उनकी तात्कालिक जरूरत के लिए धन उधार देता है. आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन ने आज अप्रैल- मार्च 2016-17 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी की और कहा कि इस समय स्थापित उत्पादन क्षमता का पूरा उपायोग नहीं हो पाने के कारण निजी निवेश का स्तर कम है. आईए कुछ बिंदु के जरिए जानते हैं आरबीआई मुख्यबातें….
आरबीआई की वर्ष 2016-17 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
1. रेपो दर 0.25 प्रतिशत घट कर 6.50 प्रतिशत पर.
2. रिवर्स रेपो 0.25 प्रतिशत बढ कर 6.0 प्रतिशत.
3. नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित.
4. बैंकों को सीआरआर के तहत आरबीआई के पास अब दैनिक स्तर पर न्यूनतम 90 प्रतिशत नकदी ही रखनी होगी. अभी तक यह सीमा 95 प्रतिशत थी.
5. नकदी की सीमांत अतिरिक्त सुविधा और ब्याज और उसके अनुसार बैंक दर 0.75 प्रतिशत कम कर 7.0 प्रतिशत की गयीं जिससे बैंकों के धन की लागत और कम होगी.
6. आने वाले दिनों में नीति उदार बनी रहेगी.
7. वित्त वर्ष 2016-17 के लिए वृद्धि दर का अनुमान 7.6 प्रतिशत.
8. मुद्रास्फीति करीब पांच प्रतिशत रहने का अनुमान.
9. लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कमी, धन की सीमांत लागत पर रिणों पर ब्याज दर (एमसीएलआर) व्यवस्था से मौद्रिक नीति का असर ग्राहकों तक और अच्छी तरह पहुंचेगा.
10. सरकार के राजकोषीय पुनर्गठन के मार्ग पर कायम रहने से मुद्रास्फीति घटाने में मदद मिलेगी.
11. सातवें वेतन आयोग से मुद्रास्फीति 1.5 प्रतिशत तक बढ सकती है.
12. कस्टोडियन बैंकों के लिए लाइसेंस देने का प्रस्ताव जो बडे और दीर्घकालिक रिण देंगे.
13. दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति सात जून को.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.