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विजय माल्या मामले में 24 अप्रैल को अंतिम बहस की सुनवाई करेगी अदालत

नयी दिल्ली:दिल्ली की एक अदालत ने शराब कारोबारी विजय माल्या से संबंधित मामले में अंतिम बहस की सुनवाई के लिए 24 अप्रैल की तारीख तय की है. यह मामला माल्या द्वारा कथित तौर पर विदेशी विनिमय नियमों के उल्लंघन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन से बचने का है. यह मामला मुख्य मेट्रोपालिटन […]

नयी दिल्ली:दिल्ली की एक अदालत ने शराब कारोबारी विजय माल्या से संबंधित मामले में अंतिम बहस की सुनवाई के लिए 24 अप्रैल की तारीख तय की है. यह मामला माल्या द्वारा कथित तौर पर विदेशी विनिमय नियमों के उल्लंघन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन से बचने का है. यह मामला मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट सुमित दास के समक्ष सुनवाई के लिए आया.

अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगले महीने की तारीख तय की है. ईडी का आरोप है कि माल्या ने विदेशी विनिमय नियमन कानून (फेरा) का उल्लंघन किया है. यह मामला कंपनी के शराब उत्पादों के विदेश में प्रचार के लिए धन जुटाने से संबंधित है. ईडी ने दावा किया कि दिसंबर, 1995 में लंदन की कंपनी बेनेटन फार्मूला के साथ किंगफिशर ब्रांड के विदेश में प्रचार के लिए किए गए अनुबंध के मामले में माल्या को चार बार समन किया गया.

प्राथमिकी दर्ज किये जाने के महीनों बाद CBI नहीं भेज पाया अनुरोध पत्र

किंगफिशर एयरलाइंस के ऋण की कथित हेराफेरी की जांच के सिलसिले में सीबीआई अपने अधिकारी की सिफारिश के आठ महीने बाद भी संबंधित देशों को अनुरोध पत्र नहीं भेज पायी. जांच में सहयोग के लिए ये अदालती अनुरोध पत्र उन देशों को भेजे जाने थे जहां आईडीबीआई बैंक से लिये गये कर्ज के पैसे भेजे गये होने का संदेह है. सीबीआई को संदेह है कि आईडीबीआई बैंक से लिये गये कर्ज का बडा हिस्से का उपयोग पट्टा किराया, विमान के कल-पुर्जे की खरीद को लेकर विदेशों में भेजने में किया गया। आईडीबीआई बैंक से लिये गए कर्ज को बाद में एक्सिस बैंक को स्थानांरित किया गया.

मामले की शुरुआती जांच के बाद 28 जुलाई 2015 को इंस्पेक्टर वर्षा वर्मा ने सिफारिश की थी, ‘‘चूंकि ये धन देश से बाहर भेजे गये, अत: विदेशी जांच के लिये अनुरोध पत्र भेजकर ही आगे की जांच की जा सकती है.’ एजेंसी ने अगले दिन प्राथमिकी दर्ज की थी लेकिन उसके करीब तीन महीने बाद तलाशी ली गयी.यह पूछे जाने पर कि क्या अनुरोध पत्र भेजे गये हैं, सीबीआई सूत्रों ने कहा, ‘‘इसकी प्रक्रिया जारी है.’ सीबीआई निदेशक अनिल सिन्हा ने हाल ही में भारतीय बैंक संघ को संबोधित करते हुए कहा था कि मामला जुलाई 2015 में दर्ज किया गया लेकिन कर्ज 2004 से 2012 के दौरान लिये गये.उन्होंने कहा था, ‘‘हालांकि हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद बैंक ने सीबीआई के समक्ष शिकायत दर्ज नहीं की. हमें अपने स्वयं की पहल पर मामला दर्ज करना पडा था’

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