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म्यूचुअल फंड से बनायें दौलत

लंबी अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने का बेहतरीन निवेश विकल्प म्यूचुअल फंड (साझा कोष) एक वित्तीय उत्पाद है, जो विभिन्न लोगों से पैसा इकट्ठा करता है और उनकी तरफ से इक्विटी, ऋण (डेट) और सोने जैसी विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करता है. वित्तीय लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से म्यूचुअल फंड […]

लंबी अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने का बेहतरीन निवेश विकल्प

म्यूचुअल फंड (साझा कोष) एक वित्तीय उत्पाद है, जो विभिन्न लोगों से पैसा इकट्ठा करता है और उनकी तरफ से इक्विटी, ऋण (डेट) और सोने जैसी विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करता है. वित्तीय लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से म्यूचुअल फंड योजनाओं के अनेक विकल्प उपलब्ध हैं. म्यूचुअल फंड योजनाओं की खासियत है, उनका सीधा-सादा, वहन करने योग्य, पेशेवर ढंग से प्रबंधित, विविधीकृत और तरल होना. म्यूचुअल फंड आपको विभिन्न परिसंपत्ति श्रेणियों में निवेश करने की सहूलियत देते हैं. इसमें निवेश के लिए कोई निश्चित समय अवधि तय नहीं होती, जब चाहे आप निवेश बंद कर सकते हैं.

म्यू चुअल फंड आपको रोज-ब-रोज शेयर बाजार पर नजर रखने से आजादी देता है. कौन-सा शेयर गिर रहा है, कौन चढ़ रहा है और कौन सही भाव पर उपलब्ध है, यह सब जानने की जहमत आपको नहीं उठानी पड़ती. आपको उन आर्थिक नीतियों और खबरों पर भी नजर नहीं रखनी पड़ती, जो विभिन्न सेक्टरों के शेयरों को प्रभावित करते हैं.

कुल मिला कर कहें, तो म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए आपको वित्तीय विशेषज्ञ बनने की जरूरत नहीं होती. निवेश से जुड़े सारे फैसले फंड मैनेजर लेता है जो आपके पैसे का पेशेवर ढंग से प्रबंधन करता है. इसके बदले में, इस क्षेत्र के नियामक सेबी ने उन्हें कुल कोष का एक छोटा सा प्रतिशत लेने की अनुमति दे रखी है. म्यूचुअल फंड योजनाएं बहुत कम शुल्क व खर्च के लिहाज से भी आकर्षक हैं. लंबे समय में दौलत खड़ी करने के लिए म्यूचुअल फंड योजनाएं बहुत बढ़िया हैं, क्योंकि ये एकमुश्त के साथ थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करने की भी अनुमति देती हैं.

पहला कदम

बजट बनायें : फिजूलखर्ची रोकने के लिए बजट बनाना जरूरी है. इससे आप बचत कर पायेंगे और बचत को बच्चों की पढ़ाई, अपनी सेवानिवृत्ति, घर खरीदने जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए निवेश कर पायेंगे. बजट बना कर आप टेलीफोन, किराना आदि के खर्च में कटौती कर पायेंगे. साथ ही इससे सैर-सपाटे, फिल्म देखने, रेस्तरां में खाने जैसे खर्चो पर लगाम लगेगी.

बचत और निवेश : सिर्फ बचत करके आप दौलत नहीं बना सकते. इसके लिए जरूरी है कि आप ऐसे वित्तीय उपकरणों में निवेश करें, जिनसे मिलनेवाला रिटर्न मुद्रास्फीति या महंगाई को मात दे सके. इसके अलावा, एक प्रमुख सूत्र यह है कि आप जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, आपके पैसे को फूलने-फलने का उतना ही ज्यादा समय मिलेगा.

अगर आप जल्दी बचत शुरू करते हैं, छोटी रकम ही सही, तो इससे बड़ा कोष संचित किया जा सकता है. इसके लिए नियम है कि नियमित रूप से निवेश करें और रिटर्न का भी निवेश करते रहें. उदाहरण के लिए, ‘क’ 25 साल की उम्र में हर महीने 2500 रुपये का निवेश शुरू करता है. ‘ख’ की उम्र भी ‘क ’ के बराबर है, पर वह 10 साल बाद 5000 रुपये महीने निवेश शुरू करता है. जब दोनों 45 साल के हो जायेंगे, तो ‘क’ के पास संचित धन 22.78 लाख रुपये होगा, जबकि ‘ख’ के पास इसका सिर्फ आधा, 11.09 लाख रुपये होगा (सालाना 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से).

जल्दी निवेश शुरू करने से नियमित रूप से निवेश करने का अनुशासन भी आता है. अगर इक्विटी फंड के लिहाज से बात करें, तो शेयर बाजार में छोटी और मध्यम अवधि में काफी उतार-चढ़ाव में रहता है, पर लंबी अवधि में इसका औसतीकरण हो जाता है. यानी जो निवेशक बहुत लंबे समय तक निवेशित रहता है, वह शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की मार से बच जाता है. इसके अलावा, निवेशक के बतौर हम शुरुआत में जो गलतियां करते हैं, उससे सीखने का भी समय मिल जाता है.

फंड का चयन

यह सही है कि शेयर बाजार में सीधे निवेश करने के मुकाबले म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश करना कम जोखिम भरा है, लेकिन फिर भी हमें सही योजना के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए. खासकर अगर हम उसे दीर्घकालिक लक्ष्य पूरे करने के लिए चुन रहे हों. आज जिस योजना में निवेश करना चाह रहे हैं, उसे कुछ कसौटियों पर कसना चाहिए.

लंबे समय में प्रदर्शन : फंड चुनते समय छोटी नहीं, बल्कि लंबी अवधि का प्रदर्शन देखना चाहिए. इससे आपको पता चल जायेगा कि बाजार की विभिन्न स्थितियों में फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है. एक खास समय में एक ही फंड परिवार की अलग-अलग योजनाओं का प्रदर्शन नीचे-ऊपर हो सकता है, क्योंकि उनके फंड मैनेजर और लक्ष्य अलग होते हैं. इसलिए लक्षित स्कीम के प्रदर्शन के साथ उसके बेंचमार्क और उसकी जैसी अन्य स्कीमों के प्रदर्शन पर भी गौर करें.

जोखिम लेने की क्षमता : आप विभिन्न योजनाओं की जोखिम और रिटर्न के पैमाने पर रैंकिंग कर सकते हैं. सबसे ज्यादा जोखिम सेक्टर आधारित योजनाओं में होता है. इसके बाद इन योजनाओं में जोखिम क्रमश: घटता जाता है- ग्रोथ स्कीम, बैलेंस्ड स्कीम, डेट स्कीम और सरकारी बांड स्कीम. जोखिम लेने की आपकी क्षमता चाहे जितनी हो, लेकिन इक्विटी के साथ-साथ आपका निवेश डेट फंड में भी जरूर होना चाहिए. डेट फंड छोटी और दीर्घ अवधि, दोनों तरह के होते हैं. आपको इनमें से अपने वित्तीय लक्ष्य के मुताबिक चयन करना चाहिए. जो लक्ष्य तीन साल या उससे ज्यादा दूर हों, उनके लिए दीर्घकालिक आय फंड में निवेश करें.

ये फंड लंबी अवधि की प्रतिभूतियों वाले होते हैं. दीर्घकालिक परिपक्वता वाला पोर्टफोलियो गिरती ब्याज दरों के समय में अच्छा रिटर्न कमाता है, साथ ही इक्विटी में निवेश न होने की वजह से बड़ी गिरावट का खतरा भी नहीं रहता. तीन साल से कम के लक्ष्यों के लिए लघु अवधि के डेट फंड में निवेश करें. इनके साथ, अति लघु अवधि के फंड भी हैं, जो तीन से छह महीने के लिए कारगर होते हैं. लक्ष्य की मियाद के हिसाब से पैसे को डेट फंड में रखना आयकर के लिहाज से बैंकों के सावधि जमा (एफडी) में रखने के मुकाबले फायदेमंद है. खास कर उन लोगों के लिए जिनकी आय सबसे ऊंची कर दर में आती है.

अधिकतर म्यूचुअल फंड योजनाएं ग्रोथ और लाभांश विकल्प में चुनाव का विकल्प देती हैं. अगर आपका मकसद दौलत इकट्ठी करना है, तो ग्रोथ विकल्प चुनें. हालांकि आप चाहें तो लाभांश विकल्प में लाभांश के पुनर्निवेश की सुविधा ले सकते हैं. इसमें लाभांश में मिली रकम का खुद-ब-खुद निवेश कर दिया जाता है.

श्रेणियों को जानें

आपको म्यूचुअल फंड योजनाओं की प्रमुख श्रेणियों के बारे में अवश्य जानना चाहिए. मसलन, आपको इक्विटी फंड, डेट फंड, इनकम फंड, गिल्ट फंड आदि के बीच अंतर को जरूर समझना चाहिए. ये फंड कहां निवेश करते हैं, किन आर्थिक पहलुओं से प्रभावित होते हैं और इनसे कितना रिटर्न मिल सकता है. इससे आप अपनी जोखिम क्षमता और लक्ष्य के हिसाब से सही योजना का चयन कर पायेंगे.

जोखिम क्षमता का लिहाज करें

इक्विटी में जो जोखिम है, अगर आप उसे लेकर सहज नहीं हैं, तो इक्विटी में बहुत ज्यादा निवेश न करें. जब आप अपना पोर्टफोलियो बनायें, तो अपने बड़े लक्ष्यों (कार या घर खरीदना, शादी, बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट) को ध्यान में रखें. अगर आपका लक्ष्य दूर भविष्य का है, तो आप थोड़ा जोखिम ले सकते हैं और इक्विटी फंड में निवेश कर सकते हैं. लंबी अवधि में इक्विटी अन्य सभी परिसंपत्तियों के प्रदर्शन को पछाड़ने की क्षमता रखती है.

पोर्टफोलियो का विविधीकरण

ऐसा करना जरूरी है, पर इसके पीछे ठोस तर्क होना चाहिए. जरूरत से ज्यादा विविधीकरण भी ठीक नहीं है. एक परिसंपत्ति-श्रेणी की तीन से ज्यादा योजनाएं न लें. विविधीकरण अलग-अलग परिसंपत्ति श्रेणी (जैसे, इक्विटी, डेट, गिल्ट आदि) में ही करना बेहतर होता है. अगर आप म्यूचुअल फंड योजनाओं की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ा लेते हैं, तो उन पर नजर नहीं रख पायेंगे.

एसआइपी है सबसे खास

सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआइपी) निवेशकों को एक खास राशि नियत अवधि पर किसी म्यूचुअल फंड योजना में जमा करने का अवसर देता है. वैसे एसआइपी लगभग सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए उपलब्ध है, पर यह सबसे प्रभावकारी इक्विटी योजनाओं के लिए है, क्योंकि इक्विटी में डेट के मुकाबले बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है.

एसआइपी नियमति बचत के साथ इक्विटी बाजार के उतार-चढ़ाव से पार पाने में मदद करता है. शेयर बाजार में मुनाफा बनाने का सबसे आसान तरीका यह है कि गिरावट में खरीदा जाये और बाजार चढ़ने पर बेचा जाये. यह कहने में जितना आसान लगता है, वास्तव में उतना आसान है नहीं. बाजार कब चढ़ेगा और कब गिरेगा, इसका सही अंदाजा बड़े-बड़े विशेषज्ञ भी नहीं लगा पाते हैं.

इससे निबटने का एक ही तरीका है, एसआइपी. आप निश्चित अंतराल पर खरीदारी करते रहें, जब शेयर बाजार ऊपर चल रहा होगा, तो आप कम यूनिटें खरीद पायेंगे और जब बाजार नीचे जायेगा, तो उतने ही पैसे में अब ज्यादा यूनिट ले पायेंगे. इस तरह, लंबी अवधि में यूनिटों की कीमत का औसतीकरण हो जायेगा. अगर बाजार बहुत ही ज्यादा न गिर जाये, तो एसआइपी के निवेशक को घाटा नहीं होता.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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