नयी दिल्ली : सरकार गेहूं के आयात को रोकने और एफसीआइ के गोदाम में रखे खराब गुणवत्ता वाले अनाज को बाजार में खपाने के लिए गेहूं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रही है. मौजूदा समय में गेहूं पर कोई आयात शुल्क नहीं लागू है. कम वैश्विक कीमतों तथा घरेलू बाजार में बेहतर गुणवत्ता वाले अनाज की कमी के कारण आटा मिलें तथा निजी व्यापारीगण इसका आयात कर रहे हैं. फसल वर्ष 2014-15 में जोरदार मात्रा में गेहूं का उत्पादन होने तथा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के पास अधिशेष स्टॉक होने के बावजूद इसका आयात किया जा रहा है.
खाद्यान्नों की खरीद और वितरण करने वाली एफसीआइ प्रमुख एजेंसी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘खाद्य मंत्रालय ने गेहूं के आयात पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू करने का प्रस्ताव किया है. इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय संबंधित मंत्रालयों के परामर्श के बाद किया जायेगा.’ अधिकारी ने कहा, ‘विदेशों से होने वाली खरीद को रोकने की आवश्यकता है क्योंकि देश में इसका पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है.’
अधिकारी ने कहा कि एफसीआइ ने अप्रैल से शुरू होने वाले चालू विपणन वर्ष में अभी तक 2.76 करोड टन गेहूं की खरीद की है. ‘इसमें से 20 से 30 प्रतिशत अनाज खराब गुणवत्ता वाले हैं और इन्हें जल्द से जल्द खपाये जाने की आवश्यकता है.’ एफसीआइ को ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात के कारण फसल बर्बादी का सामना करने वाले किसानों को संरक्षण देने के लिए इस वर्ष गेहूं खरीद के मानदंड में ढील देना पडा और खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की खरीद करनी पडी थी. बेहतर गुणवत्ता वाले गेहूं की सुस्त आपूर्ति के बीच निजी आटा मिलों ने एक दशक में पहली बार आस्ट्रेलिया से गेहूं का आयात करना शुरू किया है.
इन निजी व्यापारियों ने आस्ट्रेलिया से पांच लाख टन गेहूं का आयात करने के लिए अनुबंध किया है और इसके अलावा फ्रांस और रुस से पांच लाख टन गेहूं आयात करने की उनकी योजना है. मध्य प्रदेश से खरीदे और तमिलनाडु को भेजे जाने वाले गेहूं की कीमत 17 से 18 रुपये प्रति किलो के मुकाबले आयात कहीं सस्ता बैठता है जो करीब 16 रुपये प्रति किलो के करीब बैठता है. वर्ष 2014-15 में गेहूं उत्पादन घटकर नौ करोड 7.8 लाख टन रहने के बावजूद एफसीआइ के पास चार करोड टन का भारी स्टॉक मौजूद है. फसल वर्ष 2013-14 में गेहूं का उत्पादन रिकार्ड नौ करोड 58.5 लाख टन का हुआ था.
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