नयी दिल्ली: देश के उद्योग जगत ने लोकसभा में पारित भूमि अधिग्रहण विधेयक को पीछे ले जाने वाला कदम बताया है. उद्योगों ने कहा है कि इस विधेयक के प्रावधानों से देश के औद्योगिक और ढांचागत विकास पर प्रतिकूल प्रभाव होगा.
सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण करने पर जिन किसानों अथवा परिवारों की भूमि ली जायेगी उनमें से 70 प्रतिशत और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिये भूमि अधिग्रहण होने की स्थिति में कम से कम 80 प्रतिशत भूस्वामियों की सहमति लेनी जरुरी होगी.
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