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एफआइआइ को जेटली का कडा संदेश : भारत कर चोरों का पनाहगार नहीं, कर बनता है तो देना ही होगा

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज साफ साफ कहा कि भारत में न्यायोचित कर की मांग करना ‘‘कर आतंकवाद’’ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह देश कर चोरों की पनाहगाह नहीं है. वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जब कि देश में काम कर रहे करीब 100 विदेशी […]

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज साफ साफ कहा कि भारत में न्यायोचित कर की मांग करना ‘‘कर आतंकवाद’’ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह देश कर चोरों की पनाहगाह नहीं है. वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जब कि देश में काम कर रहे करीब 100 विदेशी संस्थागत निवेशकों :एफआईआई: से कुल मिला कर 5 से 6 अरब डालर के कर मांग के नोटिस जारी किए गए है.
जेटली ने कहा, ‘जो कर बनते हैं, उनका भुगतान किया ही जाना चाहिए.’ उनकी बात से लगा कि वह इन नोटिसों के पक्ष में बोल रहे हैं. जेटली ने यहां उद्योगमंडल सीआईआई की वार्षिक आम-सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत निवेशकों के लिए इतना असुरक्षित नहीं है कि कर की हर न्यायोचित मांग को कर आतंकवाद के रूपमें देखा जाए. हम कर से बचने की पनाहगाह नहीं है और न ही ऐसी पनाहगाह बनने का हमारा इरादा है.
’कर मांग के अब तक की एक सबसे बडी कार्रवाई के तहत कर विभाग ने करीब 100 विदेशी निवेश कोषों को कुल मिला कर 5-6 अरब डालर का कर चुकाने को कहा है. विभाग का कहना है कि यह मांग भारतीय बाजार में इन कोषों द्वारा पिछले वर्षों में कमाए गए उस लाभ के उपर है जिन पर कर नहीं लगाया जा सका था. आय कर विभाग ने विदेशी संस्थानों के पूंजीगत लाभ पर 20 प्रतिशत की दर से न्यूनतम वैकल्पिक कर आरोपित किया है.
जेटली ने अपने बजट भाषण में एफआईआई पर मैट का प्रावधान खत्म करने का प्रस्ताव किया है. उन्होंने कहा, ‘जो कर नहीं बनते उन्हें नहीं चुकाया जाना चहिए और उनको चुनौती दी जानी चाहिए. लेकिन जो कर बनते हैं उन्हें जरुर चुकाया जाना चाहिए.’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमारी इमानदारी का थोडा गलत अर्थ निकाला गया है. कर आतंकवाद का विलोम कर चोरी की पनाहगाह नहीं होता.

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