नयी दिल्ली : भारत में चालू खाते का घाटा वर्तमान में रिकार्ड उंचाई पर है लेकिन यह 2015 तक चार प्रतिशत के आसपास रह सकता है. यह बात बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल-लिंच(बीओएफए-एमएल) की रपट में कही गई. डीएसपी मेरिल-लिंच इंडिया के अर्थशास्त्री इंद्रनील सेन गुप्ता ने एक शोध पत्र में कहा ‘‘भारत का चालू खाते का घाटा संभवत: अपने उच्च स्तर पर है. हमें उम्मीद है कि यह वित्त वर्ष 2012-13 के 4.8 प्रतिशत के स्तर से घटकर 2013-14 में 4.3 प्रतिशत और 2014-15 में 3.7 प्रतिशत पर आ जाएगा.’’विदेशी मुद्रा की देश में कुल प्राप्ति और व्यय के अंतर को कैड कहते हैं जिसके 2015 तक 2.4 प्रतिशत के वहनीय स्तर से उपर रहने की आशंका है.
रपट के मुताबिक कैड के उच्च स्तर पर रहने की प्रमुख वजहों में आर्थिक वृद्धि में नरमी बड़ी वजह है. बीओएफए-एमएल ने कहा कि चालू खाते के उंचे घाटे से सामान्य परिस्थितियों में विदेशी मुद्रा भंडार सीमित रहने की आशंका है.रपट में कहा गया ‘‘अच्छी खबर यह है कि कैड शीर्ष पर है, संभवत: इससे अधिक नहीं बढ़ेगा. बुरी खबर यह है कि यह 2015 तक सकल घरेलू उत्पाद के करीब चार प्रतिशत के आसपास बना रहेगा, जो कि 2.4 प्रतिशत के वहनीय स्तर से उपर बना रहेगा. खराब बात यह है कि इससे विदेशी मुद्रा भंडार का आकार सीमित बना रहेगा.’’
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