नयी दिल्ली : बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) लगातार बढ़ने से चिंतित सरकार ने आज बैंकों से कहा है कि वह समय पर कर्ज नहीं लौटाने वाले बड़े कजर्दारों (डिफाल्टर) पर ध्यान केन्द्रित कर और उनके खिलाफ कारवाई करें.
वित्त मंत्री चिदंबरम ने आज यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा ‘‘हमने बैंकों से कहा है कि आप बड़े कजर्दार जो समय पर वापसी नहीं कर रहे हैं पर अपना ध्यान केन्द्रित रखिये, इसके साथ ही उन खातों पर भी गौर करना होगा जो बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रत्येक बैंक अपने उन 30 प्रमुख खातों पर नजदीकी से निगाह रखेगा जिनमें कर्ज वापसी नहीं हो रही है, वापसी में चूक करने वाले ऐसे कजर्दारों के खिलाफ कारवाई की जायेगी.’’ चिदंबरम ने कहा कि बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) में इन्हीं बड़े 30 खातों का ज्यादा हिस्सा होता है जिनमें वापसी समय पर नहीं हो रही है.
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुस्ती के चलते बैंकों का एनपीए बढ़ता जा रहा है. मार्च 2013 के अंत तक भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों का कुल एनपीए उनकी कुल कर्ज का 4 प्रतिशत से उपर पहुंच गया. मार्च 2011 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए जहां 71,080 करोड़ रूपये पर था वहीं दिसंबर 2012 तक यह बढ़कर 1.55 लाख करोड़ रूपये तक पहुंच गया.
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