नयी दिल्ली : सरकार ने प्राकृतिक गैस की कीमत एक नवंबर से बढाकर 5.61 डालर प्रति इकाई कर दी है लेकिन रिलायंस इंडस्टरीज को फिलहाल उसके केजी-डी6 क्षेत्र से उत्पादन में कमी की भरपाई होने तक 4.2 डालर का मूल्य ही मिलेगा. वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कैबिनेट की बैठक के बाद आज कहा कि सरकार ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा मंजूर रंजराजन फार्मूले में कुछ बदलाव किया ताकि गैस मूल्य को 8.4 डालर से कम करके 5.61 डालर प्रति इकाई पर लाया जा सके.
प्राकृतिक गैस मूल्य का नया फार्मूला एक नवंबर से प्रभावी होगा और मूल्य में प्रत्येक छह महीने में संशोधन किया जायेगा. गैस मूल्य में अगला संशोधन एक अप्रैल 2015 को होगा.रिलायंस इंडस्टरीज के केजी-डी6 स्थित डी1 एवं डी3 गैस क्षेत्रों जहां उत्पादन आठ करोड घनमीटर प्रतिदिन (एमएमएससीएमडी) तक होना चाहिए था, पर फिलहाल इसमें 80 लाख एममएससीएमडी से भी कम उत्पादन हो रहा है.
मंत्रिमंडल ने क्षेत्र में हो रही गैस उत्पादन के लिये फिलहाल मौजूदा 4.2 डालर प्रति एमएमबीटीयू का दाम ही बरकरार रखने का फैसला किया है. गैस उपभोक्ता हालांकि संशोधित कीमत ही चुकायेंगे लेकिन रिलायंस को सिर्फ 4.2 डालर का दाम ही मिलेगा. शेष राशि अलग एस्क्रो खाते में जमा होगी. आरआईएल को गैस की उंची कीमत तभी मिलेगी जब वह कानूनी रुप यह साबित कर देगी कि उसने क्षेत्र से जानबूझकर उत्पादन नहीं घटाया और उत्पादन में भूगर्भीय वजहों से गिरावट आई है जैसा कि उसने दावा किया है.
गैस की उंची कीमत से बिजली और उर्वरक संयंत्रों की परिचालन लागत बढेगी वहीं बुनियादी ढांचा एवं खाद्य कीमतें बढेंगी जिससे मुद्रास्फीति भी बढेगी. गैस की कीमत में प्रत्येक एक डालर की बढोतरी से यूरिया उत्पादन लागत में 1,370 रुपए प्रति टन और बिजली शुल्क में 45 पैसे प्रति यूनिट (देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में गैस परिचालित संयंत्रों की हिस्सेदारी सिर्फ सात प्रतिशत है) की बढोतरी होगी.
साथ ही सीएनजी की कीमत में न्यूनतम 2.81 रुपए प्रति किलो और पाइप के जरिए आने वाली रसोई गैस की कीमत में 1.89 रुपए प्रति घन मीटर की बढोतरी होगी. गैस की कीमत इससे पहले तीन बार बढाई गई है.
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