नयी दिल्ली : उद्योग मंडल फिक्की ने सरकार से बनाओ, चलाओ और हस्तांतरित करो (बीओटी) माडल और ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) मॉडल की अटकी राजमार्ग परियोजनाओं का काम तेजी से निपटाने और इस काम में अनुबंधित फर्मों की मदद के लिए उनके द्वारा ऐसी परियोजनाओं के लिये गये कर्ज का ब्याज सीधे बैंकों को भुगतान करने का आग्रह किया है.
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फिक्की की परिवहन क्षेत्र के बुनियादी ढांचे पर राष्ट्रीय समिति ने एक बयान में कहा है कि बीओटी और ईपीसी के तहत कई राजमार्ग परियोजनाएं गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बनती जा रही हैं. इसके कारण इन परियोजनाओं में देरी के कारण इन पर ब्याज के बोझ का बढ़ना है. समिति के को-चेयरपर्सन केके कपिला ने कहा कि जमीन अधिग्रहण, बिजली और अन्य सुविधाओं तथा पर्यावरण मंजूरी में देरी की वजह के कारण देरी में कई बीओटी परियोजनाएं/ईपीसी अनुबंधों को काफी नुकसान हुआ है. ये मंजूरी देने की जिम्मेदारी सरकारी प्राधिकरण के पास है.
उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के लिए समयसीमा बढ़ायी गयी, लेकिन बैंकों द्वारा दिये गये कर्ज पर परियोजनाओं में देरी के कारण बढ़ते ब्याज बोझ के कारण कंपनियों/ईपीसी अनुबंधकर्ताओं के बैंक खाते एनपीए हो रहे हैं. इसके कारण बैंक इस प्रकार की परियोजनाओं के लिए और कर्ज नहीं दे रहे, जिससे परियोजनाओं को पूरा करने में देरी हो रही है.
कपिला ने कहा कि ऐसे मामले हैं, जब संबंधित अनुबंधकर्ताओं ने बढ़ती लागत और देरी के कारण ऐसी परियोजनाएं छोड़ी हैं. उन्होंने कहा कि हम सरकर से उन विलंब वाली बीओटी परियोजनाओं/ईपीसी अनुबंध के मामले में विस्तारित अवधि के दौरान के ब्याज सीधे बैंकों के खाते में जमा करने का आग्रह करते हैं, जहां देरी का कारण संबंधित कंपनियां और ईपीसी अनुबंधकर्ता नहीं हैं. कपिला ने कहा कि इससे परियोजनाओं के लिये वित्त पोषण का रास्ता खुलेगा और उन्हें पूरा करने में मदद मिलेगी.
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