नयी दिल्ली : ई-रिक्शा की बैटरी चार्ज करने के लिए बिजली की संगठित चोरी से दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों को सालाना करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. दिल्ली में तीन कंपनियां बीएसईएस की बीवाईपीएल और बीआरपीएल तथा टाटा पावर देल्ही डिस्ट्रीब्यूशन बिजली की आपूर्ति करती हैं.
एक आकलन के अनुसार, शहर की सड़कों पर एक लाख से अधिक ई-रिक्शा दौड़ लगा रहे हैं. सरकार से छूट मिलने के बाद भी इनमें से महज एक चौथाई ही पंजीकृत हैं. बिजली विशेषज्ञों का दावा है कि समुचित चार्जिंग सुविधा की कमी से शहर के महत्वपूर्ण हिस्सों खासकर मेट्रो स्टेशनों के पास बिजली चोरी का संगठित गिरोह सक्रिय है.
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उन्होंने कहा, ‘चूंकि अधिकांश ई-रिक्शा पंजीकृत नहीं हैं, अवैध कनेक्शन के जरिए इन्हें चार्ज करने से करीब 150 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है.’ टाटा पावर देल्ही डिस्ट्रीब्यूशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजय बंगा ने कहा, ‘हम बिजली चोरी करने के चलन को दूर करने के लिये प्रतिबद्ध हैं और अवैध चार्जिंग पर कड़ी नजर रख रहे हैं. मैं सभी ई-रिक्शा मालिकों से वैध कनेक्शन लेने तथा सुरक्षित एवं कानूनी तरीके से वाहन चार्ज करने की अपील करता हूं.’
सूत्रों ने कहा कि औसतन एक ई-रिक्शा प्रतिदिन सात से दस यूनिट बिजली की खपत करता है. इस तरह प्रतिवर्ष एक ई-रिक्शा करीब 2,500-3,600 यूनिट बिजली का उपभोग करता है. सामान्यत: रातों के दौरान बिजली चोरी चरम पर रहती है. सूत्रों ने कहा कि संगम विहार, कालकाजी, तुगलकाबाद, सराय काले खां, दक्षिणपुरी, रघुबीर नगर, टैगोर गार्डन, मादीपुर, सीलमपुर, यमुना विहार, शास्त्री पार्क, करावल नगर, मुस्तफाबाद, नंद नगरी, करोल बाग, कीकरवाला, केशवपुरम, सिविल लाइंस उन क्षेत्रों में शामिल हैं जहां ई-रिक्शा चार्ज करने के लिए सर्वाधिक बिजली चोरी होती है.
उन्होंने कहा कि दबंग किस्म के स्थानीय लोग सामान्यत: चार्जिंग एवं पार्किंग रैकेट चलाते हैं. वे ई-रिक्शा मालिकों से प्रतिदिन 100 से 150 रुपये वसूल करते हैं. हालांकि वैध तरीके से ई-रिक्शा चार्ज करने का शुल्क 5.50 रुपये प्रति यूनिट है. सूत्रों ने कहा कि यदि ई-रिक्शा मालिक वैध तरीके से चार्ज करें तो उनका 100-150 रुपये का रोजाना खर्च कम होकर 50 रुपये पर आ सकता है.
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