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एक पटेल जिसने ठुकराया था वित्त मंत्रालय का ऑफर

गुजरात में मंत्रालयके बंटवारे को लेकर बीजेपी में आक्रोश के स्वर फूटने लगे हैं. भाजपा में पटेल समुदाय के नेता माने जाने वाले नितिन पटेल ने मंत्रालय संभालने से इनकार कर दिया. नितिन पटेल वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभालना चाहते थे और जब उन्हें यह पद नहीं दिया गया तो उन्होंने बगावती तेवर दिखाये. मंत्रालय […]

गुजरात में मंत्रालयके बंटवारे को लेकर बीजेपी में आक्रोश के स्वर फूटने लगे हैं. भाजपा में पटेल समुदाय के नेता माने जाने वाले नितिन पटेल ने मंत्रालय संभालने से इनकार कर दिया. नितिन पटेल वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभालना चाहते थे और जब उन्हें यह पद नहीं दिया गया तो उन्होंने बगावती तेवर दिखाये. मंत्रालय के बंटवारे को लेकर अकसर विवाद की कहानियां छनकर आती रही हैं. हालांकि वित्त मंत्रालय उन विभागों में से रहा है, जिसे संभालने के लिए खास तरह की विशेषज्ञता की जरूरत होती है. ऐसी परिस्थिति में वित्त मंत्रालय के बंटवारे को लेकर असंतोष कम ही दिखे हैं. लेकिन अगर बात गुजरात की हो तो यह कई मायनों में देश से अलग है. गुजरात उन राज्यों में है, जहां कारोबार की समझ रखने वाले ज्यादा लोग मिल जाते हैं.

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर आइजी पटेल कोतत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव नेवित्तमंत्रालयसंभालनेकाप्रस्ताव दिया था. बुरे दौर से गुजर रहे देश के आर्थिकी को वापसपटरी में लाने के लिए नरसिम्हा राव को एक ऐसे शख्स की तलाश थी, जिन्हें अर्थव्यवस्था की अच्छी जानकारी हो. ऐसे में लोगों ने उन्हें आइजी पटेल का नाम सुझाया लेकिन आइजी पटेल ने पूर्व प्रधानमंत्री का यह प्रस्ताव ठुकरा दिया.

कौन थे आइजी पटेल

इन्द्र प्रसाद गोवर्धनभाई पटेल रिजर्व बैंक के चौदहवें गवर्नर थे.आईजीपटेलने एक दिसबंर ,1977 से 15 सितंबर 1982 तक भारत के रिजर्व बैंक गवर्नर का पद संभाला था. दक्षिण एशिया से वह पहले शख्स थेजो लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक बने.बचपनसेबेहदप्रतिभावानरहे पटेलहमेशापढ़ाई में अव्वल आते थे. मैट्रिक में रिकार्डअंकप्राप्तकरने वाले आइजी पटेल ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से बीए किया और फिर स्कॉलरशिप लेकर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. कैम्ब्रिज से पढ़ाई के बाद वह भारत लौटे और बड़ौदा यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ाने लगे फिर उन्होंने आइएमएफ में सलाहकार के तौर पर उन्होंने काम किया.

1954 में उन्होंनेभारतकेवित्तमंत्रालयमें आर्थिक सलाहकार के रूप मेंकामकरनाशुरू कियाऔर अगले 18 सालों तक भारत के वित्त मंत्रालय में कई अहम जिम्मेवारी को संभाला. जब भारत की अर्थव्यवस्था डगमगा गयी, तो पी वी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्रालय संभालने का ऑफर दिया लेकिन उन्होंने पीवी नरसिम्ह राव के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.आईजीपटेलके इस इनकारके बाद नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री का प्रस्ताव दिया. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी में लाया और आगे चलकर प्रधानमंत्री भी बने. आई जी पटेल ने इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ अहमदाबाद का निदेशक का पद भी संभाला था.

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