मुंबई : सहारा समूह की दो कंपनियों द्वारा ‘गलत तरीके अपना कर’ धन जुटाए जाने के लम्बे समय से चल रहे मामलों के मद्देनजर लोग सेबी से इस समूह के बारे में तरह तरह के सवाल पूछने लगे हैं. सेबी से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इसी तरह का एक सवाल किया गया है क्या लखनउ का यह समूह आरटीआई के दायरे में आता है. इस मामले में आरटीआई के तहत किए गए आवेदन को जब सेबी ने खारिज कर दिया तो आवेदक ने यह मामला प्रतिभूति अपीलीय प्राधिकार से संपर्क किया था लेकिन वहां भी अपील खारिज कर दी गई.
बाजार नियामक सेबी सहारा समूह के साथ उसकी दो कंपनियों द्वारा जुटाई गयी 24,000 करोड़ रुपए की राशि को निवेशकों को वापस कराने के मामले में लम्बे समय से उलझा हुआ है. सेबी फिलहाल वास्तविक निवेशकों की पुष्टि कर उन्हें धन वापस करने की प्रक्रिया में हैं. उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सहारा द्वारा पुनभरुगतान के लिए सेबी के पास सहारा ने 5,120 करोड़ रुपए जमा कराए गए धन से फिलहाल वास्तविक सच्चे निवेशकों का पैसा लौटाने की प्रकिया चल रही है. इधर सहारा ने दावा किया है कि वह इन दो कपंनियों के बांडधारकों को 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वापस कर चुका है. उसका दावा है कि अब उसकी बाकी देनदारी उसके द्वारा जमा कराई गयी कुल 5,120 करोड़ रुपए की राशि से कम ही बैठती है.
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