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त्योहारी जरूरतों को पूरा करने के लिए 25 फीसदी रियायती दर पर चीनी के आयात की मिली मंजूरी

नयी दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को त्योहारी मौसम से पहले उसकी जरूरतों को पूरा करने, चीनी की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के ध्येय से 25 फीसदी की रियायती दर पर तीन लाख टन कच्ची चीनी का आयात करने को मंजूरी दे दी. सरकार ने चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट […]

नयी दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को त्योहारी मौसम से पहले उसकी जरूरतों को पूरा करने, चीनी की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के ध्येय से 25 फीसदी की रियायती दर पर तीन लाख टन कच्ची चीनी का आयात करने को मंजूरी दे दी. सरकार ने चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट आने के बाद इस जिंस की डंपिंग को रोकने के मकसद से जुलाई में इसके आयात शुल्क को 40 फीसदी से बढाकर 50 फीसदी कर दिया था.

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खाद्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि दक्षिण भारत में चीनी की उपलब्धता को सुलभ कराने और दाम स्थिर रखने के लिए मिलों रिफानरियों के जरिये दक्षिणी बंदरगाहों पर खुले सामान्य लाइसेंस (टैरिफ रेट कोटा) के तहत 25 फीसदी आयात शुल्क पर तीन लाख टन कच्ची चीनी का आयात करने की अनुमति दी गयी है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतें नियंत्रित रखने के लिए 25 फीसदी रियायती शुल्क पर तीन लाख टन कच्ची चीनी के आयात की मंजूरी दी है. दक्षिण में तुतीकोरिन, कराईकल, चेन्नई, मंगलौर, काकीनाडा, गंगावरम और विशाखापत्तनम बंदरगाहों के जरिये यह आयात किया जायेगा.

बयान में कहा गया है कि यह आयात उन मिलों (रिफायनिंग कंपनियों के लिए होगा, जिनके पास कच्ची चीनी को रिफाइंड) या साफ चीनी में परिवतर्ति करने की खुद की क्षमता होगी. दुनिया में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में चीनी का उत्पादन सितंबर में समाप्त होने जा रहे उत्पादन सत्र 2016-17 में घटकर 2.1 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है. इससे पिछले उत्पादन सत्र में यह 2.5 करोड़ टन रहा था. देश में चीनी की वार्षिक मांग भी 2.4 से 2.5 करोड़ टन है.

राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाईकनावरे ने बताया कि यह सही दिशा में किया गया फैसला है, क्योंकि दक्षिणी राज्य, विशेषकर तमिलनाडु लगातार तीसरे वर्ष सूखे की स्थिति का सामना कर रहा है और अगले पेराई के सत्र के लिए उसके पास पर्याप्त गन्ना उपलब्ध नहीं है. परिणामस्वरूप चीनी मिलों की पेराई क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पायेगा. उन्होंने कहा कि अक्तूबर के अंत में यहां आने वाली कच्ची चीनी की वजह से पेराई क्षमता का पर्याप्त उपयोग संभव होगा.

चीनी कीमतों पर होने वाले प्रभावों के बारे में पूछे जाने पर नाईकनावरे ने कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि आयात की मात्रा सीमित है और यह दक्षिणी राज्यों में कुछ ही बंदरगाहों पर पहुंच रहा है. सरकार ने चीनी की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए अप्रैल में पांच लाख टन कच्ची चीनी के शुल्क मुक्त आयात को अनुमति प्रदान की थी.

सरकार ने त्योहारों के दौरान चीनी के दाम नियंत्रण में रखने के लिए अगले दो महीने के दौरान चीनी मिलों पर चीनी स्टॉक सीमा भी लागू की है. पिछले महीने सरकार की जारी अधिसूचना के अनुसार सितंबर अंत तक कोई भी चीनी मिल पूरे विपणन वर्ष 2016-17 में कुल उपलब्ध चीनी का 21 फीसदी से अधिक चीनी स्टॉक नहीं रख सकतीं तथा अक्तूबर माह में आठ प्रतिशत से अधिक चीनी स्टॉक नहीं रख सकती है.

खुदरा बाजार में चीनी की औसत कीमत 42 रुपये किलो है, जबकि ब्रांडेड चीनी 50 रुपये प्रति किलो के भाव पर उपलब्ध है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सफेद चीनी का दाम आठ फीसदी गिरा है, जबकि कच्ची चीनी की कीमत में स्थिरता रही. इस दौरान चीनी के थोक बिक्री भाव भी यथावत रहे.

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