नयी दिल्ली : भारत को नयी स्व-चालित अदान-प्रदान व्यवस्था के तहत अपने नागरिकों के स्विस बैंक खातों के बारे में प्राप्त सूचना की गोपनीयता सख्ती से सुनिश्चित करनी होगी. ऐसा नहीं होने पर स्वट्जरलैंड आंकड़ा साझा करना बंद कर देगा. साथ ही स्विट्जरलैंड और उसके बैंक भारत की तरफ से विभिन्न देशों से प्राप्त ब्योरे के संदर्भ में आंकड़ा संरक्षण के लिए किये उपायों पर पैनी नजर रखेंगे. वे चाहते हैं कि सभी वैश्विक वित्तीय केंद्र वित्तीय मामलों में सूचना के स्वत: आदान-प्रदान (एइओआइ) के लिए वैश्विक मसौदे का क्रियान्वयन करे.
शुक्रवार को स्विस फेडरल काउंसिल ने भारत और 40 अन्य क्षेत्रों के साथ एइओआइ को मंजूरी दी ताकि संदिग्ध ब्लैकमनी के ब्योरे को तत्काल साझा किया जा सके. भारत से समझौता 2018 में लागू होगा. आंकड़ों का पहला सेट 2019 में साझा किया जायेगा. स्विट्जरलैंड के बैंकों की एसोसिएशनों के अधिकारियों ने कहा कि इस योजना से उन्हें अन्य वैश्विक वित्तीय केंद्रों द्वारा लागू करने, भारत एवं सूचना प्राप्त करनेवाले अन्य क्षेत्रों में गोपनीयता, आंकड़ा संरक्षण के पालन के बारे में अध्ययन का बेहतर समय मिलेगा.
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अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह केवल भारत के लिए नहीं बल्कि उन देशों के लिए है जिनके साथ स्विटजरलैंड स्वत: मार्ग से बैंक सूचना साझा करेगा. स्विटजरलैंड सरकार के अफसरों ने कहा कि भारत और अन्य क्षेत्रों को आंकड़ा संरक्षण, समान अवसर सुनिश्चित करने की जरूरत है, जिनके साथ एइओआइ व्यवस्था क्रियान्वित की जायेगी. स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मामलों को देखनेवाले सचिवालय के प्रवक्ता फैंक वेट्सटेइन ने कहा कि बैंक सरकार की योजना से सहमत हैं पर वे चाहते हैं कि यह व्यवस्था केवल उन्हीं देशों के साथ लागू हो जो इसकी शर्तों को पूरा करने को तैयार हों.
भारतीयों का स्विट्जरलैंड में अपेक्षाकृत कम जमा
स्विट्जरलैंड में निजी बैंकरों के एक ग्रुप ने कहा है कि भारतीयों का सिंगापुर व हांगकांग जैसे वित्तीय केंद्रों की तुलना में स्विस बैंकों में जमा खाते ‘कम’ हैं. आंकड़ों के अनुसार स्विस बैंकों में वर्ष 2015 के अंत में भारतीयों द्वारा जमा राशि घट कर अब तक के न्यूनतम स्तर 1.2 अरब फ्रैंक (करीब 8,392 करोड़ रुपये) पर आ गयी. स्विट्जरलैंड ने भारत व 40 अन्य क्षेत्रों से कर सूचना के स्वत: आदान-प्रदान के लिए पिछले हफ्ते संधि के मसौदे को मंजूरी दे दी. सूचना के स्वत: आदान-प्रदान के लिए मसौदे में आंकड़ों की गोपनीयता बनाये रखने पर जोर दिया गया है, लेकिन जिनिवा स्थित एसोसिएशन ऑफ स्विस प्राइवेट बैंक ने कहा कि उसे भारत को लेकर कोई अलग से चिंता नहीं लगती है, क्योंकि कानून का शासन लागू है. जान लांग्लो ने कहा कि स्विटजरलैंड में भारतीयों के सिंगापुर या हांगकांग के मुकाबले यहां काफी कम खाते हैं. ऐसी कोई खास प्रवृत्ति नहीं है. उनके लिए स्विट्जरलैंड के मुकाबले एशियाई वित्तीय केंद्र में खाता खोलना ज्यादा व्यवहारिक है.
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