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प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

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कान फिल्म समारोह में भारत पर निगाहें

सत्यजित रे का यह जन्म शताब्दी वर्ष है. उनकी कई फिल्में कान सहित विश्व के कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कृत होती रही हैं. उनकी ‘पाथेर पांचाली’ भी कान में सम्मानित हुई थी.

शानदार और दिलकश गायक थे केके

वे मीडिया और टीवी शो के साथ कभी-कभार मुश्किल से जुड़ते थे. तभी नाम से इतना मशहूर होने के बावजूद उनका चेहरा कम ही लोग पहचानते थे.

सबको हंसाने वाले राजू रुला गये

करीब 40 दिन राजू श्रीवास्तव ने मौत को खूब चकमा दिया. मानो वे मौत को भी अपने दिलचस्प हास्य से इतना उलझाये हुए थे कि वह भूल ही गयी कि उसे राजू को लेकर जाना है. लेकिन नियति के आगे किसी का बस नहीं चला.

आशा पारेख को फाल्के सम्मान

आशा पारेख ने समाज सेवा के लिए जहां ‘आशा पारेख अस्पताल’ को भी बरसों चलाया. वहीं सिने आर्टिस्ट कल्याण संस्था ‘सिंटा’ की भी वे पदाधिकारी रहीं. नृत्यकला के विकास के लिए भी वे अपना एक नृत्य विद्यालय ‘गुरुकुल’ चलाती रहीं. साथ ही, 1998 से 2001 तक वे फिल्म सेंसर बोर्ड की अध्यक्षा भी रहीं.

फिल्म भक्तों का तीर्थ गोवा समारोह

यह समारोह इतना व्यापक और भव्य हो गया है कि फिल्म प्रेमियों के लिए किसी तीर्थ स्थल जैसा है, जहां सभी किस्म के फिल्म प्रेमियों के लिए कुछ न कुछ है.

महिला प्रधान धारावाहिकों का दबदबा

टीवी ने कई रंग बदले, पर जो बात नहीं बदली, वह यह कि टीवी पर महिला प्रधान कार्यक्रमों का कल भी बोलबाला था और आज भी. हास्य धारावाहिकों को भी दर्शक पसंद करते रहे हैं.