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AES को लेकर केंद्र सरकार गंभीर, हरसंभव मदद का वादा : डॉ हर्षवर्धन

नयी दिल्ली / पटना : एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बिहार के मुजफ्फरपुर में हो रही मौतों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा कि बिहार सरकार को हरसंभव मदद का वादा किया है. मालूम हो कि इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बच्चों की मौतों पर […]

नयी दिल्ली / पटना : एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बिहार के मुजफ्फरपुर में हो रही मौतों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा कि बिहार सरकार को हरसंभव मदद का वादा किया है. मालूम हो कि इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बच्चों की मौतों पर रिपोर्ट और स्थिति के बारे में जानकारी मांगी है.

जानकारी के मुताबिक, बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के प्रकोप पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा कि ‘हमने राज्य सरकार को हरसंभव मदद का वादा किया है. हम प्रति घंटा स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. मालूम हो कि मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी गंभीरता दिखाते हुए बिहार में अज्ञात बीमारी से होनेवाली मौत को लेकर अब नियमित रिपोर्ट और स्थिति के बारे में जानकारी मांगी है. पीएमओ ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के पटना स्थित दफ्तर से इसा बाबत रिपोर्ट मांगी है. पीएएमओ की नजर से केंद्रीय क्षेत्रीय संस्थानों की सक्रियता बढ़ गयी है. बच्चों की होनेवाली मौत की स्थिति की जायजा लेने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन के साथ स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे मुजफ्फरपुर से लौट चुके हैं. उनकी रिपोऱट पर भी केंद्र सरकार की नजर होगी.

हर साल मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत को लेकर राज्य एजेंसियों के साथ केंद्रीय एजेंसियों ने भी सक्रियता बढ़ा दी है. केंद्र से भेजे गये विशेषज्ञ बीमारी की शोध में जुट गये हैं. राज्य सरकार की टीम के साथ केंद्रीय टीम के विशेषज्ञ वहां से सैंपल लेकर जांच के लिए भेज रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा इस मामले को लेकर 2012 में मानक कार्य संचालन (एसओपी) बनायी गयी है. बच्चों की मौत के बाद तो इलाज के लिए इसका पालन किया जा रहा है.

वहीं, जानकारों का कहना है कि बीमारी के पहले जागरूकता के स्तर पर पूरी तैयारी नहीं करने के कारण इस तरह की घटनाएं बार-बार दोहरायी जा रही है. स्थानीय स्तर पर जागरुकता की जिम्मेदारी एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी सेविकाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का माना गया. राज्य मुख्यालय तक प्राप्त सूचना के अनुसार अभी तक ऐसी जागरुकता का कोई प्रयास नहीं किया गया. अब जब स्थिति गंभीर हुई है, तो बारिश का इंतजार किया जा रहा है.

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