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निजी संस्था को मिल सकती है 21 पीएचसी की जिम्मेदारी

संजय, रांची : स्वास्थ्य विभाग ने राज्य भर के कुल 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) के संचालन का काम प्रयोग के तौर पर निजी संस्था या ट्रस्ट को देने का निर्णय लिया है. इनमें से 11 वित्तीय वर्ष 2018-19 के तथा 10 चालू वित्तीय वर्ष में चयनित किये गये हैं. पहले 11 के लिए संस्थाअों […]

संजय, रांची : स्वास्थ्य विभाग ने राज्य भर के कुल 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) के संचालन का काम प्रयोग के तौर पर निजी संस्था या ट्रस्ट को देने का निर्णय लिया है. इनमें से 11 वित्तीय वर्ष 2018-19 के तथा 10 चालू वित्तीय वर्ष में चयनित किये गये हैं. पहले 11 के लिए संस्थाअों ने प्रेजेंटेशन भी दे दिया है. वहीं, 10 के लिए विज्ञापन निकाला जाना है.

विभागीय सूत्रों के मुताबिक पहले 11 पीएचसी का संचालन जल्द शुरू होगा. गौरतलब है कि इससे पहले गैर सरकारी संस्था दीपक फाउंडेशन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), डुमरी का संचालन गत करीब तीन वर्षों से कर रही है.
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों सहित अन्य मानव संसाधन, विशेषज्ञों तथा सिस्टम की अपनी कमी के कारण स्वास्थ्य सुविधाअों के लिए निजी कंपनियों, फर्म, ट्रस्ट व एनजीअो पर निर्भरता बढ़ती जा रही है.
पहले राज्य भर के जिला अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेज सह अस्पतालों में पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी टेस्ट का काम क्रमश: मेडॉल व एसआरएल तथा रेडियोलॉजी टेस्ट का काम हेल्थ मैप प्रा. लि. को दिया गया था. इधर राज्य भर के कुल 100 स्वास्थ्य उप केंद्रों (एचएससी) में टेली मेडिसिन की सुविधा भी निजी अस्पताल, अपोलो हैदराबाद के माध्यम से उपलब्ध करायी जा रही है.
इससे पहले वर्ष 2008 में 24 तथा बाद में कुल 95 मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) का संचालन गैर सरकारी संस्थाअों के माध्यम से किया जा रहा है. इधर अभी सितंबर माह में एनएचएम ने कोलकाता की इस्काग संजीवनी प्रा. लि.के साथ करार किया है. यह संस्था झारखंड के 16 जिलों के गरीब मरीजों को डायलिसिस की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध करायेगी.
इससे पहले आठ जिलों में बीपीएल मरीजों को डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एनएचएम झारखंड व दिल्ली की डीसीडीसी हेल्थ सर्विसेज प्रा.लि. के साथ एमओयू हुआ था. वहीं एक दूसरा समझौता अलर्ट इंडिया प्रा.लि. के साथ हुआ है, जो राज्य के 13 जिलों में टीबी के मरीज, जो निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं, उन्हें सरकार के निक्षय कार्यक्रम से जोड़ेगी.
जेनेस-टू-मी के साथ भी समझौता : इधर पायलट प्रोजेक्ट के तहत गुमला जिले में डीएनए से थैलेसीमिया व सिकेल सेल जैसी वंशानुगत बीमारियों की जांच के लिए निजी संस्था जेनेस-टू-मी के साथ समझौता किया गया है.
इसके तहत संस्था तीन माह तक की गर्भवती महिलाओं में थैलेसीमिया व सिकेल सेल रोग की संभावना की जांच अगले छह से आठ माह में करेगी. प्रोजेक्ट सफल रहा, तो इसे पूरे राज्य में लागू किया जायेगा. कुल 329 एंबुलेंस-108 के संचालन का काम भी निजी कंपनी जिकित्जा हेल्थ केयर के जिम्मे है.
  • सरकार के पास मानव संसाधन व विशेषज्ञता की है कमी
  • पहले 11 के लिए संस्थाअों ने प्रेजेंटेशन भी दे दिया है

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