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मानसून सत्र के पहले दिन अनुपस्थित रहे 12 विधायक, विधानसभा नहीं आने वालों की लिस्ट यहां देखें

कोरोना (कोविड-19) महामारी के बीच विधानसभा का मॉनसून सत्र शुक्रवार से शुरू हुआ. कोरोना की गाइडलाइन सोशल डिस्टैंसिंग सहित दूसरे मानकाें का पालन करते हुए सत्र आहूत किया गया. सत्र के पहले दिन 12 विधायक सदन नहीं पहुंचे

रांची : कोरोना (कोविड-19) महामारी के बीच विधानसभा का मॉनसून सत्र शुक्रवार से शुरू हुआ. कोरोना की गाइडलाइन सोशल डिस्टैंसिंग सहित दूसरे मानकाें का पालन करते हुए सत्र आहूत किया गया. सत्र के पहले दिन 12 विधायक सदन नहीं पहुंचे. अंबा प्रसाद, नमन विक्सल कोंगाड़ी, रणधीर सिंह सहित कुछ विधायक होम आइसोलेशन में हैं. हालांकि, सदन में मुख्यमंत्री सहित सभी 11 मंत्री मौजूद थे. सरकार ने सदन में पहले दिन 2584़ 82 करोड़ रुपये का प्रथम अनुपूरक बजट पेश किया. सरकार ने सदन में पांच अध्यादेश भी पेश किये. सभी 11 मंत्री पहुंचे थे सदन में, 2584. 82 करोड़ रुपये का प्रथम अनुपूरक बजट पेश किया गया.

जो विधायक नहीं दिखे

सीता सोरेन, इरफान अंसारी, रणधीर सिंह, नारायण दास, अंबा प्रसाद, सबिता महतो, विकास सिंह मुंडा, नीलकंठ सिंह मुंडा, नमन विक्सल कोंगाड़ी, कुशवाहा शशिभूषण मेहता, आलोक चौरसिया और कमलेश सिंह

कोरोना पर होगी विशेष चर्चा

सत्र के अंतिम दिन कोरोना पर विशेष चर्चा होगी. इसमें कोरोना महामारी को लेकर अब तक सरकार द्वारा उठाये गये कदम, इस महामारी में प्रदेश की स्थिति, इसके रोकथाम की भावी रणनीति व संकट की इस घड़ी में जनहित के कार्यों को आगे बढ़ाने को लेकर सदस्य अपने विचार रखेंगे.

सदन में नहीं आया ‘लैंड म्यूटेशन बिल’, पक्ष-विपक्ष दोनों की ओर से हो रहा था विरोध

झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन चार अध्यादेश सदन के पटल पर रखे गये. जबकि ‘झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट-2020’ के लिए तैयार बिल सदन में नहीं आया. कैबिनेट से पारित होने के बाद इस बिल के प्रावधान के खिलाफ भाजपा ने तो मोरचा खोला ही था, सत्ता पक्ष के बंधु तिर्की सहित कई नेता विरोध में आ गये थे. इस बिल में न्यायिक सेवा से जुड़े जज की तरह भू-राजस्व से जुड़े सीओ, कर्मचारी सहित दूसरे लोगों को सुरक्षा देने की बात थी.

इसके 22वें नंबर के प्रावधान के तहत इन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एक आदमी सिविल व क्रिमिनल मामला दर्ज नहीं करा सकता था. गुरुवार को हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इस बिल का विरोध करने का फैसला लिया गया. बंधु तिर्की ने बैठक में कहा कि यह काला कानून है. कांग्रेस के दूसरे विधायक भी श्री तिर्की के पक्ष में थे.

मंत्री रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम को मुख्यमंत्री से बात करने के लिए अधिकृत किया गया. कांग्रेस के मंत्रियों ने इस मुद्दे पर सीएम से बात की. इसके बाद इस बिल को सदन में नहीं लाने पर सहमति बनी.

Post by : Pritish Sahay

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