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MDH Masala king Death : महाशय धर्मपाल का निधन, तंगे से सफर की शुरुआत और ऐसे बन गये ‘मसाला किंग’

MDH, 'Masala King', Mahasam Dharampal Gulati, passed away 'मसाला किंग' के नाम से मशहूर महाशय धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार की सुबह निधन हो गया. 98 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के माता चन्नन देवी हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. बता दें धर्मपाल गुलाटी लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

‘मसाला किंग’ के नाम से मशहूर महाशय धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार की सुबह निधन हो गया. 98 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के माता चन्नन देवी हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. बता दें धर्मपाल गुलाटी लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

मसाला किंग के निधन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम केजरीवाल ने जताया दुख

मसाला किंग के निधन पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट किया और लिखा, भारत के प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक महाशय धर्मपालजी के निधन से मुझे दुःख की अनुभूति हुई है. छोटे व्यवसाय से शुरू करने बावजूद उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई. वे सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय थे और अंतिम समय तक सक्रिय रहे. मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जताया दुख

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महाशय धर्मपाल के निधन पर दुख जताया. केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया के ट्वीट को रि-ट्वीट कर लिखा, धर्मपाल जी बहुत ही प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे. उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. मनीष सिसोदिया ने उनकी कई तसवीरें पोस्ट की, जिसमें वो भी धर्मपाल जी के साथ नजर आ रहे हैं. सिसोदिया ने तसवीरों के साथ लिखा, भारत के सबसे प्रेरक उद्यमी, एमडीएच मालिक धर्मपाल महाशय का आज सुबह निधन हो गया, मैं ऐसी प्रेरक और जीवंत आत्मा से कभी नहीं मिला. उनकी आत्मा को शांति मिले.

पाकिस्तान में जन्मे महाशय धर्मपाल गुलाटी का सफर प्रेरणा से भरपूर

महाशय धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट पाकिस्तान में हुआ था. उन्होंने 5वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ दिया था. 1937 में उन्होंने अपने पिता की मदद से व्यापार की शुरुआत की और साबुन, बढ़ई, कपड़ा, हार्डवेयर, चावल का व्यापार किया. उन्होंने अपने पिता की ‘महेशियां दी हट्टी’ के नाम की दुकान पर काम करना शुरू किया. भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वे दिल्ली आ गए. बताया जाता है कि 27 सितंबर 1947 को उनके पास केवल 1500 रुपये थे.

महाशय गुलाटी ने पैसों के लिए कभी तांगा भी चलाया

महाशय धर्मपाल गुलाटी कभी पैसों के लिए तांगा भी चलाया. उन्होंने 650 रुपये में एक तांगा खरीदा और नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच चलाया. कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा भाई को दे दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर एक छोटी सी दुकान लगाकर मसाले बेचना शुरू किया. मसाले का कारोबार चल निकला और फिर वहीं से एमडीएच ब्रांड की नींव पड़ गई.

Posted By – Arbind Kumar Mishra

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