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नहीं चलेगी मनमानी

सरकार के निर्देश से व्हाट्सएप के साथ अन्य तकनीकी कंपनियों को भी यह संदेश जायेगा कि वे मनमाने ढंग से भारतीय यूजरों के लिए नियम नहीं बना सकते हैं.

केंद्र सरकार ने भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए संदेश सेवाप्रदाता व्हाट्सएप द्वारा जारी नयी निजता नीति को वापस लेने का निर्देश दिया है. सूचना तकनीक मंत्रालय ने इस निर्देश में सेवाप्रदाता को कहा है कि वह भारत में इन्हें लागू न करे. कुछ दिन पहले व्हाट्सएप ने उपयोगकर्ताओं को कहा था कि फरवरी के पहले सप्ताह के बाद वह अन्य एप्लीकेशनों और सेवाओं के साथ डाटा साझा करने की अपनी नीति में बदलाव कर रहा है.

व्हाट्सएप के इस्तेमाल को जारी रखने के लिए नयी नीति को मानना जरूरी था. इस पर यूजरों के अलावा तकनीकी विशेषज्ञों और इंटरनेट पर निजता की सुरक्षा के प्रयासों से जुड़े लोगों ने आपत्ति जतायी थी. हालांकि व्हाट्सएप ने यूजरों को भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि उनका डाटा बिलकुल सुरक्षित है और उनका दुरुपयोग नहीं होगा, लेकिन अभी भी शंकाएं बनी हुई हैं.

ऐसे में सरकार का यह निर्देश एक सराहनीय कदम है. इससे व्हाट्सएप के साथ अन्य तकनीकी कंपनियों को भी यह संदेश जायेगा कि वे मनमाने ढंग से भारतीय यूजरों के लिए नियम नहीं बना सकते हैं. उल्लेखनीय है कि व्हाट्सएप, फेसबुक, िट्वटर, इंस्टाग्राम जैसे एप तथा अमेजन जैसी सेवाओं के भारत में बहुत बड़ी संख्या में यूजर हैं. तकनीक और इंटरनेट के विस्तार के साथ इन एपों और सेवाओं का विस्तार भी तेजी से हो रहा है.

यह तथ्य भी आपत्तिजनक है कि सोशल मीडिया और तकनीकी कंपनियां अमेरिका व यूरोप में निजता और डाटा सुरक्षा के अलग नियम रखती हैं और भारत में अलग. भारत में जब एप ने नीतियों में फेर-बदल की बात कही थी, तब उसने यह भी साफ किया था कि यूरोपीय यूजरों के लिए पहले के नियम ही लागू रहेंगे. इसके अलावा ये एप अपने मंच के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी बहुत सक्रिय नहीं हैं. भारत में करीब दो दशक पहले सूचना तकनीक से संबंधित कानूनी प्रावधान किये गये थे, लेकिन इस अवधि में तकनीक का दायरा जितना बढ़ा है, उस हिसाब से वे प्रावधान प्रभावी नहीं हैं.

निजता को लेकर भी समुचित वैधानिक व्यवस्था नहीं है. इस संबंध में एक विधेयक संसद में प्रस्तावित है. सरकार की कोशिश है कि भारतीय यूजरों से जो डाटा जमा किया जाता है, उन्हें ये कंपनियां भारत में ही संग्रहित करें और उनका किसी भी तरह से बेजा इस्तेमाल न हो.

इस संबंध में ठोस कानूनी पहल की आवश्यकता है. कानून नहीं होने और यूजरों में निजता को लेकर जागरूकता की कमी का फायदा उठाते हुए एप व्यापक रूप से डाटा का दोहन करते हैं. एक समस्या यह भी है कि इस डाटा को हैकर या देशविरोधी तत्व अपने निहित स्वार्थों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय व्यवस्था के लिए खतरनाक कई एपों को सरकार ने प्रतिबंधित किया है. ऐसे में यूजर को किसी िकभी एप या इंटरनेट का इस्तेमाल सोच-समझ कर करना चाहिए, अन्यथा उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है.

Posted By : Sameer Oraon

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