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Gandhi Jayanti 2021: झारखंड की ये चीजें बापू को करती थी प्रभावित, अपनी यात्रा में कई बार किया था जिक्र

चंपारण कमेटी का सदस्य होने और बैठकों में लगातार भाग लेने के कारण 1917 के अक्तूबर तक गांधीजी कई बार रांची आये. रांची के पहले दौरे के क्रम में गांधीजी के साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी आयी थीं.

अभिषेक रॉय, रांची: महात्मा गांधी चार जून 1917 को रांची में थे. उन्हें तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड गेट ने बातचीत के लिए बुलाया था. दोनों के बीच की वार्ता रांची के ऑड्रे हाउस में हुई थी. गांधीजी छह जून तक रांची में ठहरे थे. चंपारण की घटना उस वक्त राष्ट्रीय चर्चा बनी हुई थी. वार्ता के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव ने 29 मई, 1917 को चार जून को रांची के लिए आमंत्रित किया था.

चंपारण कमेटी का सदस्य होने और बैठकों में लगातार भाग लेने के कारण 1917 के अक्तूबर तक गांधीजी कई बार रांची आये. रांची के पहले दौरे के क्रम में गांधीजी के साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी आयी थीं. इसके बाद गांधीजी सात जुलाई, 1917 को मोतकहारी से रांची पहुंचे. विभिन्न बैठक और परिचर्चा का हिस्सा बनने के लिए गांधीजी 1925, 1934 और 1940 में भी रांची पहुंचे थे.

संत पॉल स्कूल के मैदान में चरखा के इस्तेमाल पर दिया था जोर

चंपारण आंदोलन के सिलसिले में कई बैठकें हुईं, इस आंदोलन में गांधीजी का ध्यान ज्यादा था. 1925 में गांधीजी ने दक्षिण बिहार के कई जिलों का दौरा किया था. इस दौरान वे जमशेदपुर, चाईबासा, चक्रधरपुर होते हुए रांची पहुंचे थे. 16 सितंबर, 1925 की शाम में गांधीजी के रांची आगम का जिक्र मिलता है. चक्रधरपुर से खूंटी के रास्ते रांची आने के क्रम में गांधीजी को झारखंड के प्राकृतिक सौंदर्य ने प्रभावित किया था.

17 सितंबर को रांची के संत पॉल स्कूल के मैदान में महात्मा गांधी ने सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था. उन दिनों वे देशबंधु स्मारक कोष के लिए राशि इकट्ठा कर रहे थे. गांधीजी ने संत पॉल स्कूल के मैदान में आयोजित सभा में लोगों को चरखे के इस्तेमाल और उसके लाभ की जानकारी दी थी. इस यात्रा के क्रम में गांधीजी रांची स्थित योगदा सत्संग ब्रह्मचर्य विद्यालय भी पहुंचे थे. यहां गांधीजी से मिलने परमहंस योगानंदजी वर्धा भी पहुंचे थे.

योगदा सत्संग ब्रह्मचर्य विद्यालय का किया दोबारा भ्रमण

इसके नौ वर्ष बाद 29 अप्रैल, 1934 में गांधीजी रांची आये. इस यात्रा के दौरान उन्होंने देवघर, चतरा, हजारीबाग, विष्णुगढ़, गोमिया, बेरमो, डुमरी, कतरास, झरिया, पुरुलिया व झालदा होते हुए रांची पहुंचे थे. एक मई, 1934 को गांधीजी दोबारा योगदा सत्संग ब्रह्मचर्य विद्यालय पहुंचे. इस भ्रमण के दौरान गांधीजी ने विद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित किया था.

गांधीजी के इस आगमन का जिक्र उनकी पत्रिका हरिजन के 11 मई, 1934 के अंक में हैं. गांधीजी ने विद्यालय के अतिथि -पुस्तिका में एक संदेश भी लिखा था. दो मई को गांधीजी रांची के हरिजन बस्ती (वर्तमान में किशोरगंज का एक इलाका) पहुंचे थे. वहां हरिजन शिल्प विद्यालय का उद्घाटन किया था. इसके बाद तीन मई को हरिजन छात्र सम्मेलन का हिस्सा बने.

53वां कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होने रामगढ़ पहुंचे थे गांधीजी

1934 के छह वर्ष बाद 1940 में गांधीजी का झारखंड आगमन हुआ. इस बार गांधीजी 15 मार्च, 1940 में रामगढ़ में 53वां कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित करने पहुंचे थे. रामगढ़ अधिवेशन के स्वागताध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद थे. अधिवेशन से पहले 14 मार्च को गांधीजी का स्वागत रामगढ़ स्टेशन में हुआ. इस दिन गांधीजी रामगढ़ में लगे एक ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन किया.

उन्होंने प्रदर्शनी और अधिवेशन में शामिल लोगों को खादी का महत्व बताया. इसके बाद 15 मार्च को कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होकर सविनय अवज्ञा आंदोलन पर चर्चा की. 18 मार्च को गांधीजी रामगढ़ में ही आयोजित विषय समिति की बैठक में शामिल हुए थे. 20 मार्च को कांग्रेस अधिवेशन में गांधीजी ने लोगों को संबोधित किया था.

Posted by: Pritish Sahay

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