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बच्चों के लिए बहुत जरूरी है इम्युनाइजेशन, जानिए कब दी जाती है बूस्टर वैक्सीन डोज

बच्चों के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है. समय-समय पर दी जाने वाली ये वैक्सीन उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाती है. कई प्रकार के इन्फेक्शन व जानलेवा बीमारियों से बचाने में सहायक होती है. नवजात को टीबी के लिए बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन ड्रॉप्स पिलायी जाती है.

इम्युनाइजेशन या वैक्सीनेशन हमारी इम्युनिटी को बूस्ट करता है. वैक्सीनेशन के लिए भारत में दो तरह के शेड्यूल को फॉलो किया जाता है- इंडियन एकाडमी ऑफ पिडाड्रिएक्ट (प्राइवेट सेक्टर) और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का शेड्यूल वैक्सीनेशन प्रक्रिया जिंदगी भर चलती है. खासकर बच्चों के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है. समय-समय पर दी जाने वाली ये वैक्सीन उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाती है. कई प्रकार के इन्फेक्शन व जानलेवा बीमारियों से बचाने में सहायक होती है.

जन्म के समय लगने वाली वैक्सीन : नवजात को टीबी के लिए बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन ड्रॉप्स पिलायी जाती है. इसके साथ हेपेटाइटिस बी (फर्स्ट डोज) की वैक्सीन लगती है.

प्राइमरी सीरीज में दी जाने वाली वैक्सीन: शिशु के जन्म के 6 सप्ताह (डेढ़ माह), 10 सप्ताह (ढाई माह) और 14 सप्ताह (साढ़े तीन माह) का होने पर वैक्सीन लगायी जाती हैं, जो 8 बीमारियों को कवर करती हैं. पेंटावालेंट वैक्सीन, जो डिप्थीरिया/ काली खांसी, टिटनेस, व्हूपिंग कफ, हेपेटाइटिस बी, हीमोफीलस इंफ्लूएंजा टाइप बी बीमारियों से बचाव के लिए दी जाती है. इसके अलावा डायरिया के लिए रोटावायरस, निमोनिया के लिए न्यूमोकोकल और पोलियो वैक्सीन लगायी जाती है. पोलियो वैक्सीन उपलब्ध न होने पर जन्म के 6, 10 और 14 सप्ताह में बच्चे को ओपीवी-1, 2, 3 की ओरल पोलियो ड्रॉप्स दी जाती हैं. इसी तरह रोटावायरस ड्रॉप्स की 3 डोज भी पिलायी जाती है. पहली डोज 6 से 12 सप्ताह, दूसरी 4 से 10 सप्ताह और तीसरी 32 सप्ताह के बीच दी जाती है.

9 महीने में : एमएमआर (मीजल्स, मम्स और रुबैला) की वैक्सीन लगती है. ओरल पोलियो ड्रॉप्स की दूसरी डोज दी जाती है. एंडेमिक राज्यों में 9 महीने पर जैपनीज एंसेफलाइटिस के वैक्सीन की दो डोज दी जाती हैं.

12वें महीने में : बच्चे को हेपेटाइटिस-ए वैक्सीन दी जाती है. यह 2 तरह की होती है- लाइव वैक्सीन जिसकी सिंगल डोज दी जाती है, दूसरी इनएक्टिव वैक्सीन, जिसकी 6 महीने के अंतराल पर 2 डोज दी जाती हैं.

बूस्टर वैक्सीन शेड्यूल: इसके साथ वैक्सीनेशन का बूस्टर शेड्यूल भी शुरू हो जाता है. सबसे पहले 15वें महीने पर बच्चे को नीमोकोकल वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जाता है. 16 से 18वें महीने में डीपीटी बूस्टर, इंजेक्टिड पोलियो वैक्सीन लगायी जाती है. इनएक्टिव हेपेटाइटिस-ए वैक्सीन का बूस्टर डोज 18वें महीने में लगायी जाती है.

4 से 6 साल में जरूरी वैक्सीन: इस उम्र में बच्चे को डीटीपी वैक्सीन का बूस्टर डोज, एमएमआर वैक्सीन की तीसरी डोज और वेरीसेला वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाती है.

9 से 14वें साल में वैक्सीन: इस उम्र में बच्चों को टी-डेप बूस्टर वैक्सीन दी जाती है. ह्यूमन पैपीलोमा वायरस से बचाव के लिए लड़कियों को 9 साल की उम्र के बाद सर्वाइकल प्रिवेंशन के लिए 0 और 6 महीने पर दो सरवरेक्स इंजेक्शन (एचपीवी) लगते हैं या फिर 14 साल की उम्र के बाद इस इन्जेक्शन के 3 डोज में लगाये जाते हैं- 0, 1 और 6 महीने पर. लड़कियों को 7 से 14 वर्ष की उम्र तक एमएमआर वैक्सीन लगायी जाती है. 10वें और 15वें साल में उन्हें टिटनेस का बूस्टर इन्जेक्शन दिया जाता है.

Posted by: Pritish Sahay

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