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Jharkhand news: 10 साल से जंजीर से बंधे 2 बच्चों को इंडियन रोटी बैंक ने कराया मुक्त, परिजनों को दिया राशन

jharkhand news: पिछले 10 साल से जंजीर से बंधे आदिम जनजाति के दो बच्चों को इंडियन रोटी बैंक के सदस्यों ने मुक्त कराया है. साथ ही बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य का भरोसा दिया है. इस दौरान बच्चों के परिजनों को 6 महीने का राशन भी दिया गया.

Jharkhand news: पलामू जिला अंतर्गत सदर प्रखंड के सुआ पंचायत स्थित बिंदूआ टोला में पिछले 10 साल से जंजीर में बांधकर रखे गये आदिम जनजाति के दो बच्चे को बेहतर इलाज और उन्हें इस कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए इंडियन रोटी बैंक ने पहल की है. वहीं, दाेनों बच्चों का बेहतर इलाज और शिक्षा का भरोसा दिलाया, वहीं उनके परिजनों को भरन-पोषण के लिए राशन भी दिये.

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Jharkhand news: 10 साल से जंजीर से बंधे 2 बच्चों को इंडियन रोटी बैंक ने कराया मुक्त, परिजनों को दिया राशन 2

आदिम जनजाति परहिया की नहीं लेता कोई सुध

मालूम हो कि प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर सदर प्रखंड के सुआ पंचायत में आदिम जनजाति परहिया के दो बच्चों को जंजीर में बांधकर रखने की जानकारी मिली. इसकी जानकारी मिलते ही शुक्रवार को इंडियन रोटी बैंक के प्रदेश संयोजक दीपक तिवारी ने चिकित्सक डॉ अमित मिश्रा के साथ जाकर बच्चों का स्वास्थ्य एवं मानसिक जांच कराया. साथ ही इन बच्चों के इलाज एवं भरण-पोषण का भराेसा दिया. इस दौरान इन बच्चों के परिजनों को 6 महीने का राशन में चावल, दाल, आटा, तेल, चीनी, नमक, आलू, कपड़े, बिछावन मुहैया कराया. कहा कि राज्य में विलुप्त हो रही आदिम जनजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कई योजनाओं की शुरुआत हुई है. इसके बावजूद सुआ के इन बच्चों और उनके परिजनों को देखने वाला कोई नहीं है.

10 साल से जंजीर से बंधे थे बच्चे

श्री तिवारी ने कहा कि इंडियन रोटी बैंक की स्थापना का उद्देश्य आज सफल हुआ, जब दो परहिया बच्चों को जंजीर से मुक्ति दिलाने का जिम्मा उठाया गया. 10 साल से बंधे बच्चे मानव जीवन के बजाय जानवर की जिंदगी जीने को विवश थे. उन्हें इससे मुक्ति दिलाने के लिए इंडियन रोटी बैंक की संजीवनी टीम इलाज से लेकर हर सुविधा उपलब्ध कराएगी. कहा कि 10 साल से जंजीर में बंधे दो बच्चो को देख सेवा करने के संकल्प को मजबूती मिली है. कहा कि इंडियन रोटी बैंक का उद्देश्य सफल हो गया जब आदिम जनजाति के दो बच्चों को जंजीर से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया गया.

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दोनों बच्चों का बौद्धिक विकास रूका

वहीं, इंडियन रोटी बैंक के संजीवनी टीम के डॉ अमित मिश्रा ने बताया कि दोनों पिड़ित बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. बचपन से इन्हें बांधकर रखा गया, जिसके कारण इनका बौद्धिक विकास नहीं हो पाया है. इन्हें जरूरत की दवाएं बैंक की ओर से उपलब्ध करायी गयी है. अब हमेशा इनका मानसिक एवं शारीरिक इलाज होगा. इन्हें सबके साथ रखा जाएगा, तो
जल्द ही दोनों बच्चे अन्य बच्चों की भांति व्यवहार करते दिखेंगे.

इंडियन रोटी बैंक का हमेशा मिलेगा साथ

इस मौके पर सदर थाना के सब इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि बच्चों की हालत देख दिल पसीज गया. इन्हें प्यार की जरूरत है. अपने पिता की 11वीं पुण्यतिथि पर इन बच्चों का सेवा करके अच्छा लगा. इस अभियान में इंडियन रोटी बैंक के साथ कौड़िया मुखिया प्रतिनिधि प्रेम प्रकाश ठाकुर, इंडियन रोटी बैंक के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य साहेब सिंह नामधारी, वाइस स्टेट कॉर्डिनेटर परवेज अख्तर, पलामू कॉर्डिनेटर मनीष यादव, वाइस कॉर्डिनेटर राकेश कुमार, रविरंजन सिंह ने परिवार की देखभाल एवं बच्चों को स्वस्थ करने का संकल्प दोहराया एवं हमेशा आकर देखरेख करने का भरोसा भी दिया.

रिपोर्ट : अजीत मिश्रा, मेदिनीनगर.

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