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Sri Lanka Crisis: भारत ‘पड़ोस प्रथम’ नीति के तहत श्रीलंका की कर रहा है मदद, लोकसभा में बोले एस जयशंकर

श्रीलंका इन-दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है. अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, भारत सरकार 'पड़ोस प्रथम' नीति के अनुरूप श्रीलंका को आर्थिक चुनौतियों से उबरने में सहायता कर रहा है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने आज लोकसभा को बताया कि भारत सरकार ‘पड़ोस प्रथम’ नीति के अनुरूप श्रीलंका को आर्थिक चुनौतियों से उबरने में सहायता कर रहा है. लोकसभा में एस रामलिंगम के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह बात कही. आपको बता दें कि सदस्य ने श्रीलंका को वर्तमान आर्थिक संकट से उबरने के लिये वित्तीय सहायता के बारे में जानकारी मांगी थी.

श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी

ज्ञात हो कि श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण भोजन, ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं के आयात में बाधा आ रही है. जयशंकर ने निचले सदन को बताया कि भारत सरकार ने पिछले 10 वर्ष में रेलवे, बुनियादी ढांचा, रक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, पेट्रोलियम और उर्वरकों जैसे क्षेत्रों में श्रीलंका को 185.06 करोड़ डालर की आठ ऋण सुविधाएं (एलओसी) प्रदान की है.

पड़ोस प्रथम के तहत भारत कर रहा मदद

विदेश मंत्री ने बताया, ”सरकार की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति के तहत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध विकसित करने के लिये प्रतिबद्ध है. इस नीति के अनुरूप भारत-श्रीलंका के आर्थिक विकास के साथ-साथ उसकी आर्थिक चुनौतियों को दूर करने में भी उसकी सहायता कर रहा है.” उन्होंने बताया कि जनवरी 2022 में भारत ने दक्षिण एशियाई देशों का क्षेत्रीय संगठन (दक्षेस) ढांचे के तहत श्रीलंका के साथ 40 करोड़ डालर मुद्रा की अदला-बदली की और एशियाई समाशोधन संघ (एसीयू) के उत्तरोत्तर भुगतान को छह जुलाई 2022 तक स्थगित कर दिया.

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श्रीलंका को 5.5 करोड़ डालर की ऋण से सहायता

उन्होंने बताया कि श्रीलंका को छह करोड़ रूपये की आवश्यक दवाएं, 15,000 लीटर केरोसीन तेल और यूरिया उर्वरक की खरीद के लिये मानवीय सहायता के रूप में 5.5 करोड़ डालर की ऋण सहायता दी गई थी. जयशंकर ने बताया कि तमिलनाडु सरकार ने व्यापक भारतीय सहायता प्रयासों के तहत 1.6 करोड़ डालर के चावल, दूध पाउडर और दवाओं का योगदान किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की भारतीय विकास एवं आर्थिक सहायता योजना (आईडीईएएस) के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऋण सहायता के तहत विकास सहायता भी प्रदान की जाती है. इन दिशा-निर्देशों में ऋृण के संबंध में कम ब्याज दर, मूल राशि की वापसी पर स्थगन, ऋण वापसी की लिये लंबी अवधि एवं आंतरिक लचीलापन शामिल है. (भाषा)

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