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तस्करी से बचे तो कोर्ट-कचहरी में फंसे, गिट्टी-पत्थर और बीमारियों के बीच रह रहे ऊंटों को कब मिलेगा न्याय?

रामनगर के भीटी स्थित अहाते में कैद 15 ऊंटों की बढ़ती दुर्दशा ने उनका जीना मुश्किल कर दिया है. तस्करी करने से बचाए जाने के बाद से यह ऊंट हाईवे से सटे लगभग तीन बिस्वा के इस हाते में जैसे-जैसे रहने को मजबूर हैं. कोर्ट-कचहरी के बीच ऊंटों की जीवन मुश्किल में पड़ता जा रहा है.

Varanasi News: पिछले एक माह से रामनगर के भीटी स्थित अहाते में कैद 15 ऊंटों की दुर्दशा अब अपनी कहानी खुद बयां कर रही है. इन बेजुबानों की तकलीफ कोई नहीं समझ पा रहा है. ये तस्करी से बचाकर हाईवे से सटे लगभग तीन बिस्वा के इस हाते में रखे गए हैं. जहां ये जानवर जैसे-जैसे रहने को मजबूर हैं. हाईवे से गुजरने वाली गाड़ियों के शोर ने उन्हें परेशान करके रख दिया है, बारिश से हुई कीचड़ में उठ बैठ रहे ऊंटों को बीमारियां भी अपनी गिरफ्त में लेती जा रही हैं.

एक ऊंट की हो चुकी है मौत

यहां कुल ऊंटों में से एक मादा ऊंट की 24 जुलाई को मौत हो चुकी है. ऐसी स्थिति में ये बचे हुए ऊंट यहां के वातावरण में ठीक से रह नही पा रहे हैं, क्योंकि यहां का वातावरण इनके अनुकूल नहीं है. यदि इस पर जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया गया तो इनकी स्थिति और भी ज्यादा दयनीय हो सकती है. 27 जून को गौ-ज्ञान फाउंडेशन की सूचना पर रामनगर पुलिस ने हाईवे से 16 ऊंटों को ट्रक से बरामद किया था.

उत्तर प्रदेश के बागपत से तस्करी कर बंगाल ले जाते समय दो तस्करों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था. रमैया चैरिटेबल ट्रस्ट के लगभग 30 वालेंटियर ऊंटों की देखरेख कर रहे हैं. ट्रस्ट की सचिव स्वाती बालानी के अनुसार, ऊंटों को यह वातावरण रास नहीं आ रहा है. रेत पर चलने के आदी इन ऊंटों के पैर अब जवाब दे रहे हैं. ये बेजुबान यही कह रहे हैं कि ‘हम तो बेजुबान हैं, हमें क्या मालूम कोर्ट-कचहरी. खुले रेत पर दौड़ने के आदी हम इन चहारदीवारों में कब तक कैद रहेंगे.’ हमारी क्या खता, जिसकी सजा मिल रही. यह दर्द रेगिस्तान के जहाज कहे जाने वाले उन 15 ऊंटों का है.

बीमारियों का हो रहे शिकार

परिसर में बारिश से हुए कीचड़ में दिन-रात उठ बैठ रहे ऊंटों को बीमारियां भी जकड़ रही हैं. कीचड़ से बचाव के लिए गिट्टी-पत्थर डाला गया, उस पर बैठने और चलने में ऊंटों को पैरों में घाव हो रहे हैं. दो ऊंटों की हालत ठीक नहीं है. एक ऊंट तो अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा है, जबकि एक मादा ऊंट की 24 जुलाई को मौत भी हो चुकी है.

जंतु विज्ञान विभाग बीएचयू के डॉ. राघव मिश्रा ने कहा कि, ऊंट खुले में रहने वाला जीव है. इन्हें खाने में सूखी घास जैसे बरसीम चारा पसंद है. सूखे स्थान पर रहना इनके स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है. शेड के नीचे इन्हें नहीं रखना चाहिए. अंतरिम कस्टडी में नहीं देने पर कोर्ट ने आख्या तलब की है. अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम नीतेश कुमार सिन्हा की अदालत ने ऊंटों को गौ ज्ञान फाउंडेशन को अंतरिम कस्टडी में नहीं देने पर रामनगर थाना प्रभारी निरीक्षक और विवेचक से 30 जुलाई तक आख्या तलब की है.

सहायक अभियोजन अधिकारी ने गौ ज्ञान फाउंडेशन को ऊंट कस्टडी में देने से यह कहकर विरोध किया कि, निगरानी याचिका सत्र न्यायालय में दाखिल है. इसलिए कस्टडी नहीं दी जा सकती. गौ ज्ञान फाउंडेशन की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी के अनुसार, अवर न्यायालय (एसीजेएम प्रथम) के आदेश पर सत्र न्यायालय द्वारा किसी प्रकार की कोई रोक नहीं लगाई गई है और न ही निगरानी याचिका स्वीकार की गई है. अवर न्यायालय का आदेश अभी तक प्रभाव में है. ऐसे में गौ ज्ञान फाउंडेशन को बचे 15 ऊंटों की कस्टडी दिलाई जाए. रामनगर थाना प्रभारी निरीक्षक और विवेचक के खिलाफ कोर्ट के आदेश को नहीं मानने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया जाए. फिलहाल, अब देखना होगा कि बेजुबानों को अपनी ही इस दुनिया में इंसाफ के लिए अभी कितने और दिन इस दलदल में काटने होंगे.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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